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विश्वास है आईआईटी, एनआईटी प्रदूषण मुद्दे का समाधान ढूंढ लेंगे : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में मौजूद वायु प्रदुषण की समस्या को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति भवन में IIT, NIT और IIEST के निदेशकों की बैठक बुलाई. इस दौरान उन्होंने बेहतर भविष्य की और मौजूद समस्या के समाधान के पर जोर दिया. पढ़ें विस्तार से

राष्ट्रपति भवन में IIT, NIT और IIEST के निदेशकों की बैठक
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Published : Nov 20, 2019, 8:29 AM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में मौजूद जहरीली वायु के खतरे को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति भवन में आईआईटी, एनआईटी और IIEST के निदेशकों की बैठक बुलाई. इस दौरान उन्होनें वैज्ञीनिकों से विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं भविष्य में पर्यावरण के प्रति खतरे से जागरूक करें और उन्हें संवेदनशील बनाएं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को विश्वास जताया कि आईआईटी और एनआईटी अपनी विशेषज्ञता के माध्यम से वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढ लेंगे.

IIT, NIT और IIEST के निदेशकों की बैठक को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह वर्ष का ऐसा वक्त है जब देश की राजधानी और कई अन्य शहरों की वायु गुणवत्ता मानकों से परे काफी खराब हो गई है. कई वैज्ञानिकों ने भविष्य की दुखद तस्वीर पेश की है. शहरों में धुंध और खराब दृश्यता के दिनों में हमें डर रहता है कि क्या भविष्य ऐसा ही है.

उन्होने कहा कि यह संकट का समय है.जब कि न सिर्फ राजधानी दिल्ली बल्कि अन्य शहरों की भी वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो गई है. लेकिन हमको इसका विकल्प ढूढ़ना होगा.

राष्ट्रपति ने कहा कि हाइड्रोकार्बन उर्जा ने पिछले कुछ शतकों में विश्व का परिदृश्य बदल कर रख दिया है, लेकिन अब ये हमारे असतित्व के लिए ही खतरा बन गया है.

पढ़ें- नोएडा: जिसने दुनिया नहीं देखी, उस पर भी कहर बरपा रहा प्रदूषण!

राष्ट्रपति भवन में हुए इस सम्मेलन में 23 भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों (आईआईटी), 31 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईईएसटी), शिबपुर के निदेशकों ने हिस्सा लिया.

राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार द्वारा ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधारने का प्रयास करने के बाद अब उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए ‘ईज ऑफ लिविंग’ में सुधार लाना है.

निदेशकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि मैं इस बात को आश्वस्त हूं की आप के संस्थान इसमें अहम योगदान दे सकते हैं. सरकार ने शोध और खोज करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च तक रही हे. ताकि हमारे लोगों का कल बेहतर हो सके.

नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में मौजूद जहरीली वायु के खतरे को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति भवन में आईआईटी, एनआईटी और IIEST के निदेशकों की बैठक बुलाई. इस दौरान उन्होनें वैज्ञीनिकों से विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं भविष्य में पर्यावरण के प्रति खतरे से जागरूक करें और उन्हें संवेदनशील बनाएं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को विश्वास जताया कि आईआईटी और एनआईटी अपनी विशेषज्ञता के माध्यम से वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढ लेंगे.

IIT, NIT और IIEST के निदेशकों की बैठक को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह वर्ष का ऐसा वक्त है जब देश की राजधानी और कई अन्य शहरों की वायु गुणवत्ता मानकों से परे काफी खराब हो गई है. कई वैज्ञानिकों ने भविष्य की दुखद तस्वीर पेश की है. शहरों में धुंध और खराब दृश्यता के दिनों में हमें डर रहता है कि क्या भविष्य ऐसा ही है.

उन्होने कहा कि यह संकट का समय है.जब कि न सिर्फ राजधानी दिल्ली बल्कि अन्य शहरों की भी वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो गई है. लेकिन हमको इसका विकल्प ढूढ़ना होगा.

राष्ट्रपति ने कहा कि हाइड्रोकार्बन उर्जा ने पिछले कुछ शतकों में विश्व का परिदृश्य बदल कर रख दिया है, लेकिन अब ये हमारे असतित्व के लिए ही खतरा बन गया है.

पढ़ें- नोएडा: जिसने दुनिया नहीं देखी, उस पर भी कहर बरपा रहा प्रदूषण!

राष्ट्रपति भवन में हुए इस सम्मेलन में 23 भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों (आईआईटी), 31 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईईएसटी), शिबपुर के निदेशकों ने हिस्सा लिया.

राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार द्वारा ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधारने का प्रयास करने के बाद अब उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए ‘ईज ऑफ लिविंग’ में सुधार लाना है.

निदेशकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि मैं इस बात को आश्वस्त हूं की आप के संस्थान इसमें अहम योगदान दे सकते हैं. सरकार ने शोध और खोज करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च तक रही हे. ताकि हमारे लोगों का कल बेहतर हो सके.

Intro:New Delhi: Being aware of the prevailing toxic air in Delhi and NCR, President Ramnath Kovind on Tuesday has called scientists to crate a sensitivity and awareness among students and researchers towards common future.

Addressing the meeting of Directors of IITs, NITs and IIESTs, President Kovind said, "Many scientists and futurologists have painted a doomsday scenario. On days of smog and poor visibility in our cities, we fear the future might already be here...I am sure that your institutes, with your various specializations, will take care to create a sensitivity and awareness among students and researchers towards our common future."


Body:He said that this is that time of the fear when the air quality of the national capital as well as many other cities worsens beyond all norms...yet we will have to find alternatives.

He said that hydrocarbon energy changed the face of the world in the last couple of centuries, "but now it is threatening our very existence."

Kovind said that improving urban infrastructure, making water supply systems efficient, making healthcare delivery more effective-there are countless ways technology can make dramatic difference in the life of an average Indian.

As many as 23 directors of IITs, 31 from National Institute of Technology and Indian Institute of Engineering, Science and Technology att3nded the meeting with President Kovind here at Rastrapati Bhawan.

Emphasising about Government of India's efforts to improve India's ranking in the Ease of Doing Business Index, Kovind said that now the government aims to improve the Ease of living for all citizens.

"I am confident that your institutes can make the most crucial contributions to this cause. The government has provided more and more incentives for innovations and technology incubation, so that all the citizens can hope for a better tomorrow," said President Kovind while addressing the Directors.


Conclusion:He also emphasised for women empowerment in this domain.

"Science and Technology become more human when there are more women practitioners. I am happy to learn that your institutes have been striving to improve the gender ratio...The number of women faculty in your institutes is still very low. I am sure this issue will get the attention it deserves from all of you," said Kovind.

end.
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