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ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार का बाढ़ग्रस्त इलाका, जहां 'चूहा' खाने को मजबूर हैं लोग

दिल को दहला देने वाली यह घटना बिहार के कटिहार की है. जहां महानंदा नदी का पानी गांव में घुसने से गांव डूब गया है. ग्रामीणों का संपर्क शहरी इलाकों से पूरी तरह टूट गया है. पढ़ें पूरी खबर.

बाढ़ पीड़ित चूहा खाने को मजबूर.
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Published : Jul 16, 2019, 11:12 PM IST

पटना/कटिहार: एक दौर था जब समुदाय विशेष के लोग चूहा खाकर गुजारा करते थे. प्रकृति के प्रकोप ने एक बार भी मानव जाति को सदियों पुरानी जीवन शैली अपनाने को मजबूर कर दिया है. पूरा प्रदेश इन दिनों भयानक बाढ़ झेल रहा है. जन-जीवन बुरी तरह बाधित है. हर ओर चीख-पुकार मची है.

देखें वीडियो.

इसी प्रकृति के कहर के बीच मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. बाढ़ पीड़ित इतने लाचार हैं कि किसी भी हद तक जा रहे हैं. दरअसल, कटिहार में सरकारी मदद न मिलने से लाचार कई परिवार अब जिंदा रहने के लिए चूहे मार कर खा रहे हैं. बाढ़ के बाद भूख की मार भी इस कदर उनपर हावी हो रही है कि वह किसी तरह बस अपना जीवन बचा रहे हैं.

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बाढ़ पीड़ित चूहा खाने को मजबूर.

फंसे हुए हैं सैकड़ों लोग
दिल को दहला देने वाली यह घटना कटिहार के दंडखोरा इलाके की हैं. जहां महानंदा नदी का पानी गांव में घुसने से गांव डूब गया है. ग्रामीणों का संपर्क शहरी इलाकों से पूरी तरह टूट गया है. लिहाजा, लोग बुरी तरह फंस गए हैं. और अपने गांव से बाहर नहीं आ पा रहे हैं. कई हफ्ते बीत जाने के बाद भी उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली है, जिससे उनमें काफी आक्रोश है. किसी तरह चूहे खाकर लोग अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

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बाढ़ पीड़ित चूहा खाने को मजबूर.

पढ़ें: देश में कृषि संकट पर बोले तोमर- मौजूदा परिस्थिति को बदलना जरूरी

खत्म हो चुका है राशन
बाढ़ में फंसे लोग बताते हैं कि उन्हें कोई प्रशासनिक मदद नहीं मिली है. उनका राशन खत्म हो चुका है. घर भी डूब चुके हैं. लेकिन सरकार को कोई चिंता नहीं है. उन्हें जिंदगी और मौत के बीच बेसहारा छोड़ दिया गया है.

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बाढ़ पीड़ित चूहा खाने को मजबूर.

नहीं मिली सरकारी मदद
मालूम हो कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में सरकार की ओर से बाढ़ पीड़ितों को चुड़ा दिया जाता है. लेकिन, कटिहार के विभिन्न इलाकों में आए बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हुए पर सरकार नहीं पहुंची हैं. लिहाजा, पेट की आग मिटाने के लिए लोग चूहे का शिकार कर रहे हैं.

पटना/कटिहार: एक दौर था जब समुदाय विशेष के लोग चूहा खाकर गुजारा करते थे. प्रकृति के प्रकोप ने एक बार भी मानव जाति को सदियों पुरानी जीवन शैली अपनाने को मजबूर कर दिया है. पूरा प्रदेश इन दिनों भयानक बाढ़ झेल रहा है. जन-जीवन बुरी तरह बाधित है. हर ओर चीख-पुकार मची है.

देखें वीडियो.

इसी प्रकृति के कहर के बीच मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. बाढ़ पीड़ित इतने लाचार हैं कि किसी भी हद तक जा रहे हैं. दरअसल, कटिहार में सरकारी मदद न मिलने से लाचार कई परिवार अब जिंदा रहने के लिए चूहे मार कर खा रहे हैं. बाढ़ के बाद भूख की मार भी इस कदर उनपर हावी हो रही है कि वह किसी तरह बस अपना जीवन बचा रहे हैं.

