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विपक्षी नेताओं की राष्ट्रपति से मुलाकात, कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग

दिल्ली-हरियाणा सीमा पर सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन का आज 14वां दिन है. इसी बीच पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की.

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Published : Dec 9, 2020, 4:57 PM IST

Updated : Dec 9, 2020, 6:33 PM IST

राष्ट्रपति कोविंद से मिलने पहुंचे पवार
राष्ट्रपति कोविंद से मिलने पहुंचे पवार

नई दिल्ली : केंद्र की ओर से बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली-हरियाणा सीमा पर सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन का आज 14वां दिन है. इसी बीच पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, माकपा नेता सीताराम येचुरी और भाकपा नेता डी राजा समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. राष्ट्रपति से मुलाकात के विपक्षी नेताओं ने कहा कि हमने सरकार को इन कानूनों को वापस लेने के लिए ज्ञापन दिया है.

सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कृषि कानूनों को लेकर हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया है. इसमें गैर लोकतांत्रिक तरीके से पारित किए गए कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल पर फिर से विचार-विमर्श करने की मांग की गई है.

राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद मीडिया को जानकारी देते विपक्षी नेता

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि हमने राष्ट्रपति से मांग की है कि इन किसान विरोधी कानूनों को वापस लिया जाए.

वहीं पूर्व कृषि मंत्री और राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि सभी विपक्षी दलों के साथ इन विधेयक पर गहन चर्चा करने और फिर इसे समिति के पास भेजने का अनुरोध किया गया था, लेकिन कोई सुझाव स्वीकार नहीं किया गया और जल्दबाजी में इन विधेयकों को पारित किया गया है. पवार ने आगे कहा कि इतनी ठंड में भी किसान शांतिपूर्ण ढंग से सड़क पर उतरने को मजबूर हैं. इन मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाना सरकार का कर्तव्य है.

सरकार के साथ बैठक नहीं
बता दें कि गतिरोध थमता न देख मंगलवार को आहूत भारत बंद के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं के साथ बैठक की थी. इसके बाद आज यानी 9 दिसंबर को भी केंद्र और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की वार्ता होनी थी.

opposition leaders
विपक्षी नेताओं ने सौंपा राष्ट्रपति को ज्ञापन

यह भी पढ़ें- कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन का 14वां दिन

हालांकि, किसान नेताओं और गृह मंत्री अमित शाह के बीच लगभग तीन घंटे की बैठक के बाद यह सामने आया कि किसानों और सरकार के बीच 9 दिसंबर को कोई बैठक नहीं होगी. अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया था कि किसान नेताओं को सरकार की ओर से एक प्रस्ताव दिया जाएगा. इसके बाद किसान नेता सरकार के प्रस्ताव पर एक बैठक करेंगे.

इससे पहले सोमवार को किसान कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेता टिकैत ने कहा था कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत भारत बंद जनता के समर्थन से सफल होगा. उन्होंने कहा कि बीकेयू कार्यकर्ता दिल्ली-यूपी गाजीपुर सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- यहां पढ़ें- किसान आंदोलन का 13वां दिन, आठ दिसंबर के भारत बंद की हर अपडेट

सोमवार को राकेश टिकैत दिल्ली-हरियाणा सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं के साथ बैठक करते दिखे. उन्होंने बताया कि वह यहां देशव्यापी भारत बंद की योजना पर चर्चा करने आए थे. ईटीवी भारत से बात करते हुए टिकैत ने कहा कि उन्होंने मंगलवार के भारत बंद के लिए 'अपना गांव-अपनी सड़क' का नारा दिया है.

यह भी पढ़ें- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन का 12वां दिन

बता दें कि गृहमंत्री अमित शाह इससे पहले भी किसानों को वार्ता करने की सलाह दे चुके हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों को वार्ता के लिए आमंत्रित करते हुए कहा था कि सरकार सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है. उन्होंने गतिरोध खत्म करने और बुराड़ी मैदान में जाने की अपील की थी.

यह भी पढ़ें- किसान आंदोलन : अमित शाह की अपील, सरकार बातचीत के लिए तैयार

यह भी पढ़ें:

कहां से पनपना शुरू हुआ असंतोष
बीते 17 सितंबर को विधेयकों के पारित होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा, किसान को उत्पाद सीधे बेचने की आजादी मिलेगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था भी जारी रहेगी.

