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आरबीआई के ऋण स्थगन के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका - plea in supreme court on moratorium period of rbi

सर्वोच्च न्यायालय में एक ताजा जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें आरबीआई के 27 मार्च के आदेश को अलग करने की मांग की गई है. पढ़ें विस्तार से....

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शीर्ष न्यायालय
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Published : Jun 2, 2020, 2:33 AM IST

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय में एक ताजा जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें आरबीआई के 27 मार्च के आदेश को अलग करने की मांग की गई है, जिसमें ईएमआई का भुगतान करने के लिए तीन महीने की मोहलत (अब 31 अगस्त तक बढ़ाई गई) तो दी गई है. लेकिन इस अवधि के दौरान ऋण पर ब्याज में कोई कटौती नहीं की गई है.

महाराष्ट्र चैंबर्स ऑफ हाउसिंग इंडस्ट्री (MCHI) द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों की आय प्रभावित हुई है, कुछ बेरोजगार हो गए हैं और आजीविका अर्जित करने में असमर्थ हैं. अधिस्थगन के दौरान ऋण पर ब्याज लगाने से लोन पर ऋण स्थगन की अनुमति देने का उद्देश्य अर्थहीन हो जाएगा.

अचल संपत्ति का कारोबार करने वाले संगठनों का कहना है कि इस क्षेत्र में करोड़ों का ऋण लिया जाता है, जिससे ब्याज से उन पर बोझ बढ़ेगा.

पढ़ें-आरबीआई के नए राहत उपाय: ब्याज दरों में कटौती, ऋण स्थगन बढ़ाने का फैसला

इस मामले में शीर्ष अदालत में पहले भी जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत ने आरबीआई को नोटिस जारी किया था और इसके परिपत्र पर प्रतिक्रिया/स्पष्टीकरण मांगा था.

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय में एक ताजा जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें आरबीआई के 27 मार्च के आदेश को अलग करने की मांग की गई है, जिसमें ईएमआई का भुगतान करने के लिए तीन महीने की मोहलत (अब 31 अगस्त तक बढ़ाई गई) तो दी गई है. लेकिन इस अवधि के दौरान ऋण पर ब्याज में कोई कटौती नहीं की गई है.

महाराष्ट्र चैंबर्स ऑफ हाउसिंग इंडस्ट्री (MCHI) द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों की आय प्रभावित हुई है, कुछ बेरोजगार हो गए हैं और आजीविका अर्जित करने में असमर्थ हैं. अधिस्थगन के दौरान ऋण पर ब्याज लगाने से लोन पर ऋण स्थगन की अनुमति देने का उद्देश्य अर्थहीन हो जाएगा.

अचल संपत्ति का कारोबार करने वाले संगठनों का कहना है कि इस क्षेत्र में करोड़ों का ऋण लिया जाता है, जिससे ब्याज से उन पर बोझ बढ़ेगा.

पढ़ें-आरबीआई के नए राहत उपाय: ब्याज दरों में कटौती, ऋण स्थगन बढ़ाने का फैसला

इस मामले में शीर्ष अदालत में पहले भी जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत ने आरबीआई को नोटिस जारी किया था और इसके परिपत्र पर प्रतिक्रिया/स्पष्टीकरण मांगा था.

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