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आजादी के 73 साल : कैसा होना चाहिए भारत, जानें PM मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की राय - 73rd independence day

73वें स्वतंत्रता दिवस को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है. हर कोई आजादी का जश्न को मनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. हालांकि, स्वतंत्रता का सही अर्थ यह कतई नहीं है कि आजादी के नाम पर मनमानी की जाए. मर्यादाएं भूलकर सरेआम अनैतिक कृत्य किए जाएं. 15 अगस्त से एक दिन पहले ईटीवी भारत ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लोगों के विचार जानने की कोशिश की. जानें क्या है उनकी राय

देश इस बार आजादी की 73 वी वर्षगांठ मनाएगा
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Published : Aug 14, 2019, 6:52 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 12:37 AM IST

वाराणसी : देश इस बार आजादी की 73वीं वर्षगांठ मनाएगा. 15 अगस्त, यानि स्वतंत्रता दिवस का सभी देशवासी बड़ी ही बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. आजादी के 72 साल पूरे होने के बाद एक नए साल में प्रवेश करने को लेकर पूरा देश उत्साहित है. हर कोई अपने आजादी के जश्न को मनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

इन सबके बीच ईटीवी भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचा. ईटीवी भारत ने आम लोगों से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की कि आखिर आजादी के इतने साल पूरे होने के बाद उनकी आजादी के प्रति क्या सोच है ? पिछले 72 सालों में देश में क्या बदलाव आए हैं, और आने वाले सालों में किस प्रकार के बदलाव की जरुरत है?

आजादी की वर्षगांठ से पहले लोगों ने बताये आजादी के सही मायने

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के लोगों का कहना है कि आजादी की सालगिरह मनाने से पहले लोगों ने देश में हुए बदलाव और बने नए कानूनों के साथ कई नए प्रयासों को सराहा है. लोगों ने कहा कि आजादी सिर्फ खुल कर जीना खुलकर हंसना या फिर जो चाहे वह करना नहीं है.

पढ़ें: हिमाचल पहुंची PAK से शुरु हुई यात्रा, 72 साल में पहली बार

बातचीत के दौरान लोगों ने कहा कि, आजादी हर क्षेत्र में आगे रहना है. आज भी अपना देश अंधविश्वास और संकुचित मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पाया है. लोगों ने कहा कि आज भी सामाजिक कुरीतियों की वजह से भारत अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे है.

लोगों ने कहा कि जाति धर्म के आधार पर आज भी जो देश में स्थितियां बनाई जा रही है उससे आजादी की जरूरत है. बता दें कि महिलाओं की वर्तमान स्थिति बहुत अच्छी है लेकिन सुरक्षा के मामले में महिलाएं पीछे जा रही हैं.

युवाओं को रोजगार के साथ देश को विकास के पथ पर और आगे ले जाने के लिए तमाम कुरीतियों अंधविश्वासों को पीछे छोड़ना होगा इन सब चीजों से आजादी के बाद ही हम सही मायने में आजादी पूरी तरह से पा सकेंगे.

पढ़ें: जम्मू कश्मीर : स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

15 अगस्त के महत्व पर लोगों का कहना था कि आजादी का मतलब सिर्फ स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस जश्न को मनाना नहीं होना चाहिए, बल्कि सही मायने में पूरी तरह से आजाद भारत की दिशा में कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए बेहद जरूरी हो जाता है स्वास्थ्य शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करना.

लोगों ने कहा कि जाति धर्म से उठकर राजनीति होनी चाहिए. गरीबी खत्म होनी चाहिए, और युवाओं को रोजगार के साथ बेहतर दिशा मिलनी चाहिए. इन सब चीजों के मिलने के बाद ही आजादी के सही मायने पूरे होंगे और देश आगे बढ़ सकेगा.

वाराणसी : देश इस बार आजादी की 73वीं वर्षगांठ मनाएगा. 15 अगस्त, यानि स्वतंत्रता दिवस का सभी देशवासी बड़ी ही बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. आजादी के 72 साल पूरे होने के बाद एक नए साल में प्रवेश करने को लेकर पूरा देश उत्साहित है. हर कोई अपने आजादी के जश्न को मनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

इन सबके बीच ईटीवी भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचा. ईटीवी भारत ने आम लोगों से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की कि आखिर आजादी के इतने साल पूरे होने के बाद उनकी आजादी के प्रति क्या सोच है ? पिछले 72 सालों में देश में क्या बदलाव आए हैं, और आने वाले सालों में किस प्रकार के बदलाव की जरुरत है?

आजादी की वर्षगांठ से पहले लोगों ने बताये आजादी के सही मायने

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के लोगों का कहना है कि आजादी की सालगिरह मनाने से पहले लोगों ने देश में हुए बदलाव और बने नए कानूनों के साथ कई नए प्रयासों को सराहा है. लोगों ने कहा कि आजादी सिर्फ खुल कर जीना खुलकर हंसना या फिर जो चाहे वह करना नहीं है.

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बातचीत के दौरान लोगों ने कहा कि, आजादी हर क्षेत्र में आगे रहना है. आज भी अपना देश अंधविश्वास और संकुचित मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पाया है. लोगों ने कहा कि आज भी सामाजिक कुरीतियों की वजह से भारत अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे है.

