नई दिल्ली : संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ राजनीतिक विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसी कड़ी में यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव तैयार किया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि इसे अगर लागू किया जाता है तो यह दुनिया में बड़े मानवीय संकट को जन्म दे सकता है. फिलहाल ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक हर्ष पंत की मानें तो यह दावा करना सही नहीं है कि नागरिकता कानून से मानवीय संकट पैदा हो सकता है. यह अतिशयोक्ति है. सीएए नागरिकता लेने वाला नहीं बल्कि नागरिकता देने वाला कानून है.
यूरोपीय पार्लियामेंट (यूरोपीय संसद) के 626 से ज्यादा सांसदों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया है. इसमें कहा गया कि इससे भारत में नागरिकता तय करने के तरीके से खतरनाक बदलाव हो सकता है. इससे बहुत बड़ी संख्या में लोग स्टेटलैस यानी बिना नागरिकता के हो जाएंगे. उनका कोई देश नहीं रह जाएगा.
सांसदों की तरफ से तैयार पांच पन्नों के प्रस्ताव कहा गया कि इसे लागू करना दुनिया में बड़े मानवीय संकट को जन्म दे सकता है. इस पर भारत ने कहा है कि सीएए उसका आंतरिक मामला है.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक हर्ष पंत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि सीएए पर निश्चित रूप से भ्रम है. इसलिए नई दिल्ली की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह इससे संबंधित हितधारकों के साथ बातचीत करे और उन्हें सीएए पर भारत की स्थिति के बारें में समझाए.
प्रोफेसर ने कहा कि यह दावा करना सही नहीं है कि नागरिकता कानून से मानवीय संकट पैदा हो सकता है. यह अतिशयोक्ति है. सीएए नागरिकता लेने वाला नहीं बल्कि नागरिकता देने वाला कानून है.
उन्होंने कहा कि सीएए के माध्यम से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश के पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता दिया जाना है. जो वर्षों से बेकार और बेघर थे.
इतना ही नहीं यूरोपीय सांसदों के इस प्रस्ताव में भारत सरकार पर भेदभाव, उत्पीड़न और विरोध में उठी आवाजों को दबाने का आरोप भी लगाया गया है. इसके अलावा सरकार पर आलोचकों और मानवधिकार समूहों को चुप कराने का भी आरोप लगाया है.
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वहीं इसमें यह भी कहा गया कि नए कानून से भारत में मुस्लिमों की नागरिकता छीनने का आधार तैयार हो जाएगा. साथ ही नागरिकता रजिस्टर के साथ मिलकर सीएए कई मुस्लिमों को नागरिकता से वंचित कर सकता है. सांसदों ने यूरोपीय संघ से इस मामले में दखल देने की मांग भी की है.
सीएए के खिलाफ तैयार यूरोपीय संघ द्वारा तैयार किए प्रस्ताव पर यूरोप स्थित भारतीय दूतावास ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक स्वतंत्र स्थान है और यह प्रस्ताव यूरोपीय संसद के राजनीतिक समूहों ने तैयार किया है.