नई दिल्ली : भाई-बहन के पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन के लिए बाजार में हर साल अलग-अलग रंग और डिजाइन की राखियां देखने को मिलती हैं, लेकिन इस बार बहने अपने भाई के लिए बेहद ही खास राखी तैयार कर रही हैं. जो पर्यावरण को समर्पित तो है ही, साथ ही अपने देश की मिट्टी से बनी हुई है. जी हां इस साल रक्षाबंधन के लिए बहन अपने भाई के लिए मिट्टी की राखियां बना रही हैं, जो इको फ्रेंडली और ऑर्गेनिक राखी है. वहीं विश्व हिंदू परिषद की हिमाचल इकाई द्वारा चीन की राखियों का बहिष्कार कर 50 हजार स्वनिर्मित राखियां बना कर तैयार की जा रही हैं. यह राखियां कोरोना ड्यूटी पर तैनात कोरोना वॉरियर्स और सेना के जवानों को लेह-लद्दाख भेजी जाएंगी.
मिट्टी में बीज डालकर बनाई जा रही है राखी
चीनी सामान के विरोध में दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की तरफ से इको फ्रेंडली मिट्टी की राखियां बनवाई जा रही है और इन राखियों को बनाने में ना केवल मिट्टी का बल्कि बीजों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है. मिट्टी के अंदर बीज डालकर उसे सुखाकर और फिर उसे सुंदर तरीके से डिजाइन कर, राखी तैयार की जा रही है, जिसे देखकर यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि यह राखी मिट्टी की बनी हुई है.
अलग-अलग पौधों के बीजों से बनाई जा रहीं राखियां
मिट्टी की राखी बना रही सारिका ने बताया कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर होने की बात से उन्होंने खुद अपने भाई के लिए मिट्टी की राखी बनाने के बारे में सोचा. हम नहीं चाहते कि इस साल हमारे भाई की कलाई पर चीनी राखी बंधे. इसलिए हमने यह आर्गेनिक मिट्टी की राखी बनाई है. जिसमें हमने तुलसी, पुदीना, नींबू आदि के बीज डाले हैं. इस राखी के बीज अलग-अलग राज्यों के किसानों से लिए हैं, पुणे, महाराष्ट्र साउथ इंडिया, से इन बीजों को मंगवाया गया. जिसके बाद टमाटर, खीरा, मिर्च, पुदीना, नींबू आदि अलग-अलग बीजों से राखियां तैयार करवाई जा रही हैं.
हिमाचल में तैयार सैनिक भाईयों के लिए राखी
हिमांचल के विश्व हिंदू परिषद के प्रांताध्यक्ष लेखराज राणा ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद के आयाम मातृशक्ति और दुर्गा वाहिनी ने स्वनिर्मित राखियां बनाने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि यह राखियां देश की सीमा पर डटे सेना के जवानों और कोरोना वॉरियर्स को भेजी जाएंगी. राणा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मंडी और बिलासपुर जिला में भी राखियां तैयार की जा रही हैं. उन्होंने आम जनता से भी आग्रह किया है कि चीन निर्मित किसी भी वस्तु का इस्तेमाल ना करें.
लेखराज राणा ने कहा कि देश के लोगों के लिए चीन का सामान खरीदना दुश्मनों के हाथ में बंदूक देने के समान है. इस अभियान का मकसद चीन के समान का बहिष्कार करने के साथ चीन की आर्थिक व्यवस्था को गिराना भी है. उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश के अंदर इस समय विश्व हिंदू परिषद द्वारा 50 हजार से अधिक राखियां तैयार की जा रही हैं और पंडोह से आर्मी के ट्रकों और अन्य माध्यम से भारत-चीन बॉर्डर पर लड़ाई लड़ रहें सेना के जवानों को भेजी जाएंगी.
पढ़ें - उम्मीद की राखी : लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुईं महिलाओं ने बनाई राखी
विश्व हिंदू परिषद हिमाचल प्रदेश की सदस्य बबली ठाकुर ने बताया कि चीन की कायराना हरकत के बाद विश्व हिंदू परिषद ने निर्णय लिया है कि चीन की निर्मित कोई भी वस्तु नहीं खरीदी जाएगी. उन्होंने कहा कि राखी के त्यौहार के लिए विश्व हिंदू परिषद द्वारा 50 हजार राखियां घर-घर तैयार की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि यह राखियां वीर जवानों को बॉर्डर पर भेजी जाएंगी और इसके साथ जो भी कोरोना वॉरियर्स की ड्यूटी मे तैनात हैं, उन्हें भी यह राखियां भेजी जाएंगी.