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राष्ट्रपति कोविंद ने ओडिशा में रखी पाइका स्मारक की आधारशिला

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ओडिशा के दो दिवसीय दौरे पर रविवार को पाइका स्मारक की आधारशिला रखी और फिर उत्कल विश्वविद्यालय की प्लेटिनम जुबली के समापन समारोह में हिस्सा लिया. जानें पूरा विवरण...

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Published : Dec 8, 2019, 10:35 AM IST

Updated : Dec 8, 2019, 11:55 PM IST

भुवनेश्वर : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ओडिशा के दो दिवसीय दौरे पर रविवार को यहां खुर्दा शहर के पास बरूनेई में पाइका स्मारक की आधारशिला रखी. उन्होंने इसके बाद उत्कल विश्वविद्यालय के प्लेटिनम जुबली समारोह में भी भाग लिया.

उत्कल विश्विवद्यालय के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं यहां आप लोगों के बीच में आकर अपने आप को गौरवान्वित महुसस कर रहा हूं. मैं उत्कल विश्वविद्यालय की प्लेटिनम जुबली के समापन समोराह में शामिल होकर खुश हूं. मैं इस अवसर पर यहां मौजूद सभी लोगों को बधाई देता हूं.'

राष्ट्रपति कोविंद का संबोधन

कोविंद ने कहा, 'उत्कल विश्वविद्यालय की स्थापना 1943 में हुई थी. उत्कल-गौरव मधुसूदन दास, उत्कल-मणि गोपबंधु दास से लेकर आधुनिक ओडिशा के निर्माता बीजू बाबू ने ओडिशा के लोगों के विकास के लिए अमूल्य प्रयास किए थे. उनके सपनों के ओडिशा का निर्माण करके ही हम सब, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों के भारत तथा नए भारत का निर्माण करने में सफल होंगे.'

राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि इस विश्वविद्यालय की आधारशिला भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1958 में रखी थी और इसका उद्घाटन भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. एस. राधा कृष्णन ने 1963 में किया था. लगभग 50 वर्ष के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रवण मुखर्जी ने 2013 में इस विश्वविद्यालय में लोगों को संबोधित किया था. इसलिए मैं यहां आकर खुश हूं.'

इसके पूर्व कोविंद ने पाइका स्मारक का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'खोरधा की इस पवित्र धरती से मैं पाइका विद्रोह के वीर-बलिदानियों को नमन करता हूं. भगवान जगन्नाथ का यह क्षेत्र भक्ति और क्रांति का अपूर्व संगम प्रस्तुत करता है. यहां के पाइका विद्रोहियों ने अन्याय के विरुद्ध जब शस्त्र उठाया तो उनका युद्धघोष था जय जगन्नाथ.'

उन्होंने कहा, 'इस वीर भूमि में पाइका विद्रोह के सेनानियों के स्मारक-स्थल की भूमि पूजा और शिलान्यास का अवसर प्रदान करने के लिए मैं इस समारोह के आयोजकों को धन्यवाद देता हूं. हमारे इतिहास के गौरवशाली अध्यायों से देशवासियों को परिचित कराना, खासकर युवा पीढ़ी को पूर्वजों के बलिदान का महत्व समझाना, राष्ट्र-निर्माण का एक अहम हिस्सा है.'

राष्ट्रपति ने कहा, 'यहां जिस स्मारक का निर्माण होगा, वह पाइका शूरवीरों की गाथा को भविष्य के लिए संजोकर रखेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए, प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा. मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में लगभग 10 एकड़ के इस पाइका विद्रोह स्मारक परिसर को एक तीर्थ-स्थल की महिमा प्राप्त होगी.'

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के खेतिहर योद्धाओं को पाइका कहा जाता था. वे ऐसे किसान थे, जिनमें युद्ध करने का कौशल और साहस होता था. उन्हें राजा द्वारा करमुक्त जमीन दी जाती थी, जिस पर खेती करके वे अपनी आजीविका चलाते थे.19वीं सदी के आरंभ में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर भी कब्जा कर लिया और उनकी मालगुजारी व्यवस्था का बोझ यहां के किसानों पर भी पड़ने लगा. स्वाभिमानी पाइकों ने विद्रोह कर दिया. खोरधा विद्रोह के महानायक जयी राजगुरु को बेरहमी से फांसी दी गयी. आज उस बलिदान के क्षेत्र में उपस्थित होकर, और उन शहीदों को याद करके हम सबका रोमांचित होना स्वाभाविक है.