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बाढ़ पीड़ित चूहा खाने को मजबूर.

फंसे हुए हैं सैकड़ों लोग
दिल को दहला देने वाली यह घटना कटिहार के दंडखोरा इलाके की हैं. जहां महानंदा नदी का पानी गांव में घुसने से गांव डूब गया है. ग्रामीणों का संपर्क शहरी इलाकों से पूरी तरह टूट गया है. लिहाजा, लोग बुरी तरह फंस गए हैं. और अपने गांव से बाहर नहीं आ पा रहे हैं. कई हफ्ते बीत जाने के बाद भी उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली है, जिससे उनमें काफी आक्रोश है. किसी तरह चूहे खाकर लोग अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

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बाढ़ पीड़ित चूहा खाने को मजबूर.

पढ़ें: देश में कृषि संकट पर बोले तोमर- मौजूदा परिस्थिति को बदलना जरूरी

खत्म हो चुका है राशन
बाढ़ में फंसे लोग बताते हैं कि उन्हें कोई प्रशासनिक मदद नहीं मिली है. उनका राशन खत्म हो चुका है. घर भी डूब चुके हैं. लेकिन सरकार को कोई चिंता नहीं है. उन्हें जिंदगी और मौत के बीच बेसहारा छोड़ दिया गया है.

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बाढ़ पीड़ित चूहा खाने को मजबूर.

नहीं मिली सरकारी मदद
मालूम हो कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में सरकार की ओर से बाढ़ पीड़ितों को चुड़ा दिया जाता है. लेकिन, कटिहार के विभिन्न इलाकों में आए बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हुए पर सरकार नहीं पहुंची हैं. लिहाजा, पेट की आग मिटाने के लिए लोग चूहे का शिकार कर रहे हैं.

Intro:कटिहार

बिहार में बाढ़ की त्रासदी के बीच मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है। कटिहार में सरकारी मदद न मिलने से लाचार कई परिवार चूहा खाकर अपनी जान बचाने को मजबूर हैं।


Body:कटिहार के दंडखोरा इलाका में महानंदा नदी का पानी घुस जाने से गांव का गांव डूब गया है लोगों का संपर्क शहरी इलाकों से टूट गया है और पूरी तरह से पानी से डुबा हुआ है लिहाजा लोग अपने गांव से बाहर नहीं आ पा रहा है। किराना का सामान लोगों का खत्म हो गया हैं ऐसे में अपना जीवन यापन करने के लिए लोग चूहों से अपनी भूख मिटा रहे हैं।

एक दौर था जब समुदाय विशेष के लोग चूहा खाकर गुजारा करते थे मगर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं ने इन लोगों की जीवनशैली में बड़ा बदलाव लाया था। बाढ ने फिर से ऐसे कई परिवारों को चूहा खाने पर मजबूर कर दिया है। कटिहार के दंडखोरा प्रखंड के नोहडी गांव की यह तस्वीर इंसानियत को शर्मसार करने वाली है जहां आज भी बाढ़ के कारण चूहे खाने को मजबूर है।


Conclusion:चारों तरफ से बाढ से घिरा नोहडी गांव के प्रदीप बताते हैं फ्लड का पानी चारों ओर फैल गया है गांव से बाहर जाना मुश्किल होता जा रहा है खाने का सामान खर्च खत्म हो गया है लिहाजा अपना पेट पालने के लिए चूहा मार कर खा रहे है लेकिन अभी तक सरकार की ओर से दिए जाने वाले कल्याणकारी योजना नहीं मिल सकी है।

बाढ प्रभावित इलाकों में सरकार की ओर से बाढ़ पीड़ितों को चुडा देता है लेकिन कटिहार के विभिन्न इलाकों में आए बाढ से लाखों लोग प्रभावित हो चुके हैं लेकिन अभी तक इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सरकार की ओर से दिए जाने वाली कल्याणकारी योजना चूड़ा अभी तक नहीं बांटा गया है लिहाजा लोग चूहा खाकर अपना पेट भर रहे हैं।
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