चेन्नई : भारतीय नौसेना चेन्नई के पास कट्टुपल्ली में एक निजी शिपयार्ड में स्वदेश निर्मित विमान वाहक (आईएसी) तैनात करने की योजना बना रही है. ऐसा रक्षा बजट में नौसेना की परियोजनाओं की हिस्सेदारी में कमी आने के कारण किया जा रहा है. इससे पूर्वी और पश्चिमी समुद्र तटों, आर्थिक क्षेत्रों और समुद्री सीमाओं की देखभाल करने में मदद मिलेगी.
रक्षा संबंधी स्थायी समिति को भारतीय नौसेना ने बताया कि वह एक निजी शिपयार्ड के 260 मीटर बर्थ को आठ साल के लिए लीज पर ले रही है. समिति की अध्यक्षता जुएल ओराम कर रहे हैं.
नौसेना ने समिति को बताया कि वह एल एंड टी शिपयार्ड को लीज पर ले रही है. पूर्वी तट पर आईएसी-1 को आठ साल (2022-2030) की अवधि के लिए रक्षा मंत्रालय तैनात करेगा.
नौसेना ने बताया कि तैयार बुनायादी ढांचे का उपयोग करने के लिए 30.48 करोड़ रुपये वार्षिक देना होगा. इसके साथ ही 48 करोड़ जमा राशि के रूप में देना होगा, जिसे लीज खत्म होने पर कंपनी द्वारा वापस कर दिया जाएगा.
भारतीय नौसेना की योजना है कि उसके पास किसी भी समय पूर्वी और पश्चिमी समुद्र तटों, आर्थिक क्षेत्रों और समुद्री सीमाओं की देखभाल करने के लिए कम से कम दो विमान वाहक पोत होने चाहिए.
नौसेना सूत्रों ने बताया कि 40,000 टन से ज्यादा वजनी युद्धपोत को चेन्नई में तैनात किया जाएगा क्योंकि विशाखापट्टनम में योजनाबद्ध आधार अभी तैयार नहीं है.
स्थायी समिति ने रक्षा बजट में भारतीय नौसेना के घटते हिस्से पर भी चर्चा की और देखा कि नौसेना की युद्धक क्षमता विमान वाहक, पनडुब्बी, विध्वंसक और फ्रिगेट जैसे उच्च मूल्य प्लेटफार्मों पर निर्भर करती है, लेकिन नौसेना के बजट के आवंटन में तेज गिरावट (प्रतिशत) है.
देखें : भारतीय नौसेना का प्रदर्शन
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'हम मंत्रालय को सलाह देंगे कि आगामी वर्षों में की जाने वाली मांगों में से किसी भी सेवा के लिए पूंजी के रूप में मिलने वाले हिस्से में कटौती न की जाए.'