यह भी पढ़ें- किसानों से जुड़े विधेयक पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश, जानिए पक्ष-विपक्ष

कृषि सुधार विधेयकों को लेकर पीएम मोदी का कहना है कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है. उनके अनुसार इन विधेयकों के पारित हो जाने के बाद किसानों की न सिर्फ आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उनके सामने कई विकल्प भी मौजूद होंगे.

नई दिल्ली : केंद्र की ओर से बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली-हरियाणा सीमा पर सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन का आज 14वां दिन है. इसी बीच पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, माकपा नेता सीताराम येचुरी और भाकपा नेता डी राजा समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. राष्ट्रपति से मुलाकात के विपक्षी नेताओं ने कहा कि हमने सरकार को इन कानूनों को वापस लेने के लिए ज्ञापन दिया है.

सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कृषि कानूनों को लेकर हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया है. इसमें गैर लोकतांत्रिक तरीके से पारित किए गए कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल पर फिर से विचार-विमर्श करने की मांग की गई है.

राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद मीडिया को जानकारी देते विपक्षी नेता

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि हमने राष्ट्रपति से मांग की है कि इन किसान विरोधी कानूनों को वापस लिया जाए.

वहीं पूर्व कृषि मंत्री और राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि सभी विपक्षी दलों के साथ इन विधेयक पर गहन चर्चा करने और फिर इसे समिति के पास भेजने का अनुरोध किया गया था, लेकिन कोई सुझाव स्वीकार नहीं किया गया और जल्दबाजी में इन विधेयकों को पारित किया गया है. पवार ने आगे कहा कि इतनी ठंड में भी किसान शांतिपूर्ण ढंग से सड़क पर उतरने को मजबूर हैं. इन मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाना सरकार का कर्तव्य है.

सरकार के साथ बैठक नहीं
बता दें कि गतिरोध थमता न देख मंगलवार को आहूत भारत बंद के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं के साथ बैठक की थी. इसके बाद आज यानी 9 दिसंबर को भी केंद्र और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की वार्ता होनी थी.

opposition leaders
विपक्षी नेताओं ने सौंपा राष्ट्रपति को ज्ञापन

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हालांकि, किसान नेताओं और गृह मंत्री अमित शाह के बीच लगभग तीन घंटे की बैठक के बाद यह सामने आया कि किसानों और सरकार के बीच 9 दिसंबर को कोई बैठक नहीं होगी. अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया था कि किसान नेताओं को सरकार की ओर से एक प्रस्ताव दिया जाएगा. इसके बाद किसान नेता सरकार के प्रस्ताव पर एक बैठक करेंगे.

इससे पहले सोमवार को किसान कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेता टिकैत ने कहा था कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत भारत बंद जनता के समर्थन से सफल होगा. उन्होंने कहा कि बीकेयू कार्यकर्ता दिल्ली-यूपी गाजीपुर सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

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सोमवार को राकेश टिकैत दिल्ली-हरियाणा सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं के साथ बैठक करते दिखे. उन्होंने बताया कि वह यहां देशव्यापी भारत बंद की योजना पर चर्चा करने आए थे. ईटीवी भारत से बात करते हुए टिकैत ने कहा कि उन्होंने मंगलवार के भारत बंद के लिए 'अपना गांव-अपनी सड़क' का नारा दिया है.

यह भी पढ़ें- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन का 12वां दिन

बता दें कि गृहमंत्री अमित शाह इससे पहले भी किसानों को वार्ता करने की सलाह दे चुके हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों को वार्ता के लिए आमंत्रित करते हुए कहा था कि सरकार सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है. उन्होंने गतिरोध खत्म करने और बुराड़ी मैदान में जाने की अपील की थी.

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कहां से पनपना शुरू हुआ असंतोष
बीते 17 सितंबर को विधेयकों के पारित होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा, किसान को उत्पाद सीधे बेचने की आजादी मिलेगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था भी जारी रहेगी.

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कृषि सुधार विधेयकों को लेकर पीएम मोदी का कहना है कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है. उनके अनुसार इन विधेयकों के पारित हो जाने के बाद किसानों की न सिर्फ आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उनके सामने कई विकल्प भी मौजूद होंगे.

Last Updated : Dec 9, 2020, 6:33 PM IST
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