श्रीनगर : पूर्व कश्मीरी आतंकवादियों की पाकिस्तानी पत्नियों ने कहा है कि भारत सरकार उन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. इस कारण उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ा है.
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इन पाकिस्तानी महिलाओं ने सरकार से आग्रह किया है कि वो या तो उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान करे या फिर उनको वापस उनके घर भेज दिया जाए.
महिलाओं ने कहा कि इस मामले में नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास हर महीने विदेश मंत्रालय को लिखता रहा है, सरकार को हमारी दलीलों को सुनने की जरूरत है.
हम में से कुछ 15 साल से यहां हैं, जबकि कुछ 10 साल से यहां रह रही हैं, लेकिन सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती है. हम चाहते हैं कि भारत सरकार हमें पाकिस्तान में अपने घरों में लौटने की अनुमति दे ताकि हम अपने परिवारों से मिल सकें.
उन्होंने कहा, 'हमें बहुत समय से इस मूल अधिकार से वंचित रखा गया है. हम पीड़ित हैं और अब हमारे बच्चे भी इस पीड़ा से गुजर रहे हैं. हमने कश्मीरी पुरुषों से शादी करके कोई अपराध नहीं किया है. हमें क्यों दंडित किया जा रहा है?'
पाकिस्तानी महिलाओं ने आगे कहा कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी, तो वे अपने बच्चों के साथ सीमा की ओर जाएंगी, क्योंकि उनके पास कोई और विकल्प नहीं है.
महिलाओं ने कहा कि वे दोनों देशों में शांति चाहती हैं लेकिन उन्हें बिना किसी दोष के दंडित किया जा रहा है. उन्होंने सरकार से उनकी बात सुनने का आग्रह किया कि उन्हें पाकिस्तान में उनके घरों घरों को भेज दिया जाए और उन्हें स्थायी रूप से निर्वासित कर दिया जाए.
बता दें कि पूर्व पाकिस्तानी आतंकवादियों की पत्नियां, जो सरकार की पुनर्वास नीति के तहत अपने परिवारों के साथ कश्मीर में रह रही हैं. उन्होंने स्थायी भारतीय नागरिकता की मांग को लेकर केंद्र के खिलाफ पिछले साल दिसंबर में श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन किया था.
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उल्लेखनीय है कि 90 के दशक के शुरुआती दिनों में कई कश्मीरी पुरुष हथियार चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर चले गए थे और वहां की स्थानीय महिलाओं से शादी कर ली.
केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार ने वर्षों में ऐसे आतंकियों के लिए नीतियां बनाई थी कि जो कश्मीरी अपने परिवारों के साथ वापस आना चाहते हैं, वो आतंक का रास्ता छोड़ कर वापस आ सकते हैं. ऐसी पुनर्वास नीतियों और वादों के तहत कई पूर्व आतंकवादी अपने परिवारों के साथ कश्मीर लौट आए थे.