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ईरान को लेकर अमेरिका से अलग हैं भारत के रास्ते : भारतीय दूत - ईरानी शासन और ट्रंप प्रशासन

जाहेदान रेल लिंक और चाबहार बंदरगाह परियोजना को लेकर ईरानी शासन और ट्रंप प्रशासन के बीच संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं. हालांकि इस मामले में बारत के रास्ते अमेरिका से बिल्कुल अलग हैं. हरान में भारत के दूत गद्दाम धर्मेंद्र ने ईरान के एक समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार से बातचीत करते हुए दावा किया कि हम एकमात्र देश हैं जो रुपी-रियाल व्यापार व्यवस्था जारी रख हुए हैं, जहां हम अपने देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार का वित्तपोषण कर रहे हैं. तथ्य यह है कि हम चाबहार में काम कर रहे हैं, हम चाबहार के लिए उपकरण खरीद रहे हैं, हम चाबहार की तैयारी कर रहे हैं. हमने अमेरिकियों से कहा है कि वे हमें यह नहीं बता सकते कि चाबहार में क्या करना है. इस मामले में पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता स्मिता शर्मा की रिपोर्ट...

भारतीय दूत
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Published : Jul 25, 2020, 7:00 AM IST

नई दिल्ली : जाहेदान रेल लिंक और चाबहार बंदरगाह परियोजना को लेकर ईरानी शासन और ट्रंप प्रशासन के बीच संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं. इस बीच भारत ने कहा है कि वह तेहरान को लेकर अमेरिकी लाइन को पर नहीं जा रहा है. तेहरान में भारत के दूत गद्दाम धर्मेंद्र ने ईरान के एक समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार से बातचीत करते हुए इस बात का दावा किया.

15 जुलाई को हुई बैठक की एक वीडियो क्लिप सामने आई थी, जिसमें धर्मेंद्र बताते हैं कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच स्थानीय ईरानी मुद्रा में व्यापार की सुविधा दे रहा है.

वर्तमान में, भारत ज्यादातर चाय, चावल और कुछ कार स्पेयर जैसी वस्तुओं का निर्यात ईरान को करता है, लेकिन अमेरिकी दबाव में इसके तेल आयात को लगभग शून्य कर दिया है.

सेंट्रल बैंक ऑफ ईरान (सीबीआई) और यूको बैंक के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ईरानी पक्ष के छह बैंक स्थानीय मुद्रा में व्यापार की सुविधा प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अहम बात यह है कि से भारत ने अमेरिकियों से कहा है कि वे उन्हें यह नहीं बता सकते कि चाबहार में क्या करना है.

ट्वीट
ट्वीट

दबावों के संदर्भ में दूत ने कहा कि तथ्य यह है कि जैसे कि मैंने कहा कि हम एकमात्र देश हैं जो रुपी-रियाल व्यापार व्यवस्था जारी रख हुए हैं, जहां हम अपने देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार का वित्तपोषण कर रहे हैं. तथ्य यह है कि हम चाबहार में काम कर रहे हैं, हम चाबहार के लिए उपकरण खरीद रहे हैं, हम चाबहार की तैयारी कर रहे हैं. हमने अमेरिकियों से कहा है कि वे हमें यह नहीं बता सकते कि चाबहार में क्या करना है.

उल्लेखनीय है कि तेहरान इस वीडियो को पहले तो टाइम्स द्वारा ट्वीट किया गया हालांकि बाद में हटा दिया गया. इस वीडियो में गद्दाम को यह बताते हुए दिखाया गया है कि दोनों देशों के बीच दिसंबर 2018 में हुए एक वार्षिक आधार समझौते या अंतरिम अनुबंध के तहत चाबहार के माध्यम से शिपमेंट में काफी वृद्धि हुई है.

भारतीय राजदूत ने कहा कि दिसंबर 2018 और 2019 के बीच अंतरिम अनुबंध में, एक साल में हमने शिपिंग बढ़ाकर 6000 टन कंटेनर, और दस लाख टन से अधिक बल्क कार्गो, चावल, चीनी, गेहूं, दोनों ईरान और अफगानिस्तान के लिए बढ़ाए. एक साल के भीतर यातायात बेहद विकसित हो गया है, लेकिन यह एक नया पोर्ट है. इसे विकसित होने में समय लगत सकता है.

