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गंभीर बीमारी से पीड़ित है UP की ललिता, इलाज के लिए PMO ने मंजूर किए 30 लाख रुपए

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Published : Jun 24, 2019, 6:09 PM IST

Updated : Jun 24, 2019, 9:53 PM IST

बीमारी से जूझ रही बच्ची के पिता ने पीएम से पैसे की मदद मांगी. सुमेर सिंह ने पीएम को पत्र लिखकर इलाज के लिए पैसे मांगे थे. पीएम ने बीमार बच्ची के लिए 30 लाख रुपए मंजूर कर दिए हैं. पढ़ें पूरी खबर....

बीमारी से जूझ रही बच्ची के पिता ने पीएम से पैसे की मदद मांगी

आगराः पीएम मोदी ने एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित बच्ची के इलाज के लिए 30 लाख के अनुदान को मंजूरी दी है.

मामला जिले के जलेसर रोड पुरा लोधी का है. जहां एक मजदूर के पास रुपये नहीं होने के कारण वह अपनी बेटी का बोन मैरो ट्रांसप्लांट नहीं करवा पा रहा है. इसलिए किशोरी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है. गरीब पिता सुमेर सिंह ने अपनी जमीन बिकवा दी, और घर भी गिरवी रखवा दिया.

बेटी के इलाज के लिए सुमेर सिंह ने हर संभव प्रयास किया लेकिन कोई उम्मीद न हासिल हो सकी.

आखिरकार पिता ने पीएम से बच्ची के इलाज की गुहार लगाई, और पीएम को पत्र लिखा. ललिता नाम की बच्ची के पिता ने या तो बेटी के इलाज के लिए पैसे मांगे या फिर इच्छा मृत्यु की अनुमति.

पीएम को इलाज के लिए लगाई गई गुहार में पिता ने लिखा, 'मुझे अपनी बेटी के इलाज के लिए सरकार से मदद की जरूरत है. मैंने अपनी जमीन बेच दी. मेरा घर गिरवी है. मैं इलाज के लिए पहले ही सात लाख रुपए खर्च कर चुका हूं. अगर वह ठीक नहीं हुई तो मैं मरना पसंद करूंगा.'

बीमार बच्ची के इलाज के लिए पिता ने पीएम को लिखा था पत्र

याचिका का जवाब देते हुए मोदी कार्यालय ने राष्ट्रीय राहत कोष से पैसा जारी किया है.

ललिता के पिता सुमेर सिंह ने कहा, जयपुर के हॉस्पिटल ने मुझे बताया कि बच्ची को जिंदा रहने के लिए पिता से बोन मैरो की जरूरत थी. उन्होंने मुझे एक ऑपरेशन की लागत तकरीबन 10 लाख बताई.

पिता ने परिवार सहित की इच्छामृत्यु की मांग

  • जिले के जलेसर रोड पुरा लोधी इलाके का निवासी सुमेर सिंह मजदूरी करता है, और इससे ही परिवार का गुजर बसर हो रहा है.
  • पिछले दो साल से सुमेर अपनी 16 साल की बेटी ललिता का इलाज करा के थक चुका है.
  • ललिता को एप्लास्टिक अनीमिया नाम की गंभीर बीमारी है. जिसमे शरीर मे खून बनना बंद हो जाता है .
  • इस बीमारी में पीड़ित को जिंदा रखने के लिए हफ्ते में एक बार खून चढ़ाया जाता है.
  • इसी के चलते सुमेर सिंह अब तक लाखों रुपए बेटी के इलाज में खर्च कर चुके हैं.
  • पीड़ित पिता ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा जिसके बाद प्रधानमंत्री राहत कोष से 3 लाख रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गई.
  • यह राशि जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में ट्रांसफर भी कर दी गई, लेकिन पीड़ित बेटी को राहत नहीं मिली.
  • आयुष्मान योजना केंद्र पहुंचने के बाद लिस्ट में नाम न होने से इलाज के लिये कार्ड नहीं बना और न ही इलाज मिल सका.
  • हर तरफ से निराश पिता ने सरकार से बेटी के लिए इलाज या फिर परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मांग की है.

मुख्य चिकित्साधिकारी मुकेश कुमार वत्स ने बताया कि अगर परिवार हमसे मुलाकात करता है तो हम हर सम्भव मदद करने के लिए तैयार हैं. जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री राहत कोष तक से इलाज कराया जा सकता है. बेटी के लिए खून की कमी भी नहीं होने दी जाएगी.

आपको बता दें एप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी स्थिति है, जब शरीर में नए ब्लड सेल्स बनना बंद हो जाते हैं. साथ ही बोन मैरो नष्ट होना शुरू हो जाता है. यह व्यक्ति को संक्रमण और अनियंत्रित रक्तस्त्राव के जोखिम में डाल देता है.

इससे पहले 2016 में भी पीएम मोदी ने गरीबी के जाल में फंसे परिवार की मासूम वैशाली के बीमारी के चलते मुफ्त इलाज करवाया था.

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वैशाली ने मदद लिए पीएम को लिखा था पत्र

पुणे की 6 वर्षीय बच्ची वैशाली पीएम को पत्र लिखा था.

