नई दिल्ली : चौदह दिन के तूफानी संसद सत्र के दौरान 25 बिल पास कराने वाली एनडीए अपने दूसरे एजेंडे पर चल पड़ी है. यह एजेंडा है जनसंख्या कानून लाने का और भाजपा भीतर ही भीतर इस मुहिम में जुट गई है. भाजपा पार्टी के भीतर और एनडीए के भीतर ही इस मुद्दे पर एक राय बनाने की कोशिश कर रही है, जिससे कानून लाने के बाद एलायंस के भीतर से कोई विरोध न उठ पाए. जाहिर है कृषि बिल पर अकाली दल के सरकार छोड़ने के बाद सरकार भी कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती. इसीलिए भाजपा अपने संगठन और अपने घटक दलों के बीच आम राय बनाना चाहती है, जिससे जब बिल आए, तो एलायंस में कोई हंगामा न हो.
जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भाजपा 2014 से पहले से ही कानून बनाने की मांग उठा रही थी जब वह विपक्ष में थी मगर नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री के पहले कार्यकाल में इस मसले पर सरकार ने दिलचस्पी नहीं दिखाई, लेकिन 2019 में दोबारा चुनी गई मोदी सरकार के कुछ मंत्री गाहे-बगाहे इस पर बयानबाजी करते नजर आए.
मानसून सत्र के दौरान भाजपा सांसद उदय प्रताप सिंह और निशिकांत दुबे ने इसे सत्र में दोबारा उठाया और सरकार से इसपर जल्द कानून लाने की मांग की.
मानसून सत्र से पहले भी भाजपा और अलग- अलग पार्टी के 125 सांसदों ने भी एक मेमोरेंडम बनाकर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने संबंधी ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंपा था. सरकार इस कानून पर जल्दी ही मसौदा तैयार करने में जुटी है और भाजपा की अगली मुहिम भी इसी मुद्दे पर होने की संभावना है.
क्या सरकार का अगला एजेंडा जनसंख्या नियंत्रण कानून को लाना है अगर देखा जाए तो इस पर पहले विपक्ष बवाल मचा चुका है, लेकिन एनडीए खेमे की पार्टियां हमेशा से इसका समर्थन करती आई है और अब इस मुद्दे को अधिकारिक प्लेटफार्म पर भी जोर-शोर से उठाया जा रहा है.
कुछ महीने पहले भाजपा सांसदों की पहल पर टीडीपी, शिवसेना,और कुछ अन्य दलों के 125 सांसदों के साथ मिलकर सभी सांसदों ने राष्ट्रपति को ज्ञापन देकर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग की थी. उसके बाद इस मानसून सत्र में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और उदय प्रताप सिंह ने सरकार से मांग करते हुए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग की और साथ ही देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की भी मांग उठाई गई.
इस मुहिम में पहल कर रहे सांसद उदय प्रताप सिंह ने ईटीवी भारत से फोन पर बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि मुझे सरकार पर पूरा भरोसा है और जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अन्य समस्याओं का निराकरण किया है. उसी तरह इस समस्या का भी निराकरण करेंगे.
उन्होंने बताया कि मैं 2008 में जब पहली बार सांसद बन कर आया तब से ही मैं जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की मांग कर रहा हूं मैं अपने क्षेत्र में भी इस पर अभियान चलाने के माध्यम से लोगों को जागरूक करता रहता हूं. मेरे जीवन का लक्ष्य है कि देश में हर हाल में जनसंख्या पर नियंत्रण होना चाहिए.
इस सवाल पर कि क्या सांसद ने जो ड्राफ्ट तैयार कर राष्ट्रपति को सौंपा था. उसमें दो से ज्यादा बच्चों पर कानूनी सजा और का भी प्रावधान किया गया था तो यह कितना संभव हो पाएगा. इस पर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि वह इस बात से सहमत नहीं है वह सजा जैसे प्रावधान की बात नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि इस पर कानून ऐसा बनाया जाए जिसे लोग पालन करें सजा के प्रावधान पर मैं सहमत नहीं हूं, जब तक कानून में प्रावधान नहीं होगा तब तक लोग इस बात को लेकर गंभीर नहीं होंगे.
उन्होंने कहा कि जब तक इस देश को 100 करोड़ के अंदर नहीं लाएंगे, तब तक देश के संसाधनों का उचित स्मार्ट इस्तेमाल नहीं हो पाएगा.
उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस पर सरकार जल्द ही कार्रवाई करेगी कई दलों के साथ मिलकर भी हमने राष्ट्रपति से भी गुहार लगाई थी और संसद में भी यह बात उठाई मुझे ऐसा लगता है कि सरकार इस पर गंभीर है और जल्द ही इस पर कार्रवाई करेगी और यह कानून आएगा, जहां तक बात यूनिफॉर्म सिविल कोड की है जब हमें एक देश एक विधान की बात कर रहे हैं तो मुझे लगता है इन चीजों पर भी काम करने की अब आवश्यकता है.
मगर यहां सवाल यह उठता है कि 2014 में ही नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद दो बच्चों के नियम सरकारी नौकरियों के लिए बनाए जाने पर चर्चा की शुरुआत हुई थी, जिस पर बाद में भाजपा ने चुप्पी साध ली थी तो क्या इन सांसदों के पीछे भाजपा का कुछ एजेंडा भी काम कर रहा है और भाजपा खुद सामने न आकर अलग-अलग सांसदों के माध्यम से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रही है.
वहीं इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में सवाल उठाते हुए कहा था कि जो मजदूरों की एक बड़ी समस्या है. वह जनसंख्या नियंत्रण और मैं सरकार से अपील करता हूं कि जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना बहुत जरूरी है. अनुच्छेद 370 के बाद मेरी सरकार से अपील है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण कानून को लाना चाहिए और इस देश को और उसकी डेमोग्राफी को छेड़छाड़ होने से बचाना चाहिए.
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी और सरकार दोनों ही अब जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने पर धीरे-धीरे गंभीर हो रही हैं और पार्टी से अभियान के तौर पर मुनीम की शक्ल दे रही है.