नई दिल्ली : कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचाई है, लेकिन अब तक इसकी कोई वैक्सीन (टीका) नहीं बन पाई है, जो इस वायरस को खत्म कर दे. इससे यह सवाल उठ रहा है कि कोरोना से जान बचाने वाली वैक्सीन कब तक बन पाएगी. इसके लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक लगे हुए हैं, लेकिन सभी का मानना है कि इसकी वैक्सीन बनने में एक से डेढ़ साल लग जाएंगे.
कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के लिए एक वर्ष से अधिक समय लग सकता है, लेकिन यह जितना लंबा समय प्रतीत होता है. उतना है नहीं, क्योंकि वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया बेहद जटिल होती है.
हालांकि दुनिया ने प्रौद्योगिकी और आपसी सहयोग के क्षेत्र में बहुत प्रगति की है. इसलिए कोरोना के टीके का विकास कई वर्षों के बजाय कुछ महीने का है.
गौरतलब है कि टीके मानव शरीर में एंटीबॉडीज का निर्माण करते हैं. ये मानव शरीर को बिना इसे इंफेक्ट किए बीमारी से लड़ने के काबिल बनाते हैं. अगर टीका लगा हुआ व्यक्ति उस खास बीमारी के संपर्क में आता है तो उसका इम्यून सिस्टम इसे पहचान लेता है और तुरंत एंटीबॉडिज रिलीज करता है.
आपको बता दें कि वैक्सीन बनाने के पारंपरिक तरीके में बहुत समय लगता है, जबकि आधुनिक वैक्सीन बनाने में इससे कम समय लगता है.
गौरतलब है कि आधुनिक समय में टीके का निर्माण प्रयोगशालाओं में होता है और यह डीएनए और आरएनए पर आधारित होते हैं. इस पर आधारित टीके बहुत तीव्र होते हैं. हालांकि विभिन्न कंपनियां एक ही वैक्सीन को अलग-अलग तरीके से बनाती हैं.
एक बार जब कोई भी वैक्सीन तैयार हो जाती है तो इसे बाजार में बेचने से पहले उचित परीक्षण करना बेहद जरुरी होता है, क्योंकि अगर टीके का सही परीक्षण नहीं होता है तो यह टीके इससे स्वस्थ लोगों को जोखिम में डाल सकते हैं.
टीके की परीक्षण प्रक्रिया से सुनिश्चित करने में वर्षों का समय लग जाता है कि टीका सुरक्षित और प्रभावी दोनों हैं. दुनिया भर के देश अब इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए प्रयासरत हैं.
एक बार जब टीके के परीक्षण पास हो जाता है तो इसके बाद टीके को एक अंतिम परीक्षण से गुजरना पड़ता है. यह बेहद ही महत्वपूर्ण चरण होता है.
एक वैक्सीन जब बन का तैयार हो जाती है तो इसके बाद यह बहुत ही महत्वपूर्ण होता है कि इसका जल्दी से बड़े पैमाने पर उत्पाद हो, जिससे अधिक लोगों की जान बचाई जा सके.
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दुनियाभर के कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि टीके का विनिर्माण परीक्षण के साथ-साथ किया जा सकता है, लेकिन इससे भारी मात्रा में नुकसान हो सकता है क्योंकि यह टीका परीक्षण की प्रक्रिया से नहीं गुजरता है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय बड़े पैमाने पर उत्पादन को प्रोत्साहित करने और नुकसान के इस जोखिम को खत्म करने के लिए एक साथ काम कर रहा है. गठबंधन के लिए महामारी संबंधी तैयारी नवाचारों (सीईपीआई) यहां तक कि टीकों के विकास का समर्थन करने के लिए दो बिलियन डालर के वित्तपोषण पर जोर दे रहा है.