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लोकसभा चुनाव में BJP के 74 फीसदी उम्मीदवारों को मिले 50% से अधिक वोट: ADR

ADR की एक रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के 74 फीसदी उम्मीदवारों ने 50 प्रतिशत से अधिक वोटों से जीत हासिल की, जबकि 201 को 542 सीटों में से 50 प्रतिशत से कम वोट मिले. जानें और क्या कहती है रिपोर्ट...

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Published : Jul 18, 2019, 11:25 PM IST

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नई दिल्ली: एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 लोकसभा चुनाव जीतने वाली पार्टी भाजपा के लगभग 74 फीसदी उम्मीदवारों को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले, जबकि कांग्रेस के लिए यह आंकड़ा 35 फीसदी रहा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 17वीं लोकसभा के सदस्यों ने औसतन 52.7 प्रतिशत मतों से अपनी सीटें जीतीं, जो 2014 में (47 प्रतिशत) और 2009 में (44 प्रतिशत) से अधिक थी.

इस रिपोर्ट में कहा कहा गया है कि 341 निर्वाचित सदस्यों को 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिले और 201 को 542 सीटों में से 50 प्रतिशत से कम वोट मिले, जिस पर चुनाव हुए थे. वहीं, सात उम्मीदवार 2000 से कम मतों के अंतर से जीते.

रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा द्वारा जीती गई 303 सीटों में से 79 (26 प्रतिशत) कुल मतों के 50 प्रतिशत से कम मतों से जीती गई. कांग्रेस के लिए 52 में से 34 (65 प्रतिशत), DMK के 23 में से चार (17 प्रतिशत), तृणमूल कांग्रेस के 22 विजेताओं में से 16 (73 प्रतिशत) और वाईएसआरसीपी 22 में से 9 (41 प्रतिशत) हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि घोषित आपराधिक मामलों में 233 विजेताओं में से 132 (57 प्रतिशत) ने 50 प्रतिशत या उससे अधिक वोट शेयर के साथ जीत दर्ज की. वहीं रिपोर्ट के मुताबीक एक विश्लेषण में 475 करोड़पति विजेताओं में से 313 (66 प्रतिशत) ने 50 प्रतिशत या उससे अधिक वोट शेयर के साथ जीत हासिल की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि घोषित आपराधिक मामलों वाले 233 विजेताओं में से 115 ने स्वच्छ छवि वाले रनर अप के खिलाफ जीत हासिल की है. उन्होंने कहा, 'इन 115 विजेताओं में से 6 विजेताओं ने 40 प्रतिशत से अधिक अंतर से जीत हासिल की है. गुजरात के नवसारी निर्वाचन क्षेत्र से आर पाटिल (भाजपा) ने 52.7 प्रतिशत जीत के साथ जीत दर्ज की है.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वच्छ छवि वाले 115 विजेता हैं, जो घोषित आपराधिक मामलों के साथ रनर अप के खिलाफ जीते हैं. इन 115 विजेताओं में से सात ने 40 प्रतिशत से अधिक जीत के साथ जीत हासिल की.

पढ़ें- अल्पेश ठाकोर BJP में शामिल हुए, रह चुके हैं पूर्व कांग्रेस विधायक

इसमें कहा गया है कि 475 करोड़पति विजेताओं में से 54 ने गैर-करोडपति उपविजेता के खिलाफ जीत दर्ज की है. इन 54 विजेताओं में से 5 विजेताओं ने जीत का 30 प्रतिशत से अधिक अंतर से जीत हासिल की है. राजस्थान के चित्तौड़गढ़ निर्वाचन क्षेत्र से चंद्र प्रकाश जोशी (भाजपा) ने 39.5 प्रतिशत जीत के साथ जीत दर्ज की है.

48 गैर-करोड़पति विजेता हैं, जिन्होंने करोड़पति उपविजेताओं के खिलाफ जीत हासिल की, जिनमें से 21 प्रतिशत ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर के साथ जीत दर्ज की. 542 विजेताओं में से 78 महिलाएं हैं. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि गुजरात के सूरत से दर्शन विक्रम जर्दोश (भाजपा) ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक 74.47 प्रतिशत और जीत का प्रतिशत 51.3 प्रतिशत के साथ जीता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 225 पुन: निर्वाचित विजेताओं में से 160 (70 प्रतिशत) ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त करके जीत हासिल की. वहीं 28 निर्वाचित सदस्यों ने पांच प्रतिशत से कम जीत के अंतर से जीत दर्ज की, जबकि 15 ने 40 प्रतिशत से अधिक जीत के अंतर से जीत दर्ज की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.06 प्रतिशत लोगों ने NOTA के लिए मतदान किया जो 2014 लोकसभा चुनावों के लिए NOTA के आंकड़े से थोड़ा कम था. 2013 में ईसीआई द्वारा स्थापित NOTA बटन ने मतदाताओं को अपने निर्वाचन क्षेत्र में सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार करने का विकल्प दिया.