कोविंद ने कहा कि जयी राजगुरु के वीरगति प्राप्त करने के बाद, अंग्रेजों ने सोचा होगा कि पाइकों के विद्रोह को उन्होंने कुचल दिया. परंतु विद्रोह की आग सुलगती रही, जिसे बक्शी जगबंधु बिद्याधर ने अपने साहसी नेतृत्व से पाइका विद्रोह की ज्वाला का रूप दिया.1817 में कंध जनजाति के लोगों ने बक्शी जगबंधु की सेना के साथ मिलकर अंग्रेजों पर भीषण हमला किया.

अंग्रेजों के अत्याचार के विरुद्ध लड़ने वाली सेनाओं में ओडिशा के इस क्षेत्र के सभी वर्गों के लोग जुड़ गए और पाइका विद्रोहियों का समर्थन किया. जय जगन्नाथ का घोष करते हुए भूस्वामी, किसान, आदिवासी, शिल्पकार, जुलाहे, कारीगर और मजदूर, सभी ने पाइका विद्रोहियों का साथ दिया और इस तरह वह विद्रोह एक व्यापक आंदोलन बन गया.

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने देश के पूर्वी क्षेत्र के विकास को विशेष प्राथमिकता दी है. ओडिशा में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में भारी निवेश किया जा रहा है. ओडिशा में स्थापित आधुनिक शिक्षा के अनेक संस्थान देश की युवा शक्ति को 21वीं सदी की चुनौतियों और अवसरों के लिए तैयार कर रहे हैं.

पढ़ें : ओडिशा : कोणार्क उत्सव की शुरुआत, देशभर के कलाकारों की भागीदारी

उन्होंने कहा, 'हम सबको यह सदैव ध्यान रखना है कि भारत के गौरव और देश की स्वाधीनता के लिए अनगिनत लोगों ने कुर्बानी दी है. मुझे विश्वास है कि आधुनिक विश्व समुदाय में भारत को अग्रणी स्थान दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करके, उन बलिदानी वीरों के प्रति सही मायनों में हम सब अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.'

उन्होंने आगे कहा कि यद्यपि अंग्रेज उस आंदोलन को दबाने में सफल रहे और बक्शी जगबंधु कारावास में शहीद हुए, लेकिन वह विद्रोह एक सुसंगठित आंदोलन के रूप में अमर हो गया. सन 2017 में उस आंदोलन के 200 साल पूरा होने के उपलक्ष में भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर अनेक समारोह किए.

भुवनेश्वर : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ओडिशा के दो दिवसीय दौरे पर रविवार को यहां खुर्दा शहर के पास बरूनेई में पाइका स्मारक की आधारशिला रखी. उन्होंने इसके बाद उत्कल विश्वविद्यालय के प्लेटिनम जुबली समारोह में भी भाग लिया.

उत्कल विश्विवद्यालय के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं यहां आप लोगों के बीच में आकर अपने आप को गौरवान्वित महुसस कर रहा हूं. मैं उत्कल विश्वविद्यालय की प्लेटिनम जुबली के समापन समोराह में शामिल होकर खुश हूं. मैं इस अवसर पर यहां मौजूद सभी लोगों को बधाई देता हूं.'

राष्ट्रपति कोविंद का संबोधन

कोविंद ने कहा, 'उत्कल विश्वविद्यालय की स्थापना 1943 में हुई थी. उत्कल-गौरव मधुसूदन दास, उत्कल-मणि गोपबंधु दास से लेकर आधुनिक ओडिशा के निर्माता बीजू बाबू ने ओडिशा के लोगों के विकास के लिए अमूल्य प्रयास किए थे. उनके सपनों के ओडिशा का निर्माण करके ही हम सब, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों के भारत तथा नए भारत का निर्माण करने में सफल होंगे.'

राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि इस विश्वविद्यालय की आधारशिला भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1958 में रखी थी और इसका उद्घाटन भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. एस. राधा कृष्णन ने 1963 में किया था. लगभग 50 वर्ष के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रवण मुखर्जी ने 2013 में इस विश्वविद्यालय में लोगों को संबोधित किया था. इसलिए मैं यहां आकर खुश हूं.'

इसके पूर्व कोविंद ने पाइका स्मारक का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'खोरधा की इस पवित्र धरती से मैं पाइका विद्रोह के वीर-बलिदानियों को नमन करता हूं. भगवान जगन्नाथ का यह क्षेत्र भक्ति और क्रांति का अपूर्व संगम प्रस्तुत करता है. यहां के पाइका विद्रोहियों ने अन्याय के विरुद्ध जब शस्त्र उठाया तो उनका युद्धघोष था जय जगन्नाथ.'