ईरान के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के साथ भारतीय दूत की चर्चा ऐसे समय में हुई है, जब तेहरान बीजिंग के साथ 25 साल के व्यापक सहयोग समझौते को पूरा करने के करीब है, जिसे विदेश मंत्री जावेद जरीफ कहते हैं कि यह पारदर्शी है.

राजदूत धर्मेंद्र ने यह भी उल्लेख किया कि चाबहार बंदरगाह के लिए उपकरणों के ऑर्डर तीसरे देशों को दिए गए हैं- इटली, फिनलैंड, जर्मनी और चीन इस साल अक्टूबर तक अपेक्षित डिलीवरी के साथ मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं.

पढ़ें - गलवान हिंसा : घटनास्थल पर 40 दिनों से पड़े हैं बड़ी संख्या में सैन्य वाहन

संयोग से भारत ने गुरुवार को सामान्य वित्तीय नियमों 2017 में संशोधन किया है. इसके तहत भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों पर सरकारी प्रोजेक्ट की बोली लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

इससे पहले 20 जुलाई को ईरान के एक मंत्री के साथ भारतीय दूत के साथ हुई बैठक के बाद,भारतीय दूतावास ने कहा कि ईरानी पक्ष ने हाल की विवादास्पद रिपोर्टों के लिए 'निहित तत्वों' को दोषी ठहराया.

गद्दाम धर्मेंद्र को गुरूवार को ईरान के सड़क मंत्री एच ई सईद रसूली और ईरान रेलवे के प्रमुख चाबहार-जाहेदान रेलवे पर चल रहे सह-संचालन की समीक्षा करने के लिए आंमत्रित किया गया.

भारतीय दूतावास के आधिकारिक हैंडल ने ट्वीट करते हुए बताया कि रसूली ने चाबहार-जाहेदान रेलवे से भारत को बाहर करने की रिपोर्टों पर कहा कि इन रिपोर्टों के पीछे निहित स्वार्थ थे.

भारत ने चाबहार बंदरगाह विकास परियोजना को दक्षिण-पूर्वी ईरान में ,मध्य एशिया के लिए एक रणनीतिक प्रवेश द्वार के रूप में और अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के लिए पारगमन मार्ग के रूप में पेश किया है. क्योंकि पाकिस्तान द्वारा भारत के व्यापार के लिएमध्य एशिया जाने वाले रास्तों को ब्लॉक कर दिया गया है.

भारत को पहले चरण में चाबहार में शाहिद बेहेश्टी बंदरगाह विकसित करने का काम सौंपा गया है.

मूल रूप से चाबहार एक नए बंदरगाह के रूप में कार्य करेगा. यह अभी भी अपने विकास के चरण में है और हमें उम्मीद है कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, यहां यातायात बढ़ेगा. अजरबाइजान होते हुए अफगानिस्तान, मध्य एशिया तक यातायात जाएगा.

तेहरान टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकारों को अपनी टिप्पणी में भारतीय राजदूत को आश्वासन दिया. ईरान के लिए मुख्य बंदरगाह अभी बंदर अब्बास है. ईरान में अभी पोर्ट हैंडलिंग का 90 प्रतिशत अब्बास हंदरगाह के माध्यम से होता है. हमें एक साल में चाबहार में 3 प्रतिशत मिला। हमें चाबहार को सुधारना होगा. इसमें समय लगेगा.

नई दिल्ली : जाहेदान रेल लिंक और चाबहार बंदरगाह परियोजना को लेकर ईरानी शासन और ट्रंप प्रशासन के बीच संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं. इस बीच भारत ने कहा है कि वह तेहरान को लेकर अमेरिकी लाइन को पर नहीं जा रहा है. तेहरान में भारत के दूत गद्दाम धर्मेंद्र ने ईरान के एक समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार से बातचीत करते हुए इस बात का दावा किया.

15 जुलाई को हुई बैठक की एक वीडियो क्लिप सामने आई थी, जिसमें धर्मेंद्र बताते हैं कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच स्थानीय ईरानी मुद्रा में व्यापार की सुविधा दे रहा है.

