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ऑनलाइन माध्यम में बड़े स्टार की नहीं, अच्छी कहानी और दमदार अभिनय की जरूरत होती है

लॉकडाउन के दौरान वेब सीरीजों को बढ़ावा मिला है और इंटरनेट पर मनोरंजन सामग्री उपलब्ध होने (ओटीटी) से कई नवोदित अभिनेताओं को पहचान और शौहरत मिली.वहीं अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने कहा ओटीटी पर आपको ऑपनिंग या सप्ताहांत संग्रह की जरूरत नहीं होती है. फिल्मों के साथ होता यह है कि अगर कोई फिल्म अच्छी होती है और वह बॉक्स ऑफिस पर अच्छा नहीं करती है तो लोग उसे फ्लॉप बताते हैं.

वेब सीरीजों को बढ़ावा
वेब सीरीजों को बढ़ावा
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Published : Jan 2, 2021, 10:09 AM IST

नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान वेब सीरीजों को बढ़ावा मिला है और इंटरनेट पर मनोरंजन सामग्री उपलब्ध होने (ओटीटी) से कई नवोदित अभिनेताओं को पहचान और शौहरत मिली. कई अभिनेताओं का कहना है कि ऑनलाइन माध्यम पर अच्छी कहानी और दमदार अभिनय से कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है.

अभिनेताओं का यह भी कहना है कि ओटीटी पर ऑपनिंग या सप्ताहांत संग्रह की जरूरत नहीं होती है. साथ में इसमें बड़े स्टार की भी जरूरत नहीं होती है, लेकिन इसकी अपनी समस्या यह है कि अगर कार्यक्रम दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाता है तो वह दूसरे कार्यक्रम को चुनता है. अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने कहा ओटीटी पर आपको ऑपनिंग या सप्ताहांत संग्रह की जरूरत नहीं होती है. फिल्मों के साथ होता यह है कि अगर कोई फिल्म अच्छी होती है और वह बॉक्स ऑफिस पर अच्छा नहीं करती है तो लोग उसे फ्लॉप बताते हैं.

उन्होंने कहा ऑनलाइन मंचों पर निर्माताओं के पास स्वतंत्रता होती है, क्योंकि इसपर तिकड़म नहीं चलता है. इसपर कहानी और प्रस्तुति मायने रखती है. सिनेमा में भूमिका के साथ न्याय करने के लिए सिर्फ दो घंटे होते हैं जबकि ऑनलाइन मंच पर आप जो कहना चाहते हैं वह छह घंटे में कह सकते हैं. अभिनेता ने कहा कि जब कहानी अहम हो जाती है तो ऐसे अभिनेताओं की जरूरत होती है जो कहानी की परतों को सामने रख सकें. ओटीटी से जुड़ना आसान है लेकिन उसपर खारिज होना भी उतना ही आसान है क्योकिं दर्शक को कहानी पसंद नहीं आई तो वे दूसरे कार्यक्रम देखने लगेंगे.

त्रिपाठी ने नेटफ्लिक्स की गुंजन सक्सेना, एमजॉन की मिर्जापुर सीजन दो और डिज़नी हॉटस्टार की “ क्रिमिनल जस्टिसः बिहाइंड क्लोजड डोर्स“ में काम किया है. “पाताल लोक“ में काम करने वाले अहलावत ने कहा, “ तीसरे पर्दे (सिनेमा, टीवी के बाद ऑनलाइन) के उभरने से अभिनेताओं को व्यापक तौर पर दर्शकों तक पहुंचने का सुनहरा मौका मिला है. इसके जरिए भारत के छोटे शहरों के दर्शकों तक भी पहुंचा जा सकता है. उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा कि ऑनलाइन माध्यम में अनूठी कहानियों और लंबे प्रारूप की कहानियों के मद्देनजर अभिनेताओं को चाहिए वे अपरंपरागत भूमिकाएं निभाएं जो दर्शकों को आकर्षित करें.

पढ़ें :विवादों में घिरी एकता कपूर की XXX-2 वेब सीरीज, गुरुग्राम पुलिस चौकी में दी गई शिकायत

कास्टिंग निर्देशक अभिषेक बनर्जी ने कहा कि वह पांच वर्षों से कह रहे हैं कि अगर कलाकार प्रयोग करना चाहते हैं तो उनके लिए ऑनलाइन माध्यम सबसे अच्छा स्थान है. उन्होंने कहा लोकतंत्र का सच्चा निष्कर्ष वेब (ऑनलाइन) पर है क्योंकि आप अपने घर पर कार्यक्रम देख रहे हैं। आप कोई टिकट नहीं खरीद रहे हैं. अगर आपको कोई चीज़ पसंद नहीं है तो आपको उसे 10 मिनट से ज्यादा देखने की जरूरत नहीं है। इस माध्यम पर निर्माताओं के लिए भी स्वतंत्रता है, क्योंकि वे जो करना चाहते हैं वे बिना इस चिंता के कर सकते हैं कि उन्हें दर्शक मिलेंगे या नहीं. अभिनेत्री सयानी गुप्ता ने कहा ओटीटी पर आपको ऐसे अच्छे अभिनेता की जरूरत है जो सिर्फ किरदार में सही बैठता हो. आपको कार्यक्रम के अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बड़े नाम या स्टार की जरूत नहीं है.

नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान वेब सीरीजों को बढ़ावा मिला है और इंटरनेट पर मनोरंजन सामग्री उपलब्ध होने (ओटीटी) से कई नवोदित अभिनेताओं को पहचान और शौहरत मिली. कई अभिनेताओं का कहना है कि ऑनलाइन माध्यम पर अच्छी कहानी और दमदार अभिनय से कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है.

अभिनेताओं का यह भी कहना है कि ओटीटी पर ऑपनिंग या सप्ताहांत संग्रह की जरूरत नहीं होती है. साथ में इसमें बड़े स्टार की भी जरूरत नहीं होती है, लेकिन इसकी अपनी समस्या यह है कि अगर कार्यक्रम दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाता है तो वह दूसरे कार्यक्रम को चुनता है. अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने कहा ओटीटी पर आपको ऑपनिंग या सप्ताहांत संग्रह की जरूरत नहीं होती है. फिल्मों के साथ होता यह है कि अगर कोई फिल्म अच्छी होती है और वह बॉक्स ऑफिस पर अच्छा नहीं करती है तो लोग उसे फ्लॉप बताते हैं.

उन्होंने कहा ऑनलाइन मंचों पर निर्माताओं के पास स्वतंत्रता होती है, क्योंकि इसपर तिकड़म नहीं चलता है. इसपर कहानी और प्रस्तुति मायने रखती है. सिनेमा में भूमिका के साथ न्याय करने के लिए सिर्फ दो घंटे होते हैं जबकि ऑनलाइन मंच पर आप जो कहना चाहते हैं वह छह घंटे में कह सकते हैं. अभिनेता ने कहा कि जब कहानी अहम हो जाती है तो ऐसे अभिनेताओं की जरूरत होती है जो कहानी की परतों को सामने रख सकें. ओटीटी से जुड़ना आसान है लेकिन उसपर खारिज होना भी उतना ही आसान है क्योकिं दर्शक को कहानी पसंद नहीं आई तो वे दूसरे कार्यक्रम देखने लगेंगे.

त्रिपाठी ने नेटफ्लिक्स की गुंजन सक्सेना, एमजॉन की मिर्जापुर सीजन दो और डिज़नी हॉटस्टार की “ क्रिमिनल जस्टिसः बिहाइंड क्लोजड डोर्स“ में काम किया है. “पाताल लोक“ में काम करने वाले अहलावत ने कहा, “ तीसरे पर्दे (सिनेमा, टीवी के बाद ऑनलाइन) के उभरने से अभिनेताओं को व्यापक तौर पर दर्शकों तक पहुंचने का सुनहरा मौका मिला है. इसके जरिए भारत के छोटे शहरों के दर्शकों तक भी पहुंचा जा सकता है. उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा कि ऑनलाइन माध्यम में अनूठी कहानियों और लंबे प्रारूप की कहानियों के मद्देनजर अभिनेताओं को चाहिए वे अपरंपरागत भूमिकाएं निभाएं जो दर्शकों को आकर्षित करें.

पढ़ें :विवादों में घिरी एकता कपूर की XXX-2 वेब सीरीज, गुरुग्राम पुलिस चौकी में दी गई शिकायत

कास्टिंग निर्देशक अभिषेक बनर्जी ने कहा कि वह पांच वर्षों से कह रहे हैं कि अगर कलाकार प्रयोग करना चाहते हैं तो उनके लिए ऑनलाइन माध्यम सबसे अच्छा स्थान है. उन्होंने कहा लोकतंत्र का सच्चा निष्कर्ष वेब (ऑनलाइन) पर है क्योंकि आप अपने घर पर कार्यक्रम देख रहे हैं। आप कोई टिकट नहीं खरीद रहे हैं. अगर आपको कोई चीज़ पसंद नहीं है तो आपको उसे 10 मिनट से ज्यादा देखने की जरूरत नहीं है। इस माध्यम पर निर्माताओं के लिए भी स्वतंत्रता है, क्योंकि वे जो करना चाहते हैं वे बिना इस चिंता के कर सकते हैं कि उन्हें दर्शक मिलेंगे या नहीं. अभिनेत्री सयानी गुप्ता ने कहा ओटीटी पर आपको ऐसे अच्छे अभिनेता की जरूरत है जो सिर्फ किरदार में सही बैठता हो. आपको कार्यक्रम के अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बड़े नाम या स्टार की जरूत नहीं है.

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