नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय प्रवास पर संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2000 से 2020 में दस मिलियन भारतीय विदेश में पलायन कर गए. दुनियाभर में 18 मिलियन प्रवासी भारतीय रहते हैं, जिनका जन्म उस देश में नहीं हुआ है.
भारत के बाद मैक्सिको के 11 मिलियन, रूस के 11 मिलियन, चीन के 10 मिलियन और सीरीया के आठ मिलियन लोग दूसरे देशों में रहते हैं.
दिलचस्प बात यह है कि 2000-20 के बीच प्रवासियों की संख्या में भारी उछाल देखा गया. इस दौरान भारत के 10 मिलियन लोगों ने पलायन किया. इसके बाद सीरिया, वेनेजुएला, चीन और फिलीपींस के लोगों ने पलायन किया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में सबसे अधिक भारतीयों ने पलायन किया है. यहां पर 3.5 मिलियन भारतीय गए. इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका में 2.7 मिलियन और सऊदी अरब में 2.5 मिलियन भारतीयों ने पलायन किया. इसके अलावा कई भारतीय ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कुवैत, ओमान, पाकिस्तान, कतर, यूनाइटेड किंगडम और उत्तरी आयरलैंड में भी गए.
बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका के लोग सबसे अधिक खाड़ी देशों में पलायन किए, जिससे यहां प्रवासियों की संख्या में भारी उछाल देखा गया. खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के सदस्य देशों में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई आदि शामिल हैं.
अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि कोरोना महामारी के दौरान प्रवास में कमी आई है. कोरोना महामारी के दौरान खाड़ी सहयोग परिषद के कई देशों में निर्माण, खुदरा और परिवहन क्षेत्रों में हजारों प्रवासी श्रमिकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा और उन्हें घर वापस जाना पड़ा.
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भारतीयों के प्रवास की बढ़ती प्रवृत्ति दुनियाभर में चलन के अनुसार है, क्योंकि दुनियाभर में 2000-2020 के दौरान लगभग 108 मिलियन लोग दूसरे देशों में पलायन कर गए.
रिपोर्ट में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि कोरोना महामारी में माइग्रेशन पैटर्न बाधित हुआ, इससे दो करोड़ लोग प्रवास नहीं कर पाए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई 2019 से जून 2020 तक प्रवासियों के पलायन में लगभग 27 प्रतिशत की कमी हुई.
ऐसा माना जाता है कि अधिकांश पलायन नौकरी और पारिवारिक संकट के चलते होते हैं. वहीं, 2000-20 तक 17 मिलियन लोगों ने अन्य देशों में शरण मांगने पर मजबूर हो गए. 2020 में, दुनियाभर में राष्ट्रीय सीमाओं पर जबरन विस्थापित हुए लोगों की संख्या 34 मिलियन थी, जो 2000 की तुलना में दोगुना है.