हैदराबाद : कई देश स्थाई नवीकरणीय ऊर्जा की जरूरत के लिए जीवाश्म ईंधन से दूर जाने की पहल कर रहे हैं. इसी कड़ी में जुलाई 2020 में जर्मनी की संसद ने एक कानून पारित किया, जिसके तहत साल 2038 तक कोयला बिजली संयंत्रों को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है.
जलवायु समझौते का प्रमुख लक्ष्य है कोयला आधारित बिजली को कम करना :
⦁ जलवायु समझौतों के प्रमुख लक्ष्यों में से एक कोयला आधारित बिजली को समाप्त करना है. साल 2015 में पेरिस समझौते में दुनिया के कई देशों ने तापमान में बढ़ोतरी को पूर्व औद्योगिक स्तर से दो डिग्री सेल्सियस से नीचे और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने पर सहमति व्यक्त की थी.
⦁ साफ है कि अगर इस लक्ष्य को पूरा करना है, तो वैश्विक ऊर्जा में कोयले की जो हिस्सेदारी है, उसे साल 2050 तक 73-97% के बीच कम करना होगा. इसका मतलब कोयला खनन की नौकरियां लगभग खत्म करना भी है.
कोयला बिजली को कम/ खत्म करने के लिए तमाम देशों द्वारा की गई पहल पर एक नजर :
ऐसे देश, जो बिजली पैदा करने के लिए कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का उपयोग बंद कर चुके हैं
⦁ बात बेल्जियम की करें, तो यहां 2016 में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को खत्म कर दिया गया है.
⦁ 2020 में अपने अंतिम कोयला आधारित संयंत्रों को बंद करने वाले देशों में अल्बानिया, ऑस्ट्रिया, साइप्रस, एस्टोनिया, आइसलैंड, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, स्वीडन और स्विट्जरलैंड शामिल हैं.
चरणबद्ध तरीके से ऊर्जा जरूरतों के अनुसार कोयले पर निर्भरता कम करने वाले देश और उनके लक्ष्य:
⦁ कनाडा के पर्यावरण मंत्री ने 2016 में घोषणा की थी कि वो साल 2030 तक पूरी तरह से कोयला बिजली का उत्पादन बंद कर देंगे और ऊर्जा संबंधी जरूरतों के लिए स्थाई स्रोतों पर निर्भर रहेंगे.
⦁ ऊर्जा योजना 2050 के अनुसार, चिली की सरकार ने साल 2040 तक 28 बिजली संयंत्रों को बंद करने की बात कही थी. इसका लक्ष्य सौर, पवन, जल विद्युत और महासागरीय ऊर्जा के साथ राष्ट्रीय ऊर्जा के 70 प्रतिशत को पूरा करना था.
⦁ डेनमार्क ने साल 2030 तक अपने तीन कोयला बिजली स्टेशनों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का लक्ष्य रखा है. साथ ही एस्बजर्ग पावर स्टेशन में 2023 तक कोयला का उपयोग चरणबद्ध तरीके से बंद करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
⦁ ब्रिटेन ने 2024 तक अपने अंतिम कोयला बिजली संयंत्र को चरणबद्ध तरीके से बंद करने की योजना बनाई है.
⦁ फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां ने साल 2021 तक अपने सभी कोयला संयंत्रों को बंद करने का संकल्प लिया है.
⦁ इजराइल 2030 तक अपने अंतिम दो कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को बंद करने के लिए प्रतिबद्ध है.
⦁ 2017 में इटली के उद्योग मंत्री ने 2025 तक कोयला बिजली संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने की घोषणा की थी.
⦁ नीदरलैंड अपने बचे हुए पांच बिजली संयंत्रों को 2030 तक बंद कर देगा.
⦁ दक्षिण अफ्रीका कोयले का उपयोग तकरीबन 88 प्रतिशत बिजली पैदा करने के लिए करता है. इस देश ने भी 2050 तक कोयले से छुटकारा पाने का लक्ष्य रखा है.
⦁ स्पेन ने इस साल 30 जून तक अपने कोयला आधारित थर्मल प्लांटों का लगभग आधा संचालन बंद कर दिया था. देश के 15 में से सात संयंत्रों को बंद करने का फैसला लिया गया था.
⦁ अमेरिका में एरिजोना सहित तीन राज्यों ने अपने एक या एक से ज्यादा कोयला संयंत्रों को या तो बंद करने, या फिर उसके स्थानांतरण की योजना की घोषणा की है.
⦁ जापान ने वर्ष 2030 तक कम दक्षता वाले कोयले से चलने वाले 100 बिजली संयंत्रों को बंद करने का फैसला लिया है. जापान ने बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करने वाले संयंत्रों के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक योजना बनाई है. जापान में 140 कोयला बिजली संयंत्र हैं, जिनमें लगभग 110 को अक्षम माना जाता है.
कोयला क्षमता वाले शीर्ष 10 देश :
देश | क्षमता (MW) | शेयर |
चीन | 1,004,948 | 49.1% |
अमेरिका | 246,187 | 12.0% |
भारत | 228,964 | 11.2% |
रूस | 46,862 | 2.3% |
जापान | 46,682 | 2.3% |
जर्मनी | 44,470 | 2.2% |
दक्षिण अफ्रीका | 41,435 | 2.0% |
दक्षिण कोरिया | 37,600 | 1.8% |
इंडोनेशिया | 32,373 | 1.6% |
पोलैंड | 30,870 | 1.5% |
भारत में ऊर्जा क्षेत्र पर एक नजर :
जहां एक ओर दूसरे देश जीवाश्म ईंधन से दूर जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत इस ओर बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोयला खदानों की नीलामी का उद्घाटन किया और कहा कि यह देश के कोयला क्षेत्र का सबसे बड़ा अन-लॉकडाउन है.
ईंधन | MW | कुल (प्रतिशत में) |
कुल थर्मल | 2,30,600 | 62.8% |
कोयला | 1,98,525 | 54.2% |
लिग्नाइट | 6,610 | 1.7% |
गैस | 24,955 | 6.7% |
डीजल | 510 | 0.1% |
हाइड्रो (अक्षय) | 45,699 | 12.4% |
न्यूक्लियर | 6,780 | 1.9% |
RES* (MNRE) | 87,269 | 23.6% |
कुल | 370,348 |
पेरिस जलवायु समझौते के उद्देश्यों को पूरा करने में गरीब देशों को मदद देने में विफल रहे समृद्ध देश
⦁ 2009 में COP क्लाइमेट 15 में, सबसे अधिक औद्योगिक संपन्न राष्ट्रों ने 2020 तक प्रत्येक वर्ष 100 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान करके सबसे गरीब देशों की मदद करने का संकल्प लिया था. हर साल समृद्ध देश बिना अपने वादों को पूरा किए फिर नए वादों के साथ सामने आते हैं.
⦁ संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में घोषणा की थी कि अमेरिका पेरिस जलवायु समझौते में शामिल नहीं होगा.
⦁ ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने पिछले साल कहा था कि वो जीसीएफ (ग्रीन क्लाइमेट फंड) को कोई और फंड नहीं देंगे.