नई दिल्ली : लेखकों और निर्देशकों के एक तबके ने बुधवार को कहा कि ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाए जाने के निर्णय से वैश्विक स्तर पर भारतीय कंटेंट क्रिएटरों को नुकसान हो सकता है तथा इससे निर्माताओं और यहां तक कि दर्शकों की रचनात्मक एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है.
नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और डिज्नी + हॉटस्टार जैसे ओटीटी मंचों तथा ऑनलाइन समाचार एवं समसामयिक मामलों से जुड़ी सामग्री को मंत्रालय के दायरे में लाए जाने के फैसले पर निराशा व्यक्त करने वालों में हंसल मेहता और रीमा कागती जैसे फिल्मकार शामिल हैं.
यद्यपि, एम एक्स प्लेयर के मुख्य कार्याधिकारी करण बेदी ने कहा कि वह स्व-नियमन की दिशा में प्रयासों को क्रियान्वित करने के लिए मंत्रालय के साथ काम करने को लेकर आशान्वित हैं.
बेदी ने कहा, जिम्मेदार कंटेंट क्रिएटर की तरह हम चाहते हैं कि यह कदम न सिर्फ प्रसारित की जा रही सामग्री की प्रकृति का संज्ञान ले, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि हम इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र में रचनात्मकता की रक्षा कर सकें.
कई अन्य बड़े ओटीटी मंचों ने संपर्क करने पर इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करने से इनकार किया.
संबंधित कदम सूचना और प्रसारण मंत्रालय को ऑनलाइन मंचों पर समाचार, दृश्य-श्रव्य सामग्री और फिल्मों से संबंधित नीतियों के नियमन की शक्तियां प्रदान करता है.
मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा मंगलवार रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर वाली जारी की गई अधिसूचना के अनुसार फैसले से भारत सरकार (कार्य आवंटन नियम) 1961 में संशोधन हो गया है और यह तत्काल प्रभाव से लागू है.
मेहता ने सरकार के कदम पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण ठीक नहीं है.
वहीं, कागती ने कहा कि हालांकि सेंसरशिप के बारे में कुछ खास नहीं कहा गया है, सिवाय इसके कि यह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में आ गया है. यह देखने के लिए इंतजार करना चाहिए कि वास्तव में इसका क्या तात्पर्य है.