संयुक्त राष्ट्र : अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के एक सर्वेक्षण के मुताबिक कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते दुनिया के आधे युवा अवसाद, चिंता के शिकार हैं, जबकि एक-तिहाई से अधिक भविष्य में अपने करियर को लेकर अनिश्चित हैं.
आईएलओ के 'युवा और कोविड-19: नौकरियों, शिक्षा, अधिकारों और मानसिक कल्याण पर प्रभाव' नामक सर्वेक्षण में पाया गया कि अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो युवाओं के ऊपर इस महामारी का गंभीर और लंबे समय तक चलते वाले प्रतिकूल प्रभावों का खतरा है. यह रिपोर्ट मंगलावर को जारी हुई.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार महामारी की शुरुआत से स्कूलों, कॉलेजों को बंद करने से 70 प्रतिशत से अधिक युवा प्रभावित हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, उनमें से आधे ने स्वीकार किया कि उनकी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया जाएगा और नौ प्रतिशत का मानना था कि वे आना कम कर देंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक, 'कोविड-19 महामारी ने हमारे जीवन के हर पहलू को बाधित कर दिया है. संकट की शुरुआत से पहले भी, युवाओं के सामाजिक और आर्थिक एकीकरण को लेकर लगातार चुनौती थी और यदि अब तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो युवाओं के महामारी से गंभीर रूप से पीड़ित होने की आशंका है, जिसका असर लंबे समय तक रहेगा.'
आईएलओ के इस सर्वेक्षण में 18 से 29 वर्ष तक उम्र वाले लोगों पर महामारी के कारण रोजगार, शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, अधिकारों और सामाजिक सक्रियता से संबंधित असर के बारे में पता लगाया गया.
सर्वेक्षण के तहत 112 देशों के 12,000 से अधिक लोगों की प्रतिक्रियाएं ली गईं, जिसमें बड़ा हिस्सा इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले शिक्षित युवाओं का है.
सर्वेक्षण के तहत अनुमान जताया गया कि दुनिया भर में दो में एक (यानी 50 प्रतिशत) युवा चिंता या अवसाद का शिकार हैं, जबकि इनमें से 17 प्रतिशत शायद काफी अधिक प्रभावित हैं.
इसके मुताबिक महामारी के कारण सीखने और काम करने को लेकर गंभीर व्यवधान पैदा हुआ है, जिसके युवाओं की मानसिक स्थिति कमजोर हुई है. सर्वेक्षण के मुताबिक 18 से 24 वर्ष की आयु वाले युवाओं की मानसिक स्थिति सबसे अधिक दबाव में है.