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पुणे की वैशाली ने भी लिखा था पीएम को पत्र

दरअसल वैशाली के दिल में छेद था. पीएम ने वैशाली की तत्काल मदद के लिए पुणे के जिला प्रशासन को अलर्ट किया, जिसके बाद लड़की को रूबी हॉल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां दो जून को उसका निःशुल्क ऑपरेशन कराया गया.

बता दें, स्वस्थ होने के बाद वैशाली ने पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी.

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पुणे की वैशाली स्वस्थ होने के बाद पीएम से मिली थी

आगराः पीएम मोदी ने एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित बच्ची के इलाज के लिए 30 लाख के अनुदान को मंजूरी दी है.

मामला जिले के जलेसर रोड पुरा लोधी का है. जहां एक मजदूर के पास रुपये नहीं होने के कारण वह अपनी बेटी का बोन मैरो ट्रांसप्लांट नहीं करवा पा रहा है. इसलिए किशोरी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है. गरीब पिता सुमेर सिंह ने अपनी जमीन बिकवा दी, और घर भी गिरवी रखवा दिया.

बेटी के इलाज के लिए सुमेर सिंह ने हर संभव प्रयास किया लेकिन कोई उम्मीद न हासिल हो सकी.

आखिरकार पिता ने पीएम से बच्ची के इलाज की गुहार लगाई, और पीएम को पत्र लिखा. ललिता नाम की बच्ची के पिता ने या तो बेटी के इलाज के लिए पैसे मांगे या फिर इच्छा मृत्यु की अनुमति.

पीएम को इलाज के लिए लगाई गई गुहार में पिता ने लिखा, 'मुझे अपनी बेटी के इलाज के लिए सरकार से मदद की जरूरत है. मैंने अपनी जमीन बेच दी. मेरा घर गिरवी है. मैं इलाज के लिए पहले ही सात लाख रुपए खर्च कर चुका हूं. अगर वह ठीक नहीं हुई तो मैं मरना पसंद करूंगा.'

बीमार बच्ची के इलाज के लिए पिता ने पीएम को लिखा था पत्र

याचिका का जवाब देते हुए मोदी कार्यालय ने राष्ट्रीय राहत कोष से पैसा जारी किया है.

ललिता के पिता सुमेर सिंह ने कहा, जयपुर के हॉस्पिटल ने मुझे बताया कि बच्ची को जिंदा रहने के लिए पिता से बोन मैरो की जरूरत थी. उन्होंने मुझे एक ऑपरेशन की लागत तकरीबन 10 लाख बताई.

पिता ने परिवार सहित की इच्छामृत्यु की मांग

  • जिले के जलेसर रोड पुरा लोधी इलाके का निवासी सुमेर सिंह मजदूरी करता है, और इससे ही परिवार का गुजर बसर हो रहा है.
  • पिछले दो साल से सुमेर अपनी 16 साल की बेटी ललिता का इलाज करा के थक चुका है.
  • ललिता को एप्लास्टिक अनीमिया नाम की गंभीर बीमारी है. जिसमे शरीर मे खून बनना बंद हो जाता है .
  • इस बीमारी में पीड़ित को जिंदा रखने के लिए हफ्ते में एक बार खून चढ़ाया जाता है.
  • इसी के चलते सुमेर सिंह अब तक लाखों रुपए बेटी के इलाज में खर्च कर चुके हैं.
  • पीड़ित पिता ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा जिसके बाद प्रधानमंत्री राहत कोष से 3 लाख रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गई.
  • यह राशि जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में ट्रांसफर भी कर दी गई, लेकिन पीड़ित बेटी को राहत नहीं मिली.
  • आयुष्मान योजना केंद्र पहुंचने के बाद लिस्ट में नाम न होने से इलाज के लिये कार्ड नहीं बना और न ही इलाज मिल सका.
  • हर तरफ से निराश पिता ने सरकार से बेटी के लिए इलाज या फिर परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मांग की है.

मुख्य चिकित्साधिकारी मुकेश कुमार वत्स ने बताया कि अगर परिवार हमसे मुलाकात करता है तो हम हर सम्भव मदद करने के लिए तैयार हैं. जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री राहत कोष तक से इलाज कराया जा सकता है. बेटी के लिए खून की कमी भी नहीं होने दी जाएगी.

आपको बता दें एप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी स्थिति है, जब शरीर में नए ब्लड सेल्स बनना बंद हो जाते हैं. साथ ही बोन मैरो नष्ट होना शुरू हो जाता है. यह व्यक्ति को संक्रमण और अनियंत्रित रक्तस्त्राव के जोखिम में डाल देता है.

इससे पहले 2016 में भी पीएम मोदी ने गरीबी के जाल में फंसे परिवार की मासूम वैशाली के बीमारी के चलते मुफ्त इलाज करवाया था.

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वैशाली ने मदद लिए पीएम को लिखा था पत्र

पुणे की 6 वर्षीय बच्ची वैशाली पीएम को पत्र लिखा था.

