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शेर-ए-कश्मीर मेडिकल कॉलेज में 75 फीसदी कोरोना मरीज ठीक

जम्मू कश्मीर के बेमिना में एसकेआईएमएस के डॉक्टरों और पैरामेडिक्स स्टाफ की मेहनत और समर्पण के कारण लगभग 75 फीसदी कोरोना संक्रमित मरीज ठीक होकर अपने घर लौट गए हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए एसकेआईएमएस के प्रिंसिपल डॉ रियाज अहमद ओन्टो ने कहा कि अब तक 578 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से 470 मरीज ठीक होकर अपने घरों को लौट गए हैं. इसके अलावा 104 लोगों का वहां इलाज चल रहा है, जबकि चार मरीजों की मौत हो गई है, जो अन्य अस्पतालों की तुलना में बहुत कम है.

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Published : Jun 28, 2020, 10:37 PM IST

ईटीवी भारत से बात करते डॉ रियाज अहमद
ईटीवी भारत से बात करते डॉ रियाज अहमद

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के बेमिना में शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंस (SKIMS) को एक विशेष कोविड अस्पताल में बदल देने के बाद से यहां के डॉक्टरों और पैरामेडिक्स स्टाफ ने जिस समर्पण और कड़ी मेहनत से अपने कर्तव्यों का पालन किया है वह सराहनीय है. यहां के डॉक्टरों और अन्य स्टाफ ने किस मेहनत और लगन से कार्य किया है, इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां कोरोना संक्रमित लोगों के ठीक होने की दर शहर के अन्य अस्पतालों के मुकाबले कहीं अधिक है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए के एसकेआईएमएस के प्रिंसिपल डॉ रियाज अहमद ओन्टो ने कहा कि अब तक 578 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से 470 मरीज ठीक होकर अपने घरों को लौट गए हैं. इसके अलावा 104 लोगों का वहां इलाज चल रहा है, जबकि चार मरीजों की मौत हो गई है, जो अन्य अस्पतालों की तुलना में बहुत कम है. अस्पताल में ठीक होने वाले रोगियों की संख्या 75 प्रतिशत से अधिक है, जो बहुत उत्साहजनक है.

ईटीवी भारत से बात करते डॉ रियाज अहमद

डॉ रियाज ने बताया कि पिछले तीन महीनों के दौरान 32 गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनका सफलतापूर्वक इलाज किया गया और उनमें से 16 महिलाओं का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया.

कोरोना वायरस परीक्षण और प्रयोगशाला स्थापित करने के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए, डॉ रियाज ने कहा कि वायरस की जांच के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए सभी संसाधनों के साथ रिकॉर्ड समय में प्रयोगशाला स्थापित की गई थी, जिसमें दैनिक आधार पर 500 परीक्षण किए जाते हैं और अब तक इस प्रयोगशाला में 25,000 परीक्षण किए जा चुके हैं.

उन्होंने कहा कि अस्पताल में तैनात डॉक्टर और पैरामेडिकल टीम ने सभी सावधानियों को सख्ती से पालन किया इसीलिए अस्पताल में ठीक होने वाले रोगियों की दर घाटी के अन्य अस्पतालों में ठीक होने वाले रोगियों की दर से काफी बेहतर है.

पढ़ें - पतंजलि कोरोनिल मामला : बालाकृष्णन बोले, विदेशों से आ रही दवा की मांग

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज करने वाले डॉक्टर और पैरामैडिकल स्टाफ की सुरक्षा को प्राथमिकता उन के लिए पीपीई किट, सैनिटाइजर, मास्क आदि पहनने पर खास ध्यान दिया जा रहा है, जिसे परिणामस्वरूप अस्पताल में कोरोना संक्रमण न के बराबर है.

लॉकडाउन के दौरान दी गई छूट के बाद कोरोना वायरस के मरीजों की तादाद में हो रहे इजाफे को भयावह करार देते हुए डॉ रियाज ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि कोरोना वायरस किसी शख्स को प्रभावित करने से पहले इजाजत नहीं मांगता, इसलिए जनता को चाहिए कि वह इस वायरस से बचने और इसको फैलने से रोकने के लिए सावधानी बरतें और सरकार की ओर से समय समय पर जारी होने वाले निर्देशों का पालन करें.

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के बेमिना में शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंस (SKIMS) को एक विशेष कोविड अस्पताल में बदल देने के बाद से यहां के डॉक्टरों और पैरामेडिक्स स्टाफ ने जिस समर्पण और कड़ी मेहनत से अपने कर्तव्यों का पालन किया है वह सराहनीय है. यहां के डॉक्टरों और अन्य स्टाफ ने किस मेहनत और लगन से कार्य किया है, इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां कोरोना संक्रमित लोगों के ठीक होने की दर शहर के अन्य अस्पतालों के मुकाबले कहीं अधिक है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए के एसकेआईएमएस के प्रिंसिपल डॉ रियाज अहमद ओन्टो ने कहा कि अब तक 578 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से 470 मरीज ठीक होकर अपने घरों को लौट गए हैं. इसके अलावा 104 लोगों का वहां इलाज चल रहा है, जबकि चार मरीजों की मौत हो गई है, जो अन्य अस्पतालों की तुलना में बहुत कम है. अस्पताल में ठीक होने वाले रोगियों की संख्या 75 प्रतिशत से अधिक है, जो बहुत उत्साहजनक है.

ईटीवी भारत से बात करते डॉ रियाज अहमद

डॉ रियाज ने बताया कि पिछले तीन महीनों के दौरान 32 गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनका सफलतापूर्वक इलाज किया गया और उनमें से 16 महिलाओं का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया.

कोरोना वायरस परीक्षण और प्रयोगशाला स्थापित करने के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए, डॉ रियाज ने कहा कि वायरस की जांच के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए सभी संसाधनों के साथ रिकॉर्ड समय में प्रयोगशाला स्थापित की गई थी, जिसमें दैनिक आधार पर 500 परीक्षण किए जाते हैं और अब तक इस प्रयोगशाला में 25,000 परीक्षण किए जा चुके हैं.

उन्होंने कहा कि अस्पताल में तैनात डॉक्टर और पैरामेडिकल टीम ने सभी सावधानियों को सख्ती से पालन किया इसीलिए अस्पताल में ठीक होने वाले रोगियों की दर घाटी के अन्य अस्पतालों में ठीक होने वाले रोगियों की दर से काफी बेहतर है.

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उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज करने वाले डॉक्टर और पैरामैडिकल स्टाफ की सुरक्षा को प्राथमिकता उन के लिए पीपीई किट, सैनिटाइजर, मास्क आदि पहनने पर खास ध्यान दिया जा रहा है, जिसे परिणामस्वरूप अस्पताल में कोरोना संक्रमण न के बराबर है.

लॉकडाउन के दौरान दी गई छूट के बाद कोरोना वायरस के मरीजों की तादाद में हो रहे इजाफे को भयावह करार देते हुए डॉ रियाज ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि कोरोना वायरस किसी शख्स को प्रभावित करने से पहले इजाजत नहीं मांगता, इसलिए जनता को चाहिए कि वह इस वायरस से बचने और इसको फैलने से रोकने के लिए सावधानी बरतें और सरकार की ओर से समय समय पर जारी होने वाले निर्देशों का पालन करें.

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