नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत का उपयोग राजनीतिक दल अक्सर एक मंच के रूप में करते हैं. कोर्ट ने ऐसा तब कहा जब वह पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता दुलाल कुमार की मौत के मामले में पार्टी नेता गौरव भाटिया की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ सोमवार को इस मामले की सुनवाई कर रही थी. याचिका में इस मामले को लेकर सीबीआई जांच की मांग की गई, हालांकि कोर्ट ने सीबीआई जांच से इनकार कर दिया.
गौरतलब है कि कुमार का शव जून 2018 में एक पॉवर ट्रांसमिशन टॉवर से लटकता हुआ मिला था. पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि भाजपा कार्यकर्ता ने खुदकुशी की है. वहीं भाजपा ने आरोप लगाया था कि यह एक राजनीति से प्रेरित हत्या का मामला है.
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि शीर्ष अदालत को चाहिए कि वह इस बात की जांच करे कि क्या किसी राजनीतिक दल के सदस्य को जनहित याचिका दायर करने की अनुमति दी जानी चाहिए. गौरव भाटिया ने कहा कि वह मृतक के भाई का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
भाटिया पुलिस द्वारा दायर समापन रपट पर सवाल उठा रहे थे और सिब्बल ने भाटिया के आरोपों को निराधार करार दिया.
इसके जवाब में प्रधाान न्यायाधीश ने कहा, 'हमें इस बात का ज्ञान है कि विपक्षी पार्टियां भी इस अदालत का इस्तेमाल मंच के रूप में कर रही हैं. दोनों तरफ से ऐसा किया जाता है.'
सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि पांच डॉक्टरों के एक बोर्ड ने इस बात की पुष्टि की है कि कुमार ने खुदकुशी की और इस मामले में दायर याचिका समाचार पत्रों की खबर पर आधारित है.
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पुलिस ने इसे खुदकुशी का मामला करार देते हुए मामले में समापन रपट दाखिल की और इसकी वजह विवाहेतर संबंध करार दिया था.