नई दिल्ली : प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने दिल्ली, आसपास के इलाकों और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में रविवार को वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंच जाने को लेकर पैदा हुई गंभीर स्थिति की समीक्षा की.
पी.के. मिश्रा ने गंभीर वायु प्रदूषण से पैदा हुई स्थिति की एक उच्चस्तरीय बैठक में रविवार को समीक्षा की. प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के अधिकारियों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक में हिस्सा लिया.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री के प्रधान सलाहकार, कैबिनेट सचिव और कृषि, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, कैबिनेट सचिवालय, CPCB (सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड) अध्यक्ष, IMD (इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट) के महानिदेशक, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के कैबिनेट सचिवों के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे.
बैठक में फैसला लिया गया किकैबिनेट सचिव राजीव गौबा इन राज्यों के साथ हर रोज स्थिति पर निगरानी रखेंगे और एक बेहतर समन्वय के लिए आवश्यक निर्देश देंगे. तीनों राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें हैं, जिनके बीच इस मुद्दे को लेकर राजनीतिकरण और आरोप-प्रत्यारोप का खेल चल रहा है.
बता दें, इससे पहले प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने बीते 24 अक्टूबर को स्थिति की समीक्षा की थी.
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इन राज्यों के मुख्यसचिवों से कहा गया है कि वे अपने-अपने राज्यों में 24 घंटे स्थिति पर जिलास्तर पर निगरानी रखें.
पूरी दिल्ली में रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक के 625 से ऊपर पहुंच जाने और बवाना जैसे इलाके में इसके 999 के स्तर पर पहुंच जाने के बाद यह इस मौसम में अपने तरह की पहली आपात बैठक हुई है.
गौरतलब है कि वायु प्रदूषण को लेकर बैठकों की एक शृंखला तैयार की गई है, जिनमें पीएम के प्रधान सचिव द्वारा प्रदूषण पर की गई बैठक भी शामिल है.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में 7 औद्योगिक समूहों और प्रमुख यातायात गलियारों पर मुख्य ध्यान केंद्रित किया गया है. केंद्रीय निर्माण गतिविधियों के अलावा प्रदूषणकारी इकाइयों और कचरे को जलाने पर नजर रखी गयी है.
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली में लगभग 300 टीमों को तैयार किया गया है. इस काम के लिए आवश्यक मशीनरी राज्यों में वितरित की गई है.