ETV Bharat / bharat

ओवैसी के भाषण राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दों का कॉकटेल

author img

By

Published : Nov 1, 2020, 6:00 AM IST

बिहार चुनाव में मतदाताओं को लुभाने में असदुद्दीन ओवैसी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. ओवैसी स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों को साथ-साथ उठा रहे हैं. इससे इनकी रैली में भीड़ आ रही है. पढ़ें ईटीवी भारत के बिहार ब्यूरो चीफ अमित भेलारी की रिपोर्ट.

owaisi
ओवैसी

पटना : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी बिहार चुनाव में मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. वह अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके मतदाताओं को क्या आकर्षित करेगा और तदनुसार, वह अपने भाषणों को आकार दे रहे हैं. उनके भाषण स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों का मिश्रण होते हैं, जो दर्शकों को ठहाके लगाने, तालियां और सीटी बजाने के लिए मजबूर कर देता है.

सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर सत्ता पक्ष को घेर रहे

ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ग्रेट डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जीडीएसएफ) के बैनर तले चुनाव लड़ रही है. इसमें छह राजनीतिक दलों ने आरएलएसपी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा को सीएम चेहरे के रूप में रखा है. ओवैसी मुख्य रूप से मुस्लिम मतदाताओं के गढ़ किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार में उग्र भाषण दे रहे हैं. ओवैसी के भाषण नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और नागरिक पंजीकरण के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) जैसे मुद्दों पर केंद्रित होती है. अपने भाषणों में मतदाताओं को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि मुसलमानों को एकजुट होकर इन मुद्दों (ओवैसी के अनुसार अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक) के खिलाफ लड़ना चाहिए.

राजद और कांग्रेस को भी इन्हीं से घेर रहे

एआईएमआईएम उम्मीदवार और सीमांचल के गांधी के रूप में प्रख्यात वरिष्ठ राजद नेता मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के सबसे छोटे बेटे शाहनवाज आलम के पक्ष में ओवैसी ने अररिया जिले के जोकीहाट में रैली कर कहा कि सीएए और एनसीआर धर्म के आधार पर तैयार किए गए हैं. ये दोनों बिल संविधान की भावना के खिलाफ हैं और गांधी और अंबेडकर की विचारधारा के भी खिलाफ हैं. राजद और कांग्रेस के नेता कभी एनआरसी और सीएए के खिलाफ क्यों नहीं बोलते हैं? हर रैली में ओवैसी यह दावा कर रहे हैं कि सीएए और एनआरसी के कारण सीमांचल बेल्ट के लोगों को कथित तौर पर घुसपैठिए कहा जा रहा है. एनआरसी और सीएए के अलावा उनके एजेंडे में गलवान घाटी का मुद्दा भी शामिल है, जहां भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चीन से बदला लेने के लिए कह रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि भारत चीनी सैनिकों को आश्रय दे रहा है.

भागलपुर दंगों की याद दिला रहे

लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के शासन पर हमला करने के अलावा ओवैसी अधिकांश रैली में इन मुद्दों को उठा रहे हैं. एक अनुभवी राजनेता होने के नाते वह अपने भाषण देने में बहुत चूजी हैं और निर्वाचन क्षेत्र के आधार पर भाषण में बदलाव करते हैं. भागलपुर के नाथनगर विधानसभा क्षेत्र में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने लोगों को भागलपुर दंगों की याद दिलाई. उन्होंने अपने समर्थकों को याद दिलाया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने तब कुछ नहीं किया, जब गरीब बुनकरों का नरसंहार किया गया. उन्होंने लोगों को यह भी याद दिलाया कि लालू प्रसाद ने दंगों के आरोपियों का समर्थन कैसे किया. ओवैसी ने कहा कि भागलपुर के लोग यह नहीं भूले हैं कि दंगों के दौरान क्या हुआ था और हमारे भाइयों और बहनों के साथ कैसा व्यवहार किया गया था. शव खेतों में बिखरे पड़े थे. आपने लालू और नीतीश दोनों को मौका दिया है, लेकिन अब आपके पास उन्हें बदलने का विकल्प उपेंद्र कुशवाहा के रूप में मौजूद है. युवाओं को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि वह बिहार में बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दे को भी उठा रहे हैं और उन्हें एक बदलाव लाने के लिए कह रहे हैं.

किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का मुद्दा

किशनगंज के कोचाधमन विधानसभा क्षेत्र में ओवैसी ने जोर देकर कहा कि पूर्णिया से हवाई सेवा शुरू होने पर सीमांचल क्षेत्र अधिक विकसित होगा. वर्तमान में पूर्णिया हवाई अड्डे का उपयोग भारतीय वायु सेना करती है. ओवैसी ने यह भी इंगित किया कि किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की तरह के एक विश्वविद्यालय की बहुत आवश्यकता है. क्षेत्र में इसके बिना विकास नहीं हो सकता. 2013 में, यूपीए सरकार ने एएमयू को मंजूरी दी थी, लेकिन अभी भी यह फंड संकट का सामना कर रहा है.अगर उन्होंने किशनगंज में एएमयू का मुद्दा उठाया, तो उन्होंने कैमूर जिले के भभुआ में बंद चावल मिलों का मुद्दा उठाया. कारण यह है कि शाहाबाद को बिहार का धान का कटोरा (चावल का कटोरा) माना जाता है. वह नीतीश सरकार पर हमला करने का अवसर भी नहीं चूक रहे हैं. बांका में चुनाव प्रचार के दौरान ओवैसी ने आरोप लगाया कि नीतीश के शासन में भ्रष्टाचार चरम पर है और सरकारी कार्यालयों में रिश्वत दिए बिना कोई काम नहीं होता है.

कर रहे दावा-नीतीश कुमार को रिटायरमेंट होम भेजने की तैयारी

ओवैसी अपनी रैलियों में यह आख्यान बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री बिहार का मुख्यमंत्री भाजपा से नियुक्त करेंगे, न कि नीतीश को. नीतीश कुमार को रिटायरमेंट होम भेजने की तैयारी है. यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव के दौरान चयनात्मक मुद्दों को उठाने के तरीके का परिणाम पर क्या प्रभाव पड़ेगा. हालांकि, सत्तारूढ़ और विपक्ष दोनों ने उन्हें वोटकटुआ (वोट कटर) करार दिया है.

पटना : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी बिहार चुनाव में मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. वह अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके मतदाताओं को क्या आकर्षित करेगा और तदनुसार, वह अपने भाषणों को आकार दे रहे हैं. उनके भाषण स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों का मिश्रण होते हैं, जो दर्शकों को ठहाके लगाने, तालियां और सीटी बजाने के लिए मजबूर कर देता है.

सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर सत्ता पक्ष को घेर रहे

ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ग्रेट डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जीडीएसएफ) के बैनर तले चुनाव लड़ रही है. इसमें छह राजनीतिक दलों ने आरएलएसपी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा को सीएम चेहरे के रूप में रखा है. ओवैसी मुख्य रूप से मुस्लिम मतदाताओं के गढ़ किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार में उग्र भाषण दे रहे हैं. ओवैसी के भाषण नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और नागरिक पंजीकरण के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) जैसे मुद्दों पर केंद्रित होती है. अपने भाषणों में मतदाताओं को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि मुसलमानों को एकजुट होकर इन मुद्दों (ओवैसी के अनुसार अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक) के खिलाफ लड़ना चाहिए.

राजद और कांग्रेस को भी इन्हीं से घेर रहे

एआईएमआईएम उम्मीदवार और सीमांचल के गांधी के रूप में प्रख्यात वरिष्ठ राजद नेता मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के सबसे छोटे बेटे शाहनवाज आलम के पक्ष में ओवैसी ने अररिया जिले के जोकीहाट में रैली कर कहा कि सीएए और एनसीआर धर्म के आधार पर तैयार किए गए हैं. ये दोनों बिल संविधान की भावना के खिलाफ हैं और गांधी और अंबेडकर की विचारधारा के भी खिलाफ हैं. राजद और कांग्रेस के नेता कभी एनआरसी और सीएए के खिलाफ क्यों नहीं बोलते हैं? हर रैली में ओवैसी यह दावा कर रहे हैं कि सीएए और एनआरसी के कारण सीमांचल बेल्ट के लोगों को कथित तौर पर घुसपैठिए कहा जा रहा है. एनआरसी और सीएए के अलावा उनके एजेंडे में गलवान घाटी का मुद्दा भी शामिल है, जहां भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चीन से बदला लेने के लिए कह रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि भारत चीनी सैनिकों को आश्रय दे रहा है.

भागलपुर दंगों की याद दिला रहे

लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के शासन पर हमला करने के अलावा ओवैसी अधिकांश रैली में इन मुद्दों को उठा रहे हैं. एक अनुभवी राजनेता होने के नाते वह अपने भाषण देने में बहुत चूजी हैं और निर्वाचन क्षेत्र के आधार पर भाषण में बदलाव करते हैं. भागलपुर के नाथनगर विधानसभा क्षेत्र में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने लोगों को भागलपुर दंगों की याद दिलाई. उन्होंने अपने समर्थकों को याद दिलाया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने तब कुछ नहीं किया, जब गरीब बुनकरों का नरसंहार किया गया. उन्होंने लोगों को यह भी याद दिलाया कि लालू प्रसाद ने दंगों के आरोपियों का समर्थन कैसे किया. ओवैसी ने कहा कि भागलपुर के लोग यह नहीं भूले हैं कि दंगों के दौरान क्या हुआ था और हमारे भाइयों और बहनों के साथ कैसा व्यवहार किया गया था. शव खेतों में बिखरे पड़े थे. आपने लालू और नीतीश दोनों को मौका दिया है, लेकिन अब आपके पास उन्हें बदलने का विकल्प उपेंद्र कुशवाहा के रूप में मौजूद है. युवाओं को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि वह बिहार में बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दे को भी उठा रहे हैं और उन्हें एक बदलाव लाने के लिए कह रहे हैं.

किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का मुद्दा

किशनगंज के कोचाधमन विधानसभा क्षेत्र में ओवैसी ने जोर देकर कहा कि पूर्णिया से हवाई सेवा शुरू होने पर सीमांचल क्षेत्र अधिक विकसित होगा. वर्तमान में पूर्णिया हवाई अड्डे का उपयोग भारतीय वायु सेना करती है. ओवैसी ने यह भी इंगित किया कि किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की तरह के एक विश्वविद्यालय की बहुत आवश्यकता है. क्षेत्र में इसके बिना विकास नहीं हो सकता. 2013 में, यूपीए सरकार ने एएमयू को मंजूरी दी थी, लेकिन अभी भी यह फंड संकट का सामना कर रहा है.अगर उन्होंने किशनगंज में एएमयू का मुद्दा उठाया, तो उन्होंने कैमूर जिले के भभुआ में बंद चावल मिलों का मुद्दा उठाया. कारण यह है कि शाहाबाद को बिहार का धान का कटोरा (चावल का कटोरा) माना जाता है. वह नीतीश सरकार पर हमला करने का अवसर भी नहीं चूक रहे हैं. बांका में चुनाव प्रचार के दौरान ओवैसी ने आरोप लगाया कि नीतीश के शासन में भ्रष्टाचार चरम पर है और सरकारी कार्यालयों में रिश्वत दिए बिना कोई काम नहीं होता है.

कर रहे दावा-नीतीश कुमार को रिटायरमेंट होम भेजने की तैयारी

ओवैसी अपनी रैलियों में यह आख्यान बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री बिहार का मुख्यमंत्री भाजपा से नियुक्त करेंगे, न कि नीतीश को. नीतीश कुमार को रिटायरमेंट होम भेजने की तैयारी है. यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव के दौरान चयनात्मक मुद्दों को उठाने के तरीके का परिणाम पर क्या प्रभाव पड़ेगा. हालांकि, सत्तारूढ़ और विपक्ष दोनों ने उन्हें वोटकटुआ (वोट कटर) करार दिया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.