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परिवार की तलाश में तेलंगाना के बसर पहुंची गीता, देखें विशेष रिपोर्ट - geeta search for family

पाकिस्तान से पांच साल पहले लौटी गीता अपने परिजनों की तलाश कर रही हैं. इस मुहिम में मध्य प्रदेश सरकार का निर्देश मिलने के बाद एक गैर सरकारी संगठन भी उसकी मदद कर रहा है. ईटीवी भारत ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में गीता के परिवार की तलाश के दौरान गीता की मदद कर रहे साइन लैंग्वैज एक्सपर्ट ज्ञानेंद्र से बात की थी. उन्होंने बताया कि गीता को कई जगहों पर ले जाकर कोशिश की जा रही है कि उसे कुछ पुरानी बातें याद आएं, जिससे उसके परिवार को खोजने में मदद मिलेगी. फिलहाल गीता अपने परिवार को खोजते हुए तेलंगाना के बसर पहुंच गई हैं. गीता के परिवार की तलाश के लिए ईटीवी भारत भी विशेष अपील करता है.

pakistan return geeta news
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Published : Dec 15, 2020, 10:29 PM IST

हैदराबाद : गीता बोल और सुन नहीं सकती, लेकिन तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण 2015 में पाकिस्तान से भारतीय मातृभूमि पर लौटने के बाद उसकी आंखें अपने परिवार को लगातार तलाश रही हैं जो उससे लगभग 20 साल पहले बिछड़ गया था.

बहुचर्चित घटनाक्रम में स्वदेश वापसी के पांच साल गुजर जाने के बाद भी मूक-बधिर युवती ने हालांकि उम्मीद नहीं छोड़ी है. अब वह महाराष्ट्र और इससे सटे तेलंगाना में अपने बिछड़े परिवार को खोजने निकल पड़ी है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

फिलहाल वह अपने परिवार को खोजते हुए तेलंगाना के बसर पहुंची है. इससे पहले वह महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल में थीं, जहां उन्होंने मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में गीता के बिछड़े परिवार को ढूंढ़ने की कोशिश की थी.

अधिकारियों ने बताया कि दिव्यांगों की मदद के लिए इंदौर में चलाई जा रही आनंद सर्विस सोसायटी गीता की देख-रेख कर रही है. मध्य प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग द्वारा इस गैर सरकारी संगठन को मूक-बधिर युवती के बिछड़े परिवार की खोज का जिम्मा भी सौंपा गया है.

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बसर पहुंची गीता

संगठन के सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित गीता के परिवार की खोज के लिए पिछले सप्ताह से शुरू हुई यात्रा में इस मूक-बधिर युवती के साथ हैं.

पुरोहित ने बताया कि इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान संकेत मिले हैं कि उसका मूल निवास स्थान मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में हो सकता है जहां वह लगभग दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़ कर रेल से पाकिस्तान पहुंच गई थी.

महाराष्ट्र और तेलंगाना पुलिस भी गीता के परिवार की खोज में उसकी मदद कर रही है. औरंगाबाद पुलिस की महिला शाखा में तैनात वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक किरण पाटिल ने फोन पर बताया, 'हम औरंगाबाद और इसके आस-पास के इलाकों में गुजरे 20 साल के दौरान लापता मूक-बधिर बच्चों का रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं. हो सकता है कि हमें गीता के बिछड़े परिवार के बारे में कोई अहम सुराग मिल जाए.'

अधिकारियों ने बताया कि गीता की नाक दांई ओर छिदी है और मूक-बधिर युवती के मुताबिक उसके पैतृक गांव में गन्ना, चावल और मूंगफली की खेती होती है.

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बसर तहसीलदार और पुलिस से की बात

वह तेलुगु फिल्मों के मशहूर नायक महेश बाबू की जबरदस्त प्रशंसक है और इशारों की जुबान में उसका कहना है कि उसके घर में इडली-डोसा जैसे दक्षिण भारतीय व्यंजन पकते थे.

बचपन की धुंधली यादों के आधार पर उसका यह भी कहना है कि उसके गांव के पास एक रेलवे स्टेशन था और गांव में नदी के तट के पास देवी का मंदिर था.

अधिकारियों ने बताया कि गुजरे पांच साल में देश के अलग-अलग इलाकों के करीब 20 परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं. लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर युवती पर दावा साबित नहीं हो सका है.

