नई दिल्ली : बर्ड फ्लू की वजह से बटर चिकन, अंडे और काली मिर्च चिकन सलामी व्यंजन के शौकीन डरे हुए हैं और इन व्यंजनों से दूरी बना रहे हैं. इसकी वजह से संकट में आए रेस्तरां मालिक अपना कारोबार चालू रखने के लिए विकल्प तलाशने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. मृत कौए के नमूने में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद लाल किले को मंगलवार को आगंतुकों के लिए बंद कर दिया गया. इस घटना से तीन दिन पहले दिल्ली के चिड़ियाघर में मृत मिले उल्लू के नमूने में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी, जिसकी वजह से लोगों में भय का महौल है.
अजय कपूर उन लोगों में शामिल हैं जो नियमित रूप से चिकन और अंडे का सेवन करते थे. एमबीए छात्र कपूर ने कहा कि मैं जिम जाने वाला व्यक्ति हूं. चिकन और अंडे मेरी खुराक का अहम हिस्सा हैं, लेकिन अब मैं कोई खतरा नहीं लेना चाहता हूं. मैंने महामारी से कुछ सीखा है तो वह यह है कि इन मामलों को हल्के में नहीं लेना चाहिए. मैं उच्च प्रोटीन वाले अन्य विकल्पों पर गौर कर रहा हूं, लेकिन निश्चित तौर पर अंडे और चिकन से दूर रहूंगा. भारत के सबसे बड़े सोशल नेटवर्कों में से एक पब्लिक ऐप के नवीनतम सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर के करीब 3,500 लोगों में से 61.68 प्रतिशत ने कहा कि वे बर्ड फ्लू के डर से अंडा और चिकन नहीं खाएंगे.
सीफूड और मछली बन रही पसंद
इस संबंध में एक लग्जरी होटल के खानसामा ने कहा कि कुछ लोग अब चिकन और अंडे की जगह मटन, सीफूड और मछली पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि कुछ अन्य लोग मांसाहार जैसे दिखने वाले सोयाबीन तथा कटहल पर ध्यान दे रहे हैं. कोविड-19 महामारी से पहले से ही जूझ रहे खाद्य उद्योग के पास बर्ड फ्लू के प्रभाव को कम करने के लिए बहुत कम समय है. पश्चिमी दिल्ली के राजेंद्र नगर इलाके में स्थित पिकल रेस्तरां के मालिक जसनीत साहनी ने बताया कि उन्होंने अपने मेन्यू में सीफूड और वनस्पति उत्पाद से तैयार व्यंजनों को जोड़ा है.
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उन्होंने कहा कि लोग अंडे और चिकन को लेकर सतर्क हैं. ऐसे में हमें चीजों को थोड़ा बदलना होगा. हमने सोया के बने व्यंजन पेश किए हैं जो चिकन की तरह तो होते हैं लेकिन वे शाकाहार हैं. ये मांस के व्यजंन जैसी अनुभूति देते हैं, लेकिन पूरी तरह से सेहतमंद एवं चिकनमुक्त हैं. बर्ड फ्लू के बाद अंडे और इससे बने व्यंजनों की मांग में कमी आई है. इनकी जगह लोग मटन, सोया, मशरूम, तोफू या पनीर का विकल्प चुन रहे हैं.
(पीटीआई भाषा)