नई दिल्ली: पाकिस्तान ने अपने सहयोगी चीन के साथ मिलकर पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र के मंच पर कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जिसके लिए दोनों देशों के नेतृत्व को संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भारत की ओर से प्रतिक्रिया मिली है.
वैश्विक समुदाय ने पाकिस्तानी समुदाय को पीएम को मोदी प्रशासन को मुस्लिम विरोधी कहनेऔर उसकी तुलना नाजियों से करने को लेकर पाकिस्तान को फटकार लगाई.
दक्षिण और मध्य एशिया के लिए संयुक्त राज्य के कार्यवाहक सहायक सचिव, एलिस वेल्स ने पाकिस्तानी पीएम पाकिस्तान को निंदा कि.
क्योंकि पाकिस्तान केवल कश्मीरी मुसलमानों की बात करता है और लगभग एक मिलियन उइगर और तुर्क भाषी मुसलमानों पर जो चीन मेंं शिनजियांग प्रांत में बंदी हैं उनके प्रश्न को पूरी तरह से टाल रहा है.
इन सब विषयों पर राजनीतिक और रणनीतिक मामलों के जानकार और ओआरएफ के निदेशक प्रोफेसर हर्ष वी पंत से ईटीवी भारत ने बात की.
'चीन पर, पाकिस्तान की प्रतिक्रिया काफी अपेक्षित है. पाकिस्तान एक ऐसे देश के खिलाफ एक मुद्दा क्यों उठाएगा, जिस पर वे पूरी तरह से आर्थिक स्तर पर निर्भर है. पाकिस्तान अमेरिका पर भरोसा करने से ज्यादा चीन पर भरोसा करते हैं
वर्तमान स्थिति में, पाकिस्तान अपने व्यापार के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर है. चीन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में लगभग 60 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है जिसका भारत शुरू से ही विरोध कर रहा है क्योंकि यह रास्ता पीओके क्षेत्र से होकर जाता है.
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चीन के लिए, पाकिस्तान के साथ संबंध बहुत जरूरी है क्योंकि चीन भारत को पड़ोस में एक विश्वसनीय चुनौती के रूप में देखता है. यह मध्य एशिया और यूरेशिया क्षेत्र में अपने क्षेत्र का विस्तार करने के लिए पाकिस्तान द्वारा दिए गए क्षेत्रीय प्रवेश द्वार का उपयोग कर रहा है.
यह चीन के लिए एक विवाद का विषय भी है क्योंकि भारत और उसका सहयोगी भूटान दक्षिण एशिया क्षेत्र में केवल दो देश हैं, जो अभी भी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के अति महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा नहीं हैं.