नई दिल्ली : महामारी के दौरान ऑनलाइन क्लास करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है. ऐसे में कई छात्रों के पास इस गैजेट तक पहुंच नहीं है, जिसपर गृह मामलों पर एक संसदीय स्थायी समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि ऑनलाइन कक्षाओं तक पहुंच के लिए छात्रों को वित्तीय सहायता और कम लागत वाले उपकरण प्रदान करने की योजना सरकार को तय करनी चाहिए.
हाल ही में राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें निर्बाध इंटरनेट का उपयोग खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदान करने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का सुझाव दिया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करने के लिए शिक्षकों का उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.
स्थायी समिति द्वारा सुझाई गई सिफारिश में कहा गया है कि जब से भारत में कोविड-19 महामारी की शुरुआत हुई है, तब से स्कूल और अन्य शैक्षणिक संस्थानों ने ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करना शुरू किया है.
गौरतलब है कि 2017-18 अखिल भारतीय राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के सर्वेक्षण के आंकड़ों में कहा गया है कि भारत में तीन-चौथाई छात्रों के पास घर में इंटरनेट तक पहुंच नहीं थी.
इंटरनेट और अन्य उपकरणों के उपयोग में कमी ने भी डिजिटल साक्षरता में एक अंतर पैदा कर दिया है. वास्तव में ऑनलाइन शिक्षा में अचानक बदलाव से कई परिवारों की खर्च करने की क्षमता भी प्रभावित होगी.
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ईटीवी भारत से बात करते हुए भारत सरकार के पूर्व स्कूल शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप ने सिफारिशों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए छात्रों को कम लागत वाले उपकरण प्रदान करना जरूरी था.
कई लोग ऑनलाइन कक्षाओं में भाग नहीं ले सकते हैं, क्योकि उनके पास लैपटॉप या कंप्यूटर नहीं है. यह समय है जब नीति निर्माताओं को इस मामले पर एक गंभीर विचार करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति को टाला जा सके.
संसदीय स्थायी समिति ने आगे कहा कि देश में एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का सुझाव दिया गया है, ताकि इस तरह की महामारी जैसी स्थिति से निपटा जा सके.