2019 लोकसभा में 61,31,33,300 वोटों में से 65,14,558 लोगों ने (1.06 प्रतिशत) नोटा के लिए मतदान किया गया. जबकि लोकसभा, 2014 ,60,02, 942 (1.08) में 55,38,02, 946 मतों में से मतदान हुआ. प्रतिशत) NOTA के लिए मतदान किया गया.

नई दिल्ली: एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 लोकसभा चुनाव जीतने वाली पार्टी भाजपा के लगभग 74 फीसदी उम्मीदवारों को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले, जबकि कांग्रेस के लिए यह आंकड़ा 35 फीसदी रहा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 17वीं लोकसभा के सदस्यों ने औसतन 52.7 प्रतिशत मतों से अपनी सीटें जीतीं, जो 2014 में (47 प्रतिशत) और 2009 में (44 प्रतिशत) से अधिक थी.

इस रिपोर्ट में कहा कहा गया है कि 341 निर्वाचित सदस्यों को 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिले और 201 को 542 सीटों में से 50 प्रतिशत से कम वोट मिले, जिस पर चुनाव हुए थे. वहीं, सात उम्मीदवार 2000 से कम मतों के अंतर से जीते.

रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा द्वारा जीती गई 303 सीटों में से 79 (26 प्रतिशत) कुल मतों के 50 प्रतिशत से कम मतों से जीती गई. कांग्रेस के लिए 52 में से 34 (65 प्रतिशत), DMK के 23 में से चार (17 प्रतिशत), तृणमूल कांग्रेस के 22 विजेताओं में से 16 (73 प्रतिशत) और वाईएसआरसीपी 22 में से 9 (41 प्रतिशत) हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि घोषित आपराधिक मामलों में 233 विजेताओं में से 132 (57 प्रतिशत) ने 50 प्रतिशत या उससे अधिक वोट शेयर के साथ जीत दर्ज की. वहीं रिपोर्ट के मुताबीक एक विश्लेषण में 475 करोड़पति विजेताओं में से 313 (66 प्रतिशत) ने 50 प्रतिशत या उससे अधिक वोट शेयर के साथ जीत हासिल की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि घोषित आपराधिक मामलों वाले 233 विजेताओं में से 115 ने स्वच्छ छवि वाले रनर अप के खिलाफ जीत हासिल की है. उन्होंने कहा, 'इन 115 विजेताओं में से 6 विजेताओं ने 40 प्रतिशत से अधिक अंतर से जीत हासिल की है. गुजरात के नवसारी निर्वाचन क्षेत्र से आर पाटिल (भाजपा) ने 52.7 प्रतिशत जीत के साथ जीत दर्ज की है.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वच्छ छवि वाले 115 विजेता हैं, जो घोषित आपराधिक मामलों के साथ रनर अप के खिलाफ जीते हैं. इन 115 विजेताओं में से सात ने 40 प्रतिशत से अधिक जीत के साथ जीत हासिल की.

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इसमें कहा गया है कि 475 करोड़पति विजेताओं में से 54 ने गैर-करोडपति उपविजेता के खिलाफ जीत दर्ज की है. इन 54 विजेताओं में से 5 विजेताओं ने जीत का 30 प्रतिशत से अधिक अंतर से जीत हासिल की है. राजस्थान के चित्तौड़गढ़ निर्वाचन क्षेत्र से चंद्र प्रकाश जोशी (भाजपा) ने 39.5 प्रतिशत जीत के साथ जीत दर्ज की है.

48 गैर-करोड़पति विजेता हैं, जिन्होंने करोड़पति उपविजेताओं के खिलाफ जीत हासिल की, जिनमें से 21 प्रतिशत ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर के साथ जीत दर्ज की. 542 विजेताओं में से 78 महिलाएं हैं. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि गुजरात के सूरत से दर्शन विक्रम जर्दोश (भाजपा) ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक 74.47 प्रतिशत और जीत का प्रतिशत 51.3 प्रतिशत के साथ जीता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 225 पुन: निर्वाचित विजेताओं में से 160 (70 प्रतिशत) ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त करके जीत हासिल की. वहीं 28 निर्वाचित सदस्यों ने पांच प्रतिशत से कम जीत के अंतर से जीत दर्ज की, जबकि 15 ने 40 प्रतिशत से अधिक जीत के अंतर से जीत दर्ज की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.06 प्रतिशत लोगों ने NOTA के लिए मतदान किया जो 2014 लोकसभा चुनावों के लिए NOTA के आंकड़े से थोड़ा कम था. 2013 में ईसीआई द्वारा स्थापित NOTA बटन ने मतदाताओं को अपने निर्वाचन क्षेत्र में सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार करने का विकल्प दिया.

2019 लोकसभा में 61,31,33,300 वोटों में से 65,14,558 लोगों ने (1.06 प्रतिशत) नोटा के लिए मतदान किया गया. जबकि लोकसभा, 2014 ,60,02, 942 (1.08) में 55,38,02, 946 मतों में से मतदान हुआ. प्रतिशत) NOTA के लिए मतदान किया गया.

