नई दिल्ली: 7 सितंबर से दिल्ली मेट्रो सेवा के शुरू होने से पहले केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामले और मौतों पर चिंता व्यक्त की है.
कोरोना संकट के दौर में राजधानी में मेट्रो खोलने और अन्य गतिविधियों को फिर से संचालन के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि जब हम जीवन की रक्षा करते हैं, तो हमें आजीविका के बारे में भी सोचना पड़ता है. दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ें हैं लेकिन, हमें इसकी तुलना पूरे देश में बढ़ रहे कोरोना मामलों से करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने फिर से दिल्ली में कोविड संक्रमण के प्रबंधन में खुद को व्यस्त कर लिया है. भूषण ने बताया कि हमने दिल्ली सरकार के साथ कई दौर की बातचीत की. उपराज्यपाल स्तर पर भी चर्चा हुई है. भूषण ने कहा कि मेट्रो रेल सहित कई गतिविधियों के खोले जाने से पहले हमने कोरोना के सभी प्रोटोकॉल्स का पालन कराने की तैयारी कर ली है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि सीरो सर्वेक्षण के आधार पर दिल्ली में कोविड संक्रमण लगभग 20 से 30 प्रतिशत है. भारत के पांच राज्यों में सबसे पहले महाराष्ट्र में 25 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 13 प्रतिशत, कर्नाटक में 12 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 7 प्रतिशत, तमिलनाडु में 6 प्रतिशत कोरोना संक्रमण के मामले हैं. हालांकि इन पांच राज्यों में सक्रिय मामलों में तेजी से गिरावट भी देखी गई है. इसी तरह इन पांच राज्यों में महाराष्ट्र में 37 प्रतिशत, तमिलनाडु में 11 प्रतिशत, कर्नाटक में 9 प्रतिशत, दिल्ली में 7 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में 6 प्रतिशत कोरोना से मौत के मामले दर्ज किये गए हैं.
स्वास्थ्यकर्मी भी तेजी से कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. तेलंगान इस सूची में सबसे ऊपर है. तेलंगाना में 18 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 16 प्रतिशत, दिल्ली में 14 प्रतिशत, कर्नाटक में 13 प्रतिशत, पुदुचेरी में 12 प्रतिशत और पंजाब में 11 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मी कोरोना की चपेट में हैं.
स्वास्थ्यकर्मियों का बीमार पड़ना हमारे लिए चिंता का विषय है. इसलिए हमने सभी स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना के प्रोटोकॉल्स का कड़ाई से पालन करने के लिए कहा है.
भूषण ने कहा कि वैक्सीन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति पहले ही तीन बार मिल चुकी है और पांच घरेलू वैक्सीन उत्पादकों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय उत्पादकों को भी शामिल करने की संभावनाएं तलाश रही हैं.
भूषण ने कहा कि हम टीके के उत्पादन और वितरण के लिए वित्त और अन्य तंत्रों पर विचार कर रहे हैं. परीक्षण के मुद्दे पर भूषण ने कहा कि कई राज्य हैं जो आरटी पीसीआर परीक्षणों का पूर्ण उपयोग नहीं कर रहे हैं.
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कोविड से ठीक होने वाले व्यक्ति में प्रतिरक्षा शक्ति के बारे में डॉ. भार्गव ने बताया कि यह एक नई बीमारी है और हम नहीं जानते कि एंटी-बॉडी कब तक बनी रहती है.
भार्गव ने बताया कि आईसीएमआर ने भारत के 39 अस्पतालों में PLACID परीक्षण के लिए 450 रोगियों को शामिल किया है. डॉ. भार्गव ने कहा कि 225 रोगियों को प्लाज्मा दिया गया है और शेष 225 मरीजों को प्लाज्मा दिए बिना निगरानी में रखा गया है. हम जल्द ही परिणामों की उम्मीद कर रहे हैं.