उन्होंने कहा, 'इस वीर भूमि में पाइका विद्रोह के सेनानियों के स्मारक-स्थल की भूमि पूजा और शिलान्यास का अवसर प्रदान करने के लिए मैं इस समारोह के आयोजकों को धन्यवाद देता हूं. हमारे इतिहास के गौरवशाली अध्यायों से देशवासियों को परिचित कराना, खासकर युवा पीढ़ी को पूर्वजों के बलिदान का महत्व समझाना, राष्ट्र-निर्माण का एक अहम हिस्सा है.'

राष्ट्रपति ने कहा, 'यहां जिस स्मारक का निर्माण होगा, वह पाइका शूरवीरों की गाथा को भविष्य के लिए संजोकर रखेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए, प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा. मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में लगभग 10 एकड़ के इस पाइका विद्रोह स्मारक परिसर को एक तीर्थ-स्थल की महिमा प्राप्त होगी.'

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के खेतिहर योद्धाओं को पाइका कहा जाता था. वे ऐसे किसान थे, जिनमें युद्ध करने का कौशल और साहस होता था. उन्हें राजा द्वारा करमुक्त जमीन दी जाती थी, जिस पर खेती करके वे अपनी आजीविका चलाते थे.19वीं सदी के आरंभ में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर भी कब्जा कर लिया और उनकी मालगुजारी व्यवस्था का बोझ यहां के किसानों पर भी पड़ने लगा. स्वाभिमानी पाइकों ने विद्रोह कर दिया. खोरधा विद्रोह के महानायक जयी राजगुरु को बेरहमी से फांसी दी गयी. आज उस बलिदान के क्षेत्र में उपस्थित होकर, और उन शहीदों को याद करके हम सबका रोमांचित होना स्वाभाविक है.

कोविंद ने कहा कि जयी राजगुरु के वीरगति प्राप्त करने के बाद, अंग्रेजों ने सोचा होगा कि पाइकों के विद्रोह को उन्होंने कुचल दिया. परंतु विद्रोह की आग सुलगती रही, जिसे बक्शी जगबंधु बिद्याधर ने अपने साहसी नेतृत्व से पाइका विद्रोह की ज्वाला का रूप दिया.1817 में कंध जनजाति के लोगों ने बक्शी जगबंधु की सेना के साथ मिलकर अंग्रेजों पर भीषण हमला किया.

अंग्रेजों के अत्याचार के विरुद्ध लड़ने वाली सेनाओं में ओडिशा के इस क्षेत्र के सभी वर्गों के लोग जुड़ गए और पाइका विद्रोहियों का समर्थन किया. जय जगन्नाथ का घोष करते हुए भूस्वामी, किसान, आदिवासी, शिल्पकार, जुलाहे, कारीगर और मजदूर, सभी ने पाइका विद्रोहियों का साथ दिया और इस तरह वह विद्रोह एक व्यापक आंदोलन बन गया.

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने देश के पूर्वी क्षेत्र के विकास को विशेष प्राथमिकता दी है. ओडिशा में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में भारी निवेश किया जा रहा है. ओडिशा में स्थापित आधुनिक शिक्षा के अनेक संस्थान देश की युवा शक्ति को 21वीं सदी की चुनौतियों और अवसरों के लिए तैयार कर रहे हैं.

पढ़ें : ओडिशा : कोणार्क उत्सव की शुरुआत, देशभर के कलाकारों की भागीदारी

उन्होंने कहा, 'हम सबको यह सदैव ध्यान रखना है कि भारत के गौरव और देश की स्वाधीनता के लिए अनगिनत लोगों ने कुर्बानी दी है. मुझे विश्वास है कि आधुनिक विश्व समुदाय में भारत को अग्रणी स्थान दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करके, उन बलिदानी वीरों के प्रति सही मायनों में हम सब अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.'

उन्होंने आगे कहा कि यद्यपि अंग्रेज उस आंदोलन को दबाने में सफल रहे और बक्शी जगबंधु कारावास में शहीद हुए, लेकिन वह विद्रोह एक सुसंगठित आंदोलन के रूप में अमर हो गया. सन 2017 में उस आंदोलन के 200 साल पूरा होने के उपलक्ष में भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर अनेक समारोह किए.

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Last Updated : Dec 8, 2019, 11:55 PM IST
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