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भारत की अनिच्छा के बीच पाकिस्तान ने फिर खोला करतारपुर कॉरिडोर - पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी

पाकिस्तान ने महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर सिख तीर्थयात्रियों के लिए ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर फिर से खोल दिया है. इसके पूर्व करतारपुर गलियारा खोलने की पाकिस्तानी पेशकश पर भारत ने स्पष्ट अनिच्छा का संकेत दिया था.

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Published : Jun 29, 2020, 5:35 PM IST

Updated : Jun 29, 2020, 6:14 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना महामारी से संघर्ष कर रहे भारत की अनिच्छा के बीच पाकिस्तान ने महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर सोमवार को सिख तीर्थयात्रियों के लिए ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर फिर से खोल दिया है.

कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के हटने के बाद जैसे-जैसे दुनियाभर में धार्मिक स्थल खुले, वैसे ही पाकिस्तान ने भी महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर सभी सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर साहिब कॉरिडोर को फिर से खोलने के लिए भारतीय पक्ष के सामने अपनी इच्छा जाहिर थी.

इसके पूर्व सोमवार को दिन में ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने ट्वीट करते हुए कहा था, 'भारत ने कहा है कि पाकिस्तान केवल सद्भावना की गलत धारणा पेश करने की कोशिश कर रहा है.'

गौर करने वाली बात तो यह है कि पाकिस्तान केवल दो दिन की सूचना पर करतारपुर गलियारे को फिर से खोल कर सद्धभावना का माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है.

वहीं इस मामले में एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि द्विपक्षीय समझौते के अनुसार, यात्रा की तारीख से कम से कम सात दिन पहले पाकिस्तान को भारत से सूचना साझा करनी होती है, जिससे भारत पंजीकरण प्रक्रिया को अच्छी तरह से शुरू कर सके.

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बड़े धूमधाम से 9 नवंबर, 2019 को करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया था और बाबा गुरु नानक की 550 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर कोरिडोर खोला गया था. इस तरह और भारत और दुनियाभर के सिख श्रद्धालुओं की वर्षों से लंबित इच्छा पूरी हुई.

बता दें कि पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कॉरिडोर को इस वर्ष 16 मार्च को कोविड 19 के प्रकोप के बाद अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था. हालांकि कई महीनों के लॉकडाउन के बाद दुनियाभर में कई धार्मिक स्थल धीरे-धीरे खुल रहे हैं.

पाकिस्तान ने स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए भारत को आवश्यक एसओपी बनाने के लिए आमंत्रित किया है, ताकि स्वास्थ्य संबंधी दिशा निर्देशों का ठीक से पालन किया जा सके. इस बीच दोनों देशों के बीच कोरोना संक्रमण के केस दोनों देशों में तेजी से बढ़ रहे हैं. पाकिस्तान में प्रतिदिन लगभग 150 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो रही है.

सूत्रों के मुताबिक इस मामले में भारत सरकार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सीमा पार यात्रा को अस्थायी रूप से निलंबित हैं. हालांकि इस बारे में स्वास्थ्य अधिकारियों और संबंधित अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा.

पढ़ें - पाक स्टॉक एक्सचेंज के बाहर हमले में नौ की मौत, बलूच लिबरेशन आर्मी ने ली जिम्मेदारी

इस्लामाबाद से यह प्रस्ताव भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा पाकिस्तान के सीडीए सैयद हैदर शाह अली को तलब किए जाने के कुछ ही दिनों बाद आया था. दरअसल, भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग के 50 प्रतिशत स्टाफ को सात दिनों के भीतर कम करने के लिए कहा है.

अधिकारी ने कहा कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के अधिकारियों के अपहरण, धमकी, और उत्पीड़न के आरोपों के चलते दोनों देशों के बीच लगातार बिगड़ रहे संबंधों के बीच यह एक अच्छा कदम हो सकता है जबकि पाकिस्तान ने द्विपक्षीय समझौते में प्रतिबद्ध होने के बावजूद रावी नदी के बाढ़ के मैदानों पर अपनी तरफ से पुल का निर्माण नहीं किया है. इसलिए मानसून के आगमन के साथ यह मूल्यांकन करना होगा कि क्या मानसून के दौरान गलियारे की तीर्थयात्रा सकुशल और सुरक्षित मुमकिन है.

