नई दिल्ली : लोकसभा में कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड और बीपीसीएल के विनिवेश के सरकार के फैसले के खिलाफ में जमकर हंगामा किया. इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों ने भी कांग्रेस का साथ दिया. बीजेपी ने कहा कि एनडीए सरकार के कदम से कई राजनीतिक दलों का राजनीति खत्म हो जाएगी.
प्रेस वार्ता के दौरान केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि एनडीए सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड से भ्रष्टाचार और बदनामी से जुड़ा पैसा जो कई पार्टियों की राजनीति को वर्षों से चलाए जा रहा था, उस पर रोक लग गई है.
गोयल ने कहा कि मोदी सरकार ने पहली बार चुनाव आयोग की सलाह पर कैश में डोनेशन के रूप में दो हजार रुपया से ज्यादा लेने देने पर रोक लगा दी, इससे पहले बीस हजार रूपया तक कैश में डोनेशन दी जा सकती है.
उन्होंने आगे कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के खिलाफ में वही सियासी दल हैं जो चुनाव में काला धन का उपयोग करते हैं. भारतीय जनता पार्टी ने लगातार काले धन पर वार किया है और चुनाव प्रणाली में ईमानदार पैसे को प्रोत्साहन दिया है.
गोयल ने आरोप लगाया कि काफी सालों से कांग्रेस पार्टी तो भ्रष्टाचार में लिप्त है. केंद्र की मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए यह सुनिश्चित किया है कि जो भी पैसा सियासत में आएगा, वह बैंक के माध्यम से आएगा और उसका केवाईसी भी हो.
बता दें, कांग्रेस ने इसे बड़ा घोटाला बताते हुए आरोप लगाया था कि इस योजना में पारदर्शिता की कमी है. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव दिया लेकिन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इसकी स्वीकृति नहीं दी, जिसके बाद कांग्रेस के सांसद नारेबाजी करने लगे और इलेक्टोरल बॉन्ड का चंदा बंद करो और बीपीसीएल को बेचना बंद करो के नारे लगाने लगे.
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लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इलेक्टोरल बॉन्ड के विषय पर कहा कि 2017 से जब इस सरकार ने आम बजट के दौरान अज्ञात इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने का प्रस्ताव रखा तो यह भ्रष्टाचार को ढंकने की कोशिश थी.
बता दें कांग्रेस का कहना है कि चुनावी चंदे की आड़ में सरकार ने भ्रष्टाचार को औपचारिक स्वरूप दे दिया है. कांग्रेसी ने इसकी जेपीसी से जांच की मांग की है.