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पुणे की वैशाली ने भी लिखा था पीएम को पत्र

दरअसल वैशाली के दिल में छेद था. पीएम ने वैशाली की तत्काल मदद के लिए पुणे के जिला प्रशासन को अलर्ट किया, जिसके बाद लड़की को रूबी हॉल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां दो जून को उसका निःशुल्क ऑपरेशन कराया गया.

बता दें, स्वस्थ होने के बाद वैशाली ने पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी.

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पुणे की वैशाली स्वस्थ होने के बाद पीएम से मिली थी
Intro:आगरा.
आर्थिक तंगहाली और बेटी की बीमारी के उपचार में मकान बिक जाने पर आहत परिवार ने सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग की है. रुपए नहीं होने से किशोरी का बोन मैरो ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहा है. इसलिए किशोरी जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है. बीमार बेटी के इलाज के चलते पिता कर्जदार हो गया और बेटी को चारपाई पर तड़पता देखता है तो गरीबी के चलते कुछ कर नहीं पा रहा है. इसलिए बीमार किशोरी और उसके पिता ने परिवार सहित योगी सरकार से इच्छामृत्यु की मांग की है. Body:मामला जलेसर रोड पुरा लोधी का है सुमेर सिंह मजदूरी करता है। इससे ही परिवार परिवार की गुजर बसर कर रहा है. पिछले दो साल से सुमेर अपनी 16 साल की बेटी ललिता का इलाज करा करा कर थक गया है. ललिता को एप्लास्टिक अनीमिया नाम की गंभीर बीमारी है. जिसमे शरीर मे खून बनना बंद हो जाता है और पीड़ित को जिंदा रखने के लिए हफ्ते में एक बार खून चढ़ाया जाता है. इसी के चलते सुमेर सिंह अब तक लाखो रुपए बेटी के इलाज में खर्च करा चुके है.और आगरा में फाउंड्री नगर के गोकुल नगर में अपने रिश्तेदार के यहाँ रकेह रहे है.बेटी को तड़पता देखकर और कोई राहत न मिलने पर सुमेर सिंह के एक परिचित उन्हें अलीगढ के सांसद राजवीर सिंह के पास लेकर पहुंचे जहां से उनकी मदद के रूप में जो मदद मिल सकती थी. वो तो मिली लेकिन उससे भी राहत नही मिली. जिसके बाद पीड़ित पिता ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा जिसके बाद प्रधानमंत्री राहत कोष से 3 लाख रुपए की सहायता राशि स्वीकृत की गई और जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल को पैसा भी ट्रांसफर कर दिया गया लेकिन पीड़ित बेटी को राहत नही मिली.

पीड़ित पिता सुमेर सिंह ने बताया कि बीमार बेटी के उपचार के लिए एसएमएस हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने 10 लाख का खर्चा बताया. डॉक्टरों का कहना था कि बॉर्नमेरो बदलना पड़ेगा तब जाकर बेटी की जान बच सकेगी. डॉक्टरों ने पीड़ित पिता से 7 लाख और लाने के बाद ही इलाज करने के लिए बोला.पीड़ित का कहना है कि कई बार हॉस्पिटल जाने के बाद भी कोई मदद नही मिली. जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में राहत कोष से आये 3 लाख रुपए पिछले साल सितंबर 2018 में ट्रांसफर हुए थे, लेकिन इलाज आज तक नहीं मिल पाया है.

आयुष्मान योजना भी इस परिवार का सहारा नहीं
सुमेर सिंह आयुष्मान योजना केंद्र पहुंचे, तो वहाँ भी निराश ही हाथ लगी. लिस्ट में नाम न होने से कार्ड नहीं बन सका और न ही इलाज मिल सका.हर तरफ से निराश हो चुके पिता और उनकी बीमार बेटी योगी सरकार से मदद की उम्मीद लागये बैठे है. पिता ने जहां सरकार से बेटी के लिए इलाज या परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मांग की है. तो बेटी भी पिता की हालत देख भगवान से अपने लिए मौत मांग रही है.
इस पूरे मामले पर जब मुख्य चिकित्साधिकारी मुकेश कुमार वत्स से बात की गई तो उनका कहना था कि अगर परिवार उनसे मुलाकात करता है तो वो हर सम्भव मदद करने के लिए तैयार है।जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री राहत कोष तक से इलाज कराया जा सकता है. बेटी के लिए खून की कमी भी नहीं होने दी जाएगी.Conclusion:एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित बेटी के उपचार के लिए पिता ने मकान बेच दिया. परिवार कियारे के मकान में रह रहा है. पीड़ित बेटी के उपचार के लिए 10 लाख रुपए की जरूरत है, क्योंकि किशोरी का बोनमैरो ट्रांसप्लांट होना है. रुपए नहीं होने से परिवार घर में चारपाई पर लेटी तिल तिल मर रही बेटी को देख कर सरकार से इच्छामृत्यु की गुहार लगा रहा है. बेटी भी बीमारी के आहत है और वह भी परिवार की खुशी के लिए इच्छा मृत्यु की मांग कर रही है.

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सभी की बाइट नाम से भेजी हैं.

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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
Last Updated : Jun 24, 2019, 9:53 PM IST
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