(स्मिता शर्मा - वरिष्ठ पत्रकार)

नई दिल्ली : कोरोना महामारी से संघर्ष कर रहे भारत की अनिच्छा के बीच पाकिस्तान ने महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर सोमवार को सिख तीर्थयात्रियों के लिए ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर फिर से खोल दिया है.

कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के हटने के बाद जैसे-जैसे दुनियाभर में धार्मिक स्थल खुले, वैसे ही पाकिस्तान ने भी महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर सभी सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर साहिब कॉरिडोर को फिर से खोलने के लिए भारतीय पक्ष के सामने अपनी इच्छा जाहिर थी.

इसके पूर्व सोमवार को दिन में ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने ट्वीट करते हुए कहा था, 'भारत ने कहा है कि पाकिस्तान केवल सद्भावना की गलत धारणा पेश करने की कोशिश कर रहा है.'

गौर करने वाली बात तो यह है कि पाकिस्तान केवल दो दिन की सूचना पर करतारपुर गलियारे को फिर से खोल कर सद्धभावना का माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है.

वहीं इस मामले में एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि द्विपक्षीय समझौते के अनुसार, यात्रा की तारीख से कम से कम सात दिन पहले पाकिस्तान को भारत से सूचना साझा करनी होती है, जिससे भारत पंजीकरण प्रक्रिया को अच्छी तरह से शुरू कर सके.

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बड़े धूमधाम से 9 नवंबर, 2019 को करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया था और बाबा गुरु नानक की 550 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर कोरिडोर खोला गया था. इस तरह और भारत और दुनियाभर के सिख श्रद्धालुओं की वर्षों से लंबित इच्छा पूरी हुई.

बता दें कि पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कॉरिडोर को इस वर्ष 16 मार्च को कोविड 19 के प्रकोप के बाद अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था. हालांकि कई महीनों के लॉकडाउन के बाद दुनियाभर में कई धार्मिक स्थल धीरे-धीरे खुल रहे हैं.

पाकिस्तान ने स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए भारत को आवश्यक एसओपी बनाने के लिए आमंत्रित किया है, ताकि स्वास्थ्य संबंधी दिशा निर्देशों का ठीक से पालन किया जा सके. इस बीच दोनों देशों के बीच कोरोना संक्रमण के केस दोनों देशों में तेजी से बढ़ रहे हैं. पाकिस्तान में प्रतिदिन लगभग 150 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो रही है.

सूत्रों के मुताबिक इस मामले में भारत सरकार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सीमा पार यात्रा को अस्थायी रूप से निलंबित हैं. हालांकि इस बारे में स्वास्थ्य अधिकारियों और संबंधित अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा.

पढ़ें - पाक स्टॉक एक्सचेंज के बाहर हमले में नौ की मौत, बलूच लिबरेशन आर्मी ने ली जिम्मेदारी

इस्लामाबाद से यह प्रस्ताव भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा पाकिस्तान के सीडीए सैयद हैदर शाह अली को तलब किए जाने के कुछ ही दिनों बाद आया था. दरअसल, भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग के 50 प्रतिशत स्टाफ को सात दिनों के भीतर कम करने के लिए कहा है.

अधिकारी ने कहा कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के अधिकारियों के अपहरण, धमकी, और उत्पीड़न के आरोपों के चलते दोनों देशों के बीच लगातार बिगड़ रहे संबंधों के बीच यह एक अच्छा कदम हो सकता है जबकि पाकिस्तान ने द्विपक्षीय समझौते में प्रतिबद्ध होने के बावजूद रावी नदी के बाढ़ के मैदानों पर अपनी तरफ से पुल का निर्माण नहीं किया है. इसलिए मानसून के आगमन के साथ यह मूल्यांकन करना होगा कि क्या मानसून के दौरान गलियारे की तीर्थयात्रा सकुशल और सुरक्षित मुमकिन है.

(स्मिता शर्मा - वरिष्ठ पत्रकार)

Last Updated : Jun 29, 2020, 6:14 PM IST
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