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आजीविका के लिए कारें धोते थे परमेश्वर, 12वीं में मिले 91.75% अंक

दक्षिणी दिल्ली के तिगड़ी इलाके में दो कमरे के छोटे से मकान में रहने वाले परमेश्वर जैसे-तैसे अपना गुजर बसर करते हैं. उन्होंने दक्षिणी दिल्ली के दक्षिणपुरी में स्थित शहीद श्री अनुसूइया प्रसाद गवर्नमेंट बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर-5 (अंबेडकर नगर) से पढ़ाई की. परमेश्वर ने 12वीं कक्षा में 91.75% हासिल किए हैं.

parmeshwar got 92 percent
विषम परिस्थितियों में परमेश्वर ने हासिल की सफलता
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Published : Jul 28, 2020, 7:41 PM IST

नई दिल्ली : छोटी सी उम्र में बड़े तजुर्बे करवा दिए, पेट की भूख ने सैकड़ों हुनर सिखा दिए, यह लाइन सटीक बैठती है दक्षिणी दिल्ली के तिगड़ी इलाके में रहने वाले परमेश्वर पर. परमेश्वर ने अपने संघर्ष भरे जीवन में लगन और अथक परिश्रम से 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 91.75% हासिल किए हैं.

सुनें कैसे विषम परिस्थितियों में परमेश्वर ने हासिल की सफलता

ईटीवी भारत की टीम ने मेहनती और बुलंद हौसले वाले परमेश्वर से बातचीत की, जिन्होंने कम उम्र में परिवार का पेट पालने के लिए काम भी किया और परेशानियों को अपनी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया.

आजीविका के लिए संघर्ष
दक्षिणी दिल्ली के तिगड़ी इलाके में दो कमरे के छोटे से मकान में रहने वाले परमेश्वर जैसे-तैसे अपना गुजर बसर करते हैं. उन्होंने दक्षिणी दिल्ली के दक्षिणपुरी में स्थित शहीद श्री अनुसूइया प्रसाद गवर्नमेंट बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर-5 (अंबेडकर नगर) से पढ़ाई की और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 91.75% हासिल किए.

दरअसल, बात यह नहीं है कि परमेश्वर के कितने अंक हैं. बात यह है कि काफी कठिन परिस्थितियों में वह इतने अंक लाने में कामयाब हुए. परमेश्वर ने बताया कि परिवार का भरण-पोषण करने के लिए वह अपने स्कूल के साथ-साथ लोगों की गाड़ियां साफ करते थे. वह सुबह 4 बजे उठकर अपने घर से आधे घंटे पैदल चलकर खानपुर आते थे और वहां लोगों की गाड़ियां साफ करते थे और उन्हें मासिक वेतन के तौर पर महज तीन से पांच हजार रुपये मिलते थे. इन पैसों से वह अपने स्कूल की किताबें और घर का खर्च चलाते थे. उनके पिता बुजुर्ग हैं और घर में भाइयों की भी कोई स्थाई नौकरी नहीं है. ऐसे में दो वक्त की रोटी जुटाना बहुत बड़ी चुनौती है.

अस्पताल में हिंदी परीक्षा की तैयारी
परमेश्वर ने बताया कि उनकी परीक्षाएं चल रही थीं और दूसरी ओर उनके पिता अस्पताल में एडमिट थे. उनके पिता की मार्च माह में सर्जरी हुई और इस दौरान उन्होंने अस्पताल में ही हिंदी विषय की परीक्षा के लिए तैयारी की.

परमेश्वर की मां बादामी ने कहा कि बेटे की सफलता से उन्हें बहुत खुशी मिली. इसके अलावा परमेश्वर के पिता प्रभु लाल चाहते हैं कि उनका बेटा पढ़कर कुछ बने और असहाय लोगों की मदद करे. उनकी नजर में टीचिंग से अच्छा कोई काम नहीं है.

निजी संस्थान से मिली मदद
परमेश्वर ने बताया कि जिस तरह के हालात हैं, ऐसे में उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतने अच्छे अंक वह ला सकेंगे, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और परिवार भी उनकी इस सफलता से खासा खुश है.

उन्होंने बताया कि उनके संघर्षपूर्ण जीवन में एक निजी संस्था आशा ने उनकी बहुत सहायता की. उन्हें निःशुल्क ट्यूशन दी, जिससे उन्हें पढ़ाई में खासी मदद मिली. परमेश्वर ने बताया कि वह अब दिल्ली विश्वविद्यालय से इंग्लिश ऑनर्स करना चाहते हैं. इसके लिए उनका दाखिला फॉर्म भी इसी एनजीओ ने भरा. परमेश्वर ने अपनी कामयाबी के लिए अपने शिक्षकों का भी धन्यवाद किया.

पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से मिली प्रेरणा
परमेश्वर ने बताया कि उन्हें डॉ. अब्दुल कलाम के जीवन से प्रेरणा मिली कि कैसे संघर्ष में भी आगे बढ़ा जाता है. उन्होंने कहा कि वह आगे चलकर अंग्रेजी के अध्यापक बनना चाहते हैं और ज्यादा से ज्यादा ज्ञान बटोर कर समाज में उसका उपयोग करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने भी हर कदम पर उनका साथ दिया है और परिवार को भी उनसे काफी उम्मीदें हैं.

नई दिल्ली : छोटी सी उम्र में बड़े तजुर्बे करवा दिए, पेट की भूख ने सैकड़ों हुनर सिखा दिए, यह लाइन सटीक बैठती है दक्षिणी दिल्ली के तिगड़ी इलाके में रहने वाले परमेश्वर पर. परमेश्वर ने अपने संघर्ष भरे जीवन में लगन और अथक परिश्रम से 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 91.75% हासिल किए हैं.

सुनें कैसे विषम परिस्थितियों में परमेश्वर ने हासिल की सफलता

ईटीवी भारत की टीम ने मेहनती और बुलंद हौसले वाले परमेश्वर से बातचीत की, जिन्होंने कम उम्र में परिवार का पेट पालने के लिए काम भी किया और परेशानियों को अपनी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया.

आजीविका के लिए संघर्ष
दक्षिणी दिल्ली के तिगड़ी इलाके में दो कमरे के छोटे से मकान में रहने वाले परमेश्वर जैसे-तैसे अपना गुजर बसर करते हैं. उन्होंने दक्षिणी दिल्ली के दक्षिणपुरी में स्थित शहीद श्री अनुसूइया प्रसाद गवर्नमेंट बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर-5 (अंबेडकर नगर) से पढ़ाई की और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 91.75% हासिल किए.

दरअसल, बात यह नहीं है कि परमेश्वर के कितने अंक हैं. बात यह है कि काफी कठिन परिस्थितियों में वह इतने अंक लाने में कामयाब हुए. परमेश्वर ने बताया कि परिवार का भरण-पोषण करने के लिए वह अपने स्कूल के साथ-साथ लोगों की गाड़ियां साफ करते थे. वह सुबह 4 बजे उठकर अपने घर से आधे घंटे पैदल चलकर खानपुर आते थे और वहां लोगों की गाड़ियां साफ करते थे और उन्हें मासिक वेतन के तौर पर महज तीन से पांच हजार रुपये मिलते थे. इन पैसों से वह अपने स्कूल की किताबें और घर का खर्च चलाते थे. उनके पिता बुजुर्ग हैं और घर में भाइयों की भी कोई स्थाई नौकरी नहीं है. ऐसे में दो वक्त की रोटी जुटाना बहुत बड़ी चुनौती है.

अस्पताल में हिंदी परीक्षा की तैयारी
परमेश्वर ने बताया कि उनकी परीक्षाएं चल रही थीं और दूसरी ओर उनके पिता अस्पताल में एडमिट थे. उनके पिता की मार्च माह में सर्जरी हुई और इस दौरान उन्होंने अस्पताल में ही हिंदी विषय की परीक्षा के लिए तैयारी की.

परमेश्वर की मां बादामी ने कहा कि बेटे की सफलता से उन्हें बहुत खुशी मिली. इसके अलावा परमेश्वर के पिता प्रभु लाल चाहते हैं कि उनका बेटा पढ़कर कुछ बने और असहाय लोगों की मदद करे. उनकी नजर में टीचिंग से अच्छा कोई काम नहीं है.

निजी संस्थान से मिली मदद
परमेश्वर ने बताया कि जिस तरह के हालात हैं, ऐसे में उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतने अच्छे अंक वह ला सकेंगे, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और परिवार भी उनकी इस सफलता से खासा खुश है.

उन्होंने बताया कि उनके संघर्षपूर्ण जीवन में एक निजी संस्था आशा ने उनकी बहुत सहायता की. उन्हें निःशुल्क ट्यूशन दी, जिससे उन्हें पढ़ाई में खासी मदद मिली. परमेश्वर ने बताया कि वह अब दिल्ली विश्वविद्यालय से इंग्लिश ऑनर्स करना चाहते हैं. इसके लिए उनका दाखिला फॉर्म भी इसी एनजीओ ने भरा. परमेश्वर ने अपनी कामयाबी के लिए अपने शिक्षकों का भी धन्यवाद किया.

पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से मिली प्रेरणा
परमेश्वर ने बताया कि उन्हें डॉ. अब्दुल कलाम के जीवन से प्रेरणा मिली कि कैसे संघर्ष में भी आगे बढ़ा जाता है. उन्होंने कहा कि वह आगे चलकर अंग्रेजी के अध्यापक बनना चाहते हैं और ज्यादा से ज्यादा ज्ञान बटोर कर समाज में उसका उपयोग करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने भी हर कदम पर उनका साथ दिया है और परिवार को भी उनसे काफी उम्मीदें हैं.

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