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रजोनिवृत्ति के समय वेतन सहित छुट्टी देने पर विचार करें सरकारें : हाई कोर्ट - महिलाओं की पेड लीव पर केंद्र और दिल्ली सरकार

माहवारी के दौरान पेड लीव दिए जाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है. निर्देश में कहा गया है कि वह महिला कर्मचारियों और श्रमिकों को हर महीने उनकी रजोनिवृत्ति के समय का वेतन सहित अवकाश देने की मांग करने वाली मांग पर प्रतिवेदन के तौर पर विचार करें.

रजोनिवृत्ति पर वेतन सहित छुट्टी
रजोनिवृत्ति पर वेतन सहित छुट्टी
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Published : Nov 23, 2020, 10:31 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो महिला कर्मचारियों और श्रमिकों को हर महीने उनकी रजोनिवृति (पीरियड्स) के समय का वेतन सहित अवकाश देने की मांग पर प्रतिवेदन के तौर पर विचार करें. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया.

बता दें कि ये याचिका दिल्ली लेबर यूनियन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील राजीव अग्रवाल ने कहा है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के दफ्तरों में महिलाकर्मियों की संख्या अच्छी-खासी है. वर्तमान में महिलाएं हर क्षेत्र में नौकरी कर रही हैं, चाहे वे कुशल श्रमिक के रूप में हो, अकुशल श्रमिक के रूप में हों या अधिकारी के रूप में. इन महिला श्रमिकों को स्थायी और अस्थायी या संविदा के आधार पर रोजगार दिया गया है.

वकील पूनम कौशिक

'रजोनिवृति महिलाओं की बायोलॉजिकल जरूरत'
याचिका में कहा गया है कि महिलाओं की बायोलॉजिकल जरूरत की वजह से उन्हें बाकी कर्मचारियों से अलग सुविधाएं दी जानी चाहिए. महिलाओं को रजोनिवृति के समय अलग और स्वच्छ शौचालय की सुविधा देने के अलावा उन्हें कैजुअल लीव या वेतन सहित छुट्टी दी जाए. रजोनिवृति के समय मुफ्त में सैनिटरी नैपकिन देने की मांग की गई है.


'महिलाओं को अलग से कोई सुविधा नहीं दी जाती'
याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 15(3) के मुताबिक केंद्र और दिल्ली सरकार को महिलाओं के लिए अलग सुविधाएं दी जानी चाहिए, लेकिन सरकारें उन्हें अलग से कोई सुविधा नहीं देती हैं. महिला कर्मचारियों, श्रमिकों से पुरुष कर्मचारियों और श्रमिकों की तरह ही व्यवहार किया जाता है. उनके लिए कोई खास इंतजाम नहीं किया जाता है.

जरूरी कदम उठाए सरकार

प्रगतिशील महिला संगठन की नेत्री और वकील पूनम कौशिक ने दिल्ली और केंद्र सरकार से मांग की है कि वे हाई कोर्ट के दिशानिर्देश के बाद महिलाओं के लिए जरूरी कदम उठाएं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि दिल्ली और केंद्र सरकार इस मांग पर गंभीरता से विचार करेगी. दिल्ली जैसे शहर के लिए शौचालयों में मुफ्त सैनिटरी नैपकिन का वेंडिंग मशीन लगाया जाना चाहिए.

वकील जया देवी

'कामकाजी महिलाओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत'

वकील जया देवी ने कहा कि महिलाओं को पीरियड्स को लेकर प्रताड़ना झेलनी पड़ती है. समाज और सरकार को महिलाओं के प्रति बेहद संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए. महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालयों में विशेष सुविधाएं देनी चाहिए. कामकाजी महिलाओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. उन्हें माहवारी के दौरान पेड लीव देना चाहिए तभी पीरियड्स जैसी प्रताड़ना से महिलाओं को मुक्ति मिल सकती है.

पढ़ें- दिल्ली में तत्काल लॉकडाउन लगाने की मांग को HC ने किया खारिज

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो महिला कर्मचारियों और श्रमिकों को हर महीने उनकी रजोनिवृति (पीरियड्स) के समय का वेतन सहित अवकाश देने की मांग पर प्रतिवेदन के तौर पर विचार करें. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया.

बता दें कि ये याचिका दिल्ली लेबर यूनियन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील राजीव अग्रवाल ने कहा है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के दफ्तरों में महिलाकर्मियों की संख्या अच्छी-खासी है. वर्तमान में महिलाएं हर क्षेत्र में नौकरी कर रही हैं, चाहे वे कुशल श्रमिक के रूप में हो, अकुशल श्रमिक के रूप में हों या अधिकारी के रूप में. इन महिला श्रमिकों को स्थायी और अस्थायी या संविदा के आधार पर रोजगार दिया गया है.

वकील पूनम कौशिक

'रजोनिवृति महिलाओं की बायोलॉजिकल जरूरत'
याचिका में कहा गया है कि महिलाओं की बायोलॉजिकल जरूरत की वजह से उन्हें बाकी कर्मचारियों से अलग सुविधाएं दी जानी चाहिए. महिलाओं को रजोनिवृति के समय अलग और स्वच्छ शौचालय की सुविधा देने के अलावा उन्हें कैजुअल लीव या वेतन सहित छुट्टी दी जाए. रजोनिवृति के समय मुफ्त में सैनिटरी नैपकिन देने की मांग की गई है.


'महिलाओं को अलग से कोई सुविधा नहीं दी जाती'
याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 15(3) के मुताबिक केंद्र और दिल्ली सरकार को महिलाओं के लिए अलग सुविधाएं दी जानी चाहिए, लेकिन सरकारें उन्हें अलग से कोई सुविधा नहीं देती हैं. महिला कर्मचारियों, श्रमिकों से पुरुष कर्मचारियों और श्रमिकों की तरह ही व्यवहार किया जाता है. उनके लिए कोई खास इंतजाम नहीं किया जाता है.

जरूरी कदम उठाए सरकार

प्रगतिशील महिला संगठन की नेत्री और वकील पूनम कौशिक ने दिल्ली और केंद्र सरकार से मांग की है कि वे हाई कोर्ट के दिशानिर्देश के बाद महिलाओं के लिए जरूरी कदम उठाएं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि दिल्ली और केंद्र सरकार इस मांग पर गंभीरता से विचार करेगी. दिल्ली जैसे शहर के लिए शौचालयों में मुफ्त सैनिटरी नैपकिन का वेंडिंग मशीन लगाया जाना चाहिए.

वकील जया देवी

'कामकाजी महिलाओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत'

वकील जया देवी ने कहा कि महिलाओं को पीरियड्स को लेकर प्रताड़ना झेलनी पड़ती है. समाज और सरकार को महिलाओं के प्रति बेहद संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए. महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालयों में विशेष सुविधाएं देनी चाहिए. कामकाजी महिलाओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. उन्हें माहवारी के दौरान पेड लीव देना चाहिए तभी पीरियड्स जैसी प्रताड़ना से महिलाओं को मुक्ति मिल सकती है.

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