नई दिल्ली : अयोध्या जमीन विवाद का फैसला आने के बाद से मुस्लिम समुदाय बंटता दिखाई दे रहा है. श्री रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को न्यायिक आधार बनाते हुए पीस पार्टी शीर्ष अदालत में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करेगी. इस मौके पर पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ अयूब सुप्रीम कोर्ट परिसर में अपने वकीलों संग मौजूद रहेंगे.
गौरतलब है इसके पहले दो दिसंबर को भी डॉ अयूब ने याचिका दायर करने के लिए कहा था.
ज्ञात है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने, अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान- के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर छह अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की थी. इस दौरान विभन्न पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें पेश की थीं.
16 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया गया था. इस विवाद का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर 2019 को सुनाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि विवादित जमीन रामलला को दे दी जाए, कोर्ट ने राम जन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन देते हुए कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाए. फैसले में मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ वैकल्पिक जगह देने का आदेश दिया था. इसके साथ ही निर्मोही अखाड़े का दावा भी खारिज कर दिया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भीतरी और बाहरी चबूतरा हिन्दू पक्ष को दिया जाए. तीन महीने में सरकार योजना बनाए. केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार मंदिर, मस्जिद निर्माण की निगरानी करेंगे. रामलला न्यायिक सम्पत्ति है ना कि राम जन्मभूमि.
फैसला आने के बाद कई मुस्लिम पक्षों ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिससे सीजेआई एस.ए. बोबडे की अगुआई में पांच सदस्यीय पीठ ने खारिज कर दी थी.