श्रीनगर : डोगरी साहित्य के महान लेखक शिव दत्त 'निर्मोही' ने पद्मश्री अलंकरण के लिए भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि डोगरी का भविष्य बहुत उज्ज्वल है.
निर्मोही को पद्मश्री से सम्मानित करना सभी डुग्गर प्रदेश के लोगों के लिए गौरव की बात है. निर्मोही अब तक डुग्गर के इतिहास पर 35 किताबें लिख चुके हैं और आगे भी प्रयासरत हैं.
प्रो. शिव दत्त ने भारत सरकार के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार के लिए चयनित किए जाने पर कहा कि उनका सपना साकार हुआ है, इसके लिए वह भारत सरकार के आभारी हैं.
निर्मोही जी को बचपन से ही साहित्य का शौक था और जब वह कॉलेज में आए तो उन्होंने डोगरी के साहित्य पर काम किया, जिसमें उन्होंने डुग्गर की संस्कृति, साहित्य ,धरोहर, धर्म पर शोध कार्य किया है.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने भी उन्हें 2003 में पुरस्कृत किया था.
पढ़ें- मोहम्मद शरीफ ने पद्मश्री अवार्ड के लिए चुने जाने पर पीएम मोदी को धन्यवाद दिया
प्रो. शिव दत्त इस सफलता का श्रेय अपनी पत्नी को देते हैं. निर्मोही कहते हैं, 'जब मैं शोध करने के लिए घर से निकल जाता था, तो मेरी पत्नी ही बच्चों की परवरिश वह उन्हें पढ़ाई लिखाई करवाती थी. मेरी सफलता में उनक बहुत बड़ा सहयोग रहा है.'
उनका कहना है कि जब वह शोध करने जंगलों में जाते थे, इस दौरान उनका सामना आतंकियों से भी होता था, लेकिन उनकी पहचान किसी से छुपी नहीं थी, इसलिए उन्हें शोध करते समय किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती थी, और सब लोग उनका सम्मान भी करते थे.
डोगरी को अब पहले से ज्यादा प्रोत्साहन दिया जा रहा है, उच्च संस्थानों में भी डोगरी का प्रचलन शुरू हो गया है. डोगरी संस्कृत कार्यों की आत्मा है, प्रो. शिव दत्त ने कहा कि डोगरी का भविष्य बहुत उज्ज्वल है.