नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में मौजूद जहरीली वायु के खतरे को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति भवन में आईआईटी, एनआईटी और IIEST के निदेशकों की बैठक बुलाई. इस दौरान उन्होनें वैज्ञीनिकों से विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं भविष्य में पर्यावरण के प्रति खतरे से जागरूक करें और उन्हें संवेदनशील बनाएं.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को विश्वास जताया कि आईआईटी और एनआईटी अपनी विशेषज्ञता के माध्यम से वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढ लेंगे.
IIT, NIT और IIEST के निदेशकों की बैठक को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह वर्ष का ऐसा वक्त है जब देश की राजधानी और कई अन्य शहरों की वायु गुणवत्ता मानकों से परे काफी खराब हो गई है. कई वैज्ञानिकों ने भविष्य की दुखद तस्वीर पेश की है. शहरों में धुंध और खराब दृश्यता के दिनों में हमें डर रहता है कि क्या भविष्य ऐसा ही है.
उन्होने कहा कि यह संकट का समय है.जब कि न सिर्फ राजधानी दिल्ली बल्कि अन्य शहरों की भी वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो गई है. लेकिन हमको इसका विकल्प ढूढ़ना होगा.
राष्ट्रपति ने कहा कि हाइड्रोकार्बन उर्जा ने पिछले कुछ शतकों में विश्व का परिदृश्य बदल कर रख दिया है, लेकिन अब ये हमारे असतित्व के लिए ही खतरा बन गया है.
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राष्ट्रपति भवन में हुए इस सम्मेलन में 23 भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों (आईआईटी), 31 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईईएसटी), शिबपुर के निदेशकों ने हिस्सा लिया.
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार द्वारा ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधारने का प्रयास करने के बाद अब उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए ‘ईज ऑफ लिविंग’ में सुधार लाना है.
निदेशकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि मैं इस बात को आश्वस्त हूं की आप के संस्थान इसमें अहम योगदान दे सकते हैं. सरकार ने शोध और खोज करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च तक रही हे. ताकि हमारे लोगों का कल बेहतर हो सके.