पढ़ें-परिवार की तलाश में महाराष्ट्र के नांदेड़ पहुंची गीता, देखें विशेष रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि फिलहाल गीता की उम्र 30 साल के आस-पास आंकी जाती है. वह बचपन में गलती से रेल में सवार होकर सीमा लांघने के कारण करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी. पाकिस्तानी रेंजर्स ने गीता को लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. उस समय उसकी उम्र आठ साल के आस-पास रही होगी.

मूक-बधिर लड़की को पाकिस्तान की सामाजिक संस्था ईधी फाउंडेशन की बिलकिस ईधी ने गोद लिया और अपने साथ कराची में रखा था.

हैदराबाद : गीता बोल और सुन नहीं सकती, लेकिन तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण 2015 में पाकिस्तान से भारतीय मातृभूमि पर लौटने के बाद उसकी आंखें अपने परिवार को लगातार तलाश रही हैं जो उससे लगभग 20 साल पहले बिछड़ गया था.

बहुचर्चित घटनाक्रम में स्वदेश वापसी के पांच साल गुजर जाने के बाद भी मूक-बधिर युवती ने हालांकि उम्मीद नहीं छोड़ी है. अब वह महाराष्ट्र और इससे सटे तेलंगाना में अपने बिछड़े परिवार को खोजने निकल पड़ी है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

फिलहाल वह अपने परिवार को खोजते हुए तेलंगाना के बसर पहुंची है. इससे पहले वह महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल में थीं, जहां उन्होंने मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में गीता के बिछड़े परिवार को ढूंढ़ने की कोशिश की थी.

अधिकारियों ने बताया कि दिव्यांगों की मदद के लिए इंदौर में चलाई जा रही आनंद सर्विस सोसायटी गीता की देख-रेख कर रही है. मध्य प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग द्वारा इस गैर सरकारी संगठन को मूक-बधिर युवती के बिछड़े परिवार की खोज का जिम्मा भी सौंपा गया है.

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बसर पहुंची गीता

संगठन के सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित गीता के परिवार की खोज के लिए पिछले सप्ताह से शुरू हुई यात्रा में इस मूक-बधिर युवती के साथ हैं.

पुरोहित ने बताया कि इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान संकेत मिले हैं कि उसका मूल निवास स्थान मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में हो सकता है जहां वह लगभग दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़ कर रेल से पाकिस्तान पहुंच गई थी.

महाराष्ट्र और तेलंगाना पुलिस भी गीता के परिवार की खोज में उसकी मदद कर रही है. औरंगाबाद पुलिस की महिला शाखा में तैनात वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक किरण पाटिल ने फोन पर बताया, 'हम औरंगाबाद और इसके आस-पास के इलाकों में गुजरे 20 साल के दौरान लापता मूक-बधिर बच्चों का रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं. हो सकता है कि हमें गीता के बिछड़े परिवार के बारे में कोई अहम सुराग मिल जाए.'

अधिकारियों ने बताया कि गीता की नाक दांई ओर छिदी है और मूक-बधिर युवती के मुताबिक उसके पैतृक गांव में गन्ना, चावल और मूंगफली की खेती होती है.

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बसर तहसीलदार और पुलिस से की बात

वह तेलुगु फिल्मों के मशहूर नायक महेश बाबू की जबरदस्त प्रशंसक है और इशारों की जुबान में उसका कहना है कि उसके घर में इडली-डोसा जैसे दक्षिण भारतीय व्यंजन पकते थे.

बचपन की धुंधली यादों के आधार पर उसका यह भी कहना है कि उसके गांव के पास एक रेलवे स्टेशन था और गांव में नदी के तट के पास देवी का मंदिर था.

अधिकारियों ने बताया कि गुजरे पांच साल में देश के अलग-अलग इलाकों के करीब 20 परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं. लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर युवती पर दावा साबित नहीं हो सका है.

पढ़ें-परिवार की तलाश में महाराष्ट्र के नांदेड़ पहुंची गीता, देखें विशेष रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि फिलहाल गीता की उम्र 30 साल के आस-पास आंकी जाती है. वह बचपन में गलती से रेल में सवार होकर सीमा लांघने के कारण करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी. पाकिस्तानी रेंजर्स ने गीता को लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. उस समय उसकी उम्र आठ साल के आस-पास रही होगी.

मूक-बधिर लड़की को पाकिस्तान की सामाजिक संस्था ईधी फाउंडेशन की बिलकिस ईधी ने गोद लिया और अपने साथ कराची में रखा था.

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