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लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ पर पीओके के नेता भी भड़के

पीओके के नेता सरदार शौकत अली कश्मीरी ने लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ की कड़ी निंदा की है. यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) के अध्यक्ष शौकत अली ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच मौजूदा गतिरोध को क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया है. पढ़ें पूरी खबर...

Sardar Shaukat Ali Kashmiri
सरदार शौकत अली कश्मीरी
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Published : Jun 12, 2020, 10:13 AM IST

बर्न : पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के निर्वासित नेता सरदार शौकत अली कश्मीरी ने लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ की कड़ी निंदा की है. यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) के अध्यक्ष शौकत अली कश्मीरी ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच मौजूदा गतिरोध और बढ़ते तनाव को क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए संवेदनशील और खतरनाक बताया है.

उन्होंने कहा कि 1947 में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राजा स्वतंत्रता चाहते थे, लेकिन पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का सम्मान नहीं किया और 22 अक्टूबर, 1947 को जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण कर दिया. जिसके परिणाम स्वरूप जबरन विभाजन और विनाश हुआ, जो आज तक जारी है.

शौकत कश्मीरी ने कहा कि 1950 में चीन ने लद्दाख के उत्तरपूर्वी हिस्से में अक्साई चिन से लगती सीमा पर एक सड़क का निर्माण शुरू किया था. उस सड़क को अब एनएच 219 कहा जाता है, यह सिर्फ बजरी का फुटपाथ था, जिसे चीन ने 1950 के दशक के मध्य में बनाया था. चीन ने तब से अक्साई चिन में अपनी उपस्थिति का विस्तार जारी रखा. उन्होंने आगे कहा कि 1962 में चीन ने भारत-चीन युद्ध के दौरान जम्मू-कश्मीर के और अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया.

साल 1963 में पाकिस्तानी सैन्य शासक जनरल अय्यूब खान ने जम्मू और कश्मीर की हजारों वर्ग मील भूमि चीन को उपहार में दे दी थी.

पढ़ें- लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक भारत-चीन ने सीमा पर बढ़ाई सैनिकों की तैनाती

UKPNP अध्यक्ष शौकत कश्मीरी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान का कोई अधिकार नहीं है। उसे हमारे क्षेत्र के दोबारा विभाजन और कब्जे की साजिशों से दूर रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक ही समय में चीन-पाकिस्तान संबंध सरल और जटिल भी हैं। चीन ने कभी भी पाकिस्तान के साथ एक समान स्टैंड नहीं लिया और न ही उसने कभी पाकिस्तान का युद्ध में सहयोग किया. इसके उलट अमेरिका के साथ पाकिस्तान के खंडित संबंधों ने सैन्य सहयोग को बढ़ाया और अब यह चीन पर बहुत निर्भर है.

उन्होंने आगे कहा, "यही कारण है कि गिलगित-बाल्टिस्तान और PoK के विवादित क्षेत्रों में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) और अन्य मेगा परियोजनाओं के निर्माण के लिए पाकिस्तान ने चीन को खुली छूट दी. जबकि पाकिस्तान के संविधान के अनुसार ये क्षेत्र न तो पाकिस्तान के हिस्से हैं और न ही स्वतंत्र क्षेत्र हैं, बल्कि विवादित क्षेत्र और पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य का हिस्सा हैं."

बर्न : पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के निर्वासित नेता सरदार शौकत अली कश्मीरी ने लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ की कड़ी निंदा की है. यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) के अध्यक्ष शौकत अली कश्मीरी ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच मौजूदा गतिरोध और बढ़ते तनाव को क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए संवेदनशील और खतरनाक बताया है.

उन्होंने कहा कि 1947 में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राजा स्वतंत्रता चाहते थे, लेकिन पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का सम्मान नहीं किया और 22 अक्टूबर, 1947 को जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण कर दिया. जिसके परिणाम स्वरूप जबरन विभाजन और विनाश हुआ, जो आज तक जारी है.

शौकत कश्मीरी ने कहा कि 1950 में चीन ने लद्दाख के उत्तरपूर्वी हिस्से में अक्साई चिन से लगती सीमा पर एक सड़क का निर्माण शुरू किया था. उस सड़क को अब एनएच 219 कहा जाता है, यह सिर्फ बजरी का फुटपाथ था, जिसे चीन ने 1950 के दशक के मध्य में बनाया था. चीन ने तब से अक्साई चिन में अपनी उपस्थिति का विस्तार जारी रखा. उन्होंने आगे कहा कि 1962 में चीन ने भारत-चीन युद्ध के दौरान जम्मू-कश्मीर के और अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया.

साल 1963 में पाकिस्तानी सैन्य शासक जनरल अय्यूब खान ने जम्मू और कश्मीर की हजारों वर्ग मील भूमि चीन को उपहार में दे दी थी.

पढ़ें- लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक भारत-चीन ने सीमा पर बढ़ाई सैनिकों की तैनाती

UKPNP अध्यक्ष शौकत कश्मीरी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान का कोई अधिकार नहीं है। उसे हमारे क्षेत्र के दोबारा विभाजन और कब्जे की साजिशों से दूर रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक ही समय में चीन-पाकिस्तान संबंध सरल और जटिल भी हैं। चीन ने कभी भी पाकिस्तान के साथ एक समान स्टैंड नहीं लिया और न ही उसने कभी पाकिस्तान का युद्ध में सहयोग किया. इसके उलट अमेरिका के साथ पाकिस्तान के खंडित संबंधों ने सैन्य सहयोग को बढ़ाया और अब यह चीन पर बहुत निर्भर है.

उन्होंने आगे कहा, "यही कारण है कि गिलगित-बाल्टिस्तान और PoK के विवादित क्षेत्रों में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) और अन्य मेगा परियोजनाओं के निर्माण के लिए पाकिस्तान ने चीन को खुली छूट दी. जबकि पाकिस्तान के संविधान के अनुसार ये क्षेत्र न तो पाकिस्तान के हिस्से हैं और न ही स्वतंत्र क्षेत्र हैं, बल्कि विवादित क्षेत्र और पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य का हिस्सा हैं."

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