आगराः पीएम मोदी ने एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित बच्ची के इलाज के लिए 30 लाख के अनुदान को मंजूरी दी है.
मामला जिले के जलेसर रोड पुरा लोधी का है. जहां एक मजदूर के पास रुपये नहीं होने के कारण वह अपनी बेटी का बोन मैरो ट्रांसप्लांट नहीं करवा पा रहा है. इसलिए किशोरी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है. गरीब पिता सुमेर सिंह ने अपनी जमीन बिकवा दी, और घर भी गिरवी रखवा दिया.
बेटी के इलाज के लिए सुमेर सिंह ने हर संभव प्रयास किया लेकिन कोई उम्मीद न हासिल हो सकी.
आखिरकार पिता ने पीएम से बच्ची के इलाज की गुहार लगाई, और पीएम को पत्र लिखा. ललिता नाम की बच्ची के पिता ने या तो बेटी के इलाज के लिए पैसे मांगे या फिर इच्छा मृत्यु की अनुमति.
पीएम को इलाज के लिए लगाई गई गुहार में पिता ने लिखा, 'मुझे अपनी बेटी के इलाज के लिए सरकार से मदद की जरूरत है. मैंने अपनी जमीन बेच दी. मेरा घर गिरवी है. मैं इलाज के लिए पहले ही सात लाख रुपए खर्च कर चुका हूं. अगर वह ठीक नहीं हुई तो मैं मरना पसंद करूंगा.'
याचिका का जवाब देते हुए मोदी कार्यालय ने राष्ट्रीय राहत कोष से पैसा जारी किया है.
ललिता के पिता सुमेर सिंह ने कहा, जयपुर के हॉस्पिटल ने मुझे बताया कि बच्ची को जिंदा रहने के लिए पिता से बोन मैरो की जरूरत थी. उन्होंने मुझे एक ऑपरेशन की लागत तकरीबन 10 लाख बताई.
पिता ने परिवार सहित की इच्छामृत्यु की मांग
- जिले के जलेसर रोड पुरा लोधी इलाके का निवासी सुमेर सिंह मजदूरी करता है, और इससे ही परिवार का गुजर बसर हो रहा है.
- पिछले दो साल से सुमेर अपनी 16 साल की बेटी ललिता का इलाज करा के थक चुका है.
- ललिता को एप्लास्टिक अनीमिया नाम की गंभीर बीमारी है. जिसमे शरीर मे खून बनना बंद हो जाता है .
- इस बीमारी में पीड़ित को जिंदा रखने के लिए हफ्ते में एक बार खून चढ़ाया जाता है.
- इसी के चलते सुमेर सिंह अब तक लाखों रुपए बेटी के इलाज में खर्च कर चुके हैं.
- पीड़ित पिता ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा जिसके बाद प्रधानमंत्री राहत कोष से 3 लाख रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गई.
- यह राशि जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में ट्रांसफर भी कर दी गई, लेकिन पीड़ित बेटी को राहत नहीं मिली.
- आयुष्मान योजना केंद्र पहुंचने के बाद लिस्ट में नाम न होने से इलाज के लिये कार्ड नहीं बना और न ही इलाज मिल सका.
- हर तरफ से निराश पिता ने सरकार से बेटी के लिए इलाज या फिर परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मांग की है.
मुख्य चिकित्साधिकारी मुकेश कुमार वत्स ने बताया कि अगर परिवार हमसे मुलाकात करता है तो हम हर सम्भव मदद करने के लिए तैयार हैं. जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री राहत कोष तक से इलाज कराया जा सकता है. बेटी के लिए खून की कमी भी नहीं होने दी जाएगी.
आपको बता दें एप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी स्थिति है, जब शरीर में नए ब्लड सेल्स बनना बंद हो जाते हैं. साथ ही बोन मैरो नष्ट होना शुरू हो जाता है. यह व्यक्ति को संक्रमण और अनियंत्रित रक्तस्त्राव के जोखिम में डाल देता है.
इससे पहले 2016 में भी पीएम मोदी ने गरीबी के जाल में फंसे परिवार की मासूम वैशाली के बीमारी के चलते मुफ्त इलाज करवाया था.
पुणे की 6 वर्षीय बच्ची वैशाली पीएम को पत्र लिखा था.
दरअसल वैशाली के दिल में छेद था. पीएम ने वैशाली की तत्काल मदद के लिए पुणे के जिला प्रशासन को अलर्ट किया, जिसके बाद लड़की को रूबी हॉल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां दो जून को उसका निःशुल्क ऑपरेशन कराया गया.
बता दें, स्वस्थ होने के बाद वैशाली ने पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी.