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विदेशी सहायता पर रोक के फैसले से सामाजिक संगठनों में नाराजगी

केंद्र सरकार द्वारा विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम में किए गए संशोधन के खिलाफ एनजीओ और सामाजिक संगठनों में असंतोष दिखाई दे रहा है. उनका कहना है कि सरकार एनजीओ और सामाजिक संगठनों को कमजोर करना चाहती है.

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मोहम्मद सुलेमान
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Published : Oct 5, 2020, 9:19 PM IST

कानपुर : भारत की 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. लगभग 30 करोड़ लोग बिल्कुल भी पढ़ या लिख नहीं ​​सकते हैं. लगभग 10 करोड़ लोग आदिवासी जीवन जीते हैं. यह दूरस्थ और पहाड़ी तथा वन क्षेत्रों में रहते हैं, जिन तक सभी सरकारी सुविधाएं और योजनाएं नहीं पहुंचती हैं.

ऐसे लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सामाजिक संगठन और एनजीओ काम करती हैं. इन सामाजिक संगठनों और एनजीओ को राहत कार्यों के लिए विदेश से सहायता मिलती थी, लेकिन केंद्र सरकार ने विदेशी आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है.

इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान का बयान

दरअसल, केंद्र सरकार ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) में संशोधन किया है. अब सामाजिक संगठनों और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को विदेशी सहायता नहीं मिल पाएगी. सरकार के इस फैसले से सामाजिक कार्यों से जुड़े लोगों में असंतोष दिख रहा है.

इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान का कहना है कि कानून में संशोधन से सभी राजनीतिक, सामाजिक और गैर सरकारी संगठनों को अब वित्तीय संकट का सामना करना पड़ेगा, जिससे उनका काम प्रभावित होगा.

उन्होंने कहा कि विदेशी सहायता पर रोक लगाना लोकतंत्र के खिलाफ है. सरकार के इस फैसले के खिलाफ लोगों को खड़ा होना चाहिए.

कानपुर : भारत की 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. लगभग 30 करोड़ लोग बिल्कुल भी पढ़ या लिख नहीं ​​सकते हैं. लगभग 10 करोड़ लोग आदिवासी जीवन जीते हैं. यह दूरस्थ और पहाड़ी तथा वन क्षेत्रों में रहते हैं, जिन तक सभी सरकारी सुविधाएं और योजनाएं नहीं पहुंचती हैं.

ऐसे लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सामाजिक संगठन और एनजीओ काम करती हैं. इन सामाजिक संगठनों और एनजीओ को राहत कार्यों के लिए विदेश से सहायता मिलती थी, लेकिन केंद्र सरकार ने विदेशी आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है.

इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान का बयान

दरअसल, केंद्र सरकार ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) में संशोधन किया है. अब सामाजिक संगठनों और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को विदेशी सहायता नहीं मिल पाएगी. सरकार के इस फैसले से सामाजिक कार्यों से जुड़े लोगों में असंतोष दिख रहा है.

इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान का कहना है कि कानून में संशोधन से सभी राजनीतिक, सामाजिक और गैर सरकारी संगठनों को अब वित्तीय संकट का सामना करना पड़ेगा, जिससे उनका काम प्रभावित होगा.

उन्होंने कहा कि विदेशी सहायता पर रोक लगाना लोकतंत्र के खिलाफ है. सरकार के इस फैसले के खिलाफ लोगों को खड़ा होना चाहिए.

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