लोगों ने कहा कि जाति धर्म के आधार पर आज भी जो देश में स्थितियां बनाई जा रही है उससे आजादी की जरूरत है. बता दें कि महिलाओं की वर्तमान स्थिति बहुत अच्छी है लेकिन सुरक्षा के मामले में महिलाएं पीछे जा रही हैं.

युवाओं को रोजगार के साथ देश को विकास के पथ पर और आगे ले जाने के लिए तमाम कुरीतियों अंधविश्वासों को पीछे छोड़ना होगा इन सब चीजों से आजादी के बाद ही हम सही मायने में आजादी पूरी तरह से पा सकेंगे.

पढ़ें: जम्मू कश्मीर : स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

15 अगस्त के महत्व पर लोगों का कहना था कि आजादी का मतलब सिर्फ स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस जश्न को मनाना नहीं होना चाहिए, बल्कि सही मायने में पूरी तरह से आजाद भारत की दिशा में कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए बेहद जरूरी हो जाता है स्वास्थ्य शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करना.

लोगों ने कहा कि जाति धर्म से उठकर राजनीति होनी चाहिए. गरीबी खत्म होनी चाहिए, और युवाओं को रोजगार के साथ बेहतर दिशा मिलनी चाहिए. इन सब चीजों के मिलने के बाद ही आजादी के सही मायने पूरे होंगे और देश आगे बढ़ सकेगा.

Intro:voxes for 15 august---

वाराणसी: देश इस बार आजादी की 73 वी वर्षगांठ मनाएगा 72 साल पूरे होने के बाद नए साल में प्रवेश करने को लेकर पूरा देश उत्साहित है हर कोई अपने आजादी के जश्न को मनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है इन सबके बीच ईटीवी भारत में लोगों से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की कि आखिर आजादी के इतने साल पूरे होने के बाद क्या सोच है उनकी आजादी के प्रति और क्या देश इन 72 सालों में बदला क्या बदलाव आए देश में और क्या जरूरत है अभी आने वाले सालों में देश में बदलाव की.


Body:वीओ-01 आजादी की सालगिरह मनाने से पहले लोगों ने देश में हुए बदलाव और बने नए कानूनों के साथ कई नए प्रयासों को सराहा लेकिन लोगों ने आजादी के सही मायने इसे नहीं माना लोगों का कहना था कि आजादी सिर्फ खुल कर जीना खुलकर हंसना या फिर जो चाहे वह करना नहीं है आजादी हर क्षेत्र में आगे रहना है आज भी अपना देश अंधविश्वास और संकुचित मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पाया है लोगों का कहना था कि आज भी सामाजिक कुरीतियों की वजह से भारत अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे है पिछड़ा अति पिछड़ा और जाति धर्म के आधार पर आज भी जो देश में स्थितियां बनाई जा रही है उससे आजादी की जरूरत है महिलाओं की वर्तमान स्थिति बहुत अच्छी है लेकिन सुरक्षा के मामले में महिलाएं पीछे जा रही हैं ऐसी स्थिति में महिलाओं को डर से आजादी दिलाना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है युवाओं को रोजगार के साथ देश को विकास के पथ पर और आगे ले जाने के लिए तमाम कुरीतियों अंधविश्वासों को पीछे छोड़ना होगा इन सब चीजों से आजादी के बाद ही हम सही मायने में आजादी पूरी तरह से पा सकेंगे.


Conclusion:वीओ-02 वहीं बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों का कहना था कि आजादी का मतलब सिर्फ स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस जश्न को मनाना नहीं होना चाहिए बल्कि सही मायने में पूरी तरह से आजाद भारत की दिशा में कार्य करना चाहिए इसके लिए बेहद जरूरी हो जाता है स्वास्थ्य शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करना लोगों का नाता सरकारी तंत्र पूरी तरह से मजबूत है लेकिन इसका सही इस्तेमाल ना हो पाने की वजह से आज भी लोग ना चाहते हुए भी परेशानी की जिंदगी जी रहे हैं सरकार को इन चीजों से आजादी दिलवाने के लिए प्रयास करना चाहिए जाति धर्म से उठकर राजनीति होनी चाहिए गरीबी खत्म होनी चाहिए और युवाओं को रोजगार के साथ शिक्षा बेहतर दिशा में मिलनी चाहिए इन चीजों के पूरी तरह से मिलने के बाद ही आजादी के सही मायने पूरे होंगे और देश आगे बढ़ सकेगा.

बाईट- डॉ प्रवीण कुमार तिवारी, शिक्षक
बाईट- डॉ रूद्रानंद तिवारी, शिक्षक
बाईट- डॉ मनोहर लाल, प्रोफेसर, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ
बाईट- डॉ अशोक कुमार श्रीवास्तव, शिक्षक
बाईट- सौरभ यादव, छात्र
बाईट- गौरव कुमार, नौकरीपेशा
बाईट- प्रीति सिंह, एमफिल छात्रा
बाईट- राहुल राज, छात्र नेता


गोपाल मिश्र

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Last Updated : Sep 27, 2019, 12:37 AM IST
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