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देश की महिलाओं को जरुरत है इस SHE टीम की, जानिए हैदराबाद में किस तरह से महफूज हैं महिलाएं 



हैदराबाद: SHE मुहिम की शुरुआत 24 अक्टूबर 2014 को हुई थी. इस कैंपेन का मकसद सभी पहलुओं पर, सभी रूपों में, सभी स्थानों पर, हर तरह से, समाज में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना है. इस मुहिम की मदद से आज महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा हुआ है. महिलाओं के लिये हैदराबाद को सुरक्षित शहर बनाने की कोशिश आज काफी हद तक सफल रही है.



SHE टीम तेलंगाना पुलिस की एक विंग है, जो पांच लोगों के छोटे-छोटे समूहों में काम करती है. ये टीम मुख्य रूप से हैदराबाद के व्यस्त सार्वजनिक क्षेत्रों में एक्टिव रहती है. इनका काम ईव टीज़िंग, स्टॉकरों और उत्पीड़कों को गिरफ्तार करना है. 2014 से अबतक ये टीम 10 हजार के ज्यादा केसों का निपटारा कर चुकी है.



ईटीवी भारत से खास बातचीत में आईजी लॉ एंड ऑर्डर स्वाति लकड़ा ने कई अहम जानकारियों भी साझा की हैं. उन्होंने बताया कि SHE टीम के पास जो भी केस आता है, उसकी पहले अच्छी तरह जांच होती है. कई दफा ऐसा भी देखा गया है कि लोग व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के मकसद से किसी की शिकायत करते हैं. लेकिन बिना जांच पड़ताल के केस को आगे नहीं बढ़ाया जाता.



क्या है 'भरोसा'?

इसके साथ ही हैदराबाद पुलिस ने 2016 में यौन हिंसा की शिकार महिलाओं और बच्चों के लिए एक-स्टॉप सपोर्ट सेंटर 'भरो सा' भी लॉन्च किया. स्वाति लकड़ा ने जहां हैदराबाद में SHE टीमों को शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वहीं BHAROSA केंद्र के जरिये बच्चों को यौन अपराधों से बचाने और बाल शोषण के मामलों को भी बढ़-चढ़कर उठाया है. ऐसे केस जब भी आते हैं तो कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं, जैसे- कोर्ट में जाना पड़ता है, पीड़ित का स्टेटमेंट रिकॉर्ड करना होता है, पीड़ित को अस्पताल ले जाना होता है. तो ऐसी स्थिति में पीड़ित की मानसिक अवस्था का भी ध्यान रखना होता है. ऐसी चीजें कम करने के लिये भरोसा सेंटर बनाया गया है. 



BHAROSA केंद्र में एक पूरी टीम काम करती है. यहां मनोचिकित्सक पीड़ितों की मानसिक स्थिति के मुताबिक उन्हें मदद करते हैं. यहां एक क्लीनिक भी है, जहां डॉक्टर खुद आते हैं, जिससे पीड़ित को अलग से अस्पताल नहीं जाना पड़ता. इस टीम में लीगल एडवाइजर भी होते हैं. 



इसके साथ ही दिसंबर 2017 में POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) एक्ट के तहत दर्ज मामलों के तेजी से निपटारे के लिए एक नया चाइल्ड-फ्रेंडली कोर्ट जोड़ा गया. इस कोर्ट में मजिस्ट्रेट खुद यहां आती हैं और स्टेटमेंट रिकॉर्ड करती हैं. इस दौरान महिला पुलिसकर्मी भी वहां बैठती हैं और पीड़ित को पुलिस स्टेशन भी नहीं जाना पड़ता. 



कैसे काम करता है चाइल्ड-फ्रेंडली कोर्ट?

BHAROSA केंद्र के ही बगल में वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर का चाइल्ड-फ्रेंडली कोर्ट बनाया गया है. ये कोर्ट दूसरे कोर्ट से अलग है. दरअसल, जो दूसरे राज्यों में चाइल्ड-फ्रेंडली कोर्ट हैं और मुख्य कोर्ट के परिसर में ही होते हैं लेकिन तेलंगाना में एक कोर्ट मुख्य कोर्ट के बाहर है. इस कोर्ट की खासियत है कि यहां ये पूरा ध्यान रखा जाता है कि पीड़ित को आरोपी के सामने न लाया जाए. इसके लिये एक वन-वे मिरर भी है. अगर बच्चा कोर्ट में बैठा है तो आरोपी वन-वे मिरर के बाहर बैठेगा.



इसके साथ ही अगर बच्चे को कोर्ट में आने में भी हिचकिचाहट हो रही है तो बच्चा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जज से जुड़ सकता है.



महिलाओं की सुरक्षा को लेकर काम कर रहे SHE कैंपेन के बारे में जानकारी देने के साथ ही IPS स्वाति लकड़ा ने देश की सभी महिलाओं से अपील की है कि वो अपने हक को समझें, सशक्त बनें और अपने खिलाफ हो रहे किसी भी तरह के अपराध के खिलाफ आलाज उठाएं. 





 


Conclusion:
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