वर्तमान में, भारत ज्यादातर चाय, चावल और कुछ कार स्पेयर जैसी वस्तुओं का निर्यात ईरान को करता है, लेकिन अमेरिकी दबाव में इसके तेल आयात को लगभग शून्य कर दिया है.

सेंट्रल बैंक ऑफ ईरान (सीबीआई) और यूको बैंक के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ईरानी पक्ष के छह बैंक स्थानीय मुद्रा में व्यापार की सुविधा प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अहम बात यह है कि से भारत ने अमेरिकियों से कहा है कि वे उन्हें यह नहीं बता सकते कि चाबहार में क्या करना है.

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दबावों के संदर्भ में दूत ने कहा कि तथ्य यह है कि जैसे कि मैंने कहा कि हम एकमात्र देश हैं जो रुपी-रियाल व्यापार व्यवस्था जारी रख हुए हैं, जहां हम अपने देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार का वित्तपोषण कर रहे हैं. तथ्य यह है कि हम चाबहार में काम कर रहे हैं, हम चाबहार के लिए उपकरण खरीद रहे हैं, हम चाबहार की तैयारी कर रहे हैं. हमने अमेरिकियों से कहा है कि वे हमें यह नहीं बता सकते कि चाबहार में क्या करना है.

उल्लेखनीय है कि तेहरान इस वीडियो को पहले तो टाइम्स द्वारा ट्वीट किया गया हालांकि बाद में हटा दिया गया. इस वीडियो में गद्दाम को यह बताते हुए दिखाया गया है कि दोनों देशों के बीच दिसंबर 2018 में हुए एक वार्षिक आधार समझौते या अंतरिम अनुबंध के तहत चाबहार के माध्यम से शिपमेंट में काफी वृद्धि हुई है.

भारतीय राजदूत ने कहा कि दिसंबर 2018 और 2019 के बीच अंतरिम अनुबंध में, एक साल में हमने शिपिंग बढ़ाकर 6000 टन कंटेनर, और दस लाख टन से अधिक बल्क कार्गो, चावल, चीनी, गेहूं, दोनों ईरान और अफगानिस्तान के लिए बढ़ाए. एक साल के भीतर यातायात बेहद विकसित हो गया है, लेकिन यह एक नया पोर्ट है. इसे विकसित होने में समय लगत सकता है.

ईरान के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के साथ भारतीय दूत की चर्चा ऐसे समय में हुई है, जब तेहरान बीजिंग के साथ 25 साल के व्यापक सहयोग समझौते को पूरा करने के करीब है, जिसे विदेश मंत्री जावेद जरीफ कहते हैं कि यह पारदर्शी है.

राजदूत धर्मेंद्र ने यह भी उल्लेख किया कि चाबहार बंदरगाह के लिए उपकरणों के ऑर्डर तीसरे देशों को दिए गए हैं- इटली, फिनलैंड, जर्मनी और चीन इस साल अक्टूबर तक अपेक्षित डिलीवरी के साथ मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं.

पढ़ें - गलवान हिंसा : घटनास्थल पर 40 दिनों से पड़े हैं बड़ी संख्या में सैन्य वाहन

संयोग से भारत ने गुरुवार को सामान्य वित्तीय नियमों 2017 में संशोधन किया है. इसके तहत भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों पर सरकारी प्रोजेक्ट की बोली लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

इससे पहले 20 जुलाई को ईरान के एक मंत्री के साथ भारतीय दूत के साथ हुई बैठक के बाद,भारतीय दूतावास ने कहा कि ईरानी पक्ष ने हाल की विवादास्पद रिपोर्टों के लिए 'निहित तत्वों' को दोषी ठहराया.

गद्दाम धर्मेंद्र को गुरूवार को ईरान के सड़क मंत्री एच ई सईद रसूली और ईरान रेलवे के प्रमुख चाबहार-जाहेदान रेलवे पर चल रहे सह-संचालन की समीक्षा करने के लिए आंमत्रित किया गया.

भारतीय दूतावास के आधिकारिक हैंडल ने ट्वीट करते हुए बताया कि रसूली ने चाबहार-जाहेदान रेलवे से भारत को बाहर करने की रिपोर्टों पर कहा कि इन रिपोर्टों के पीछे निहित स्वार्थ थे.

भारत ने चाबहार बंदरगाह विकास परियोजना को दक्षिण-पूर्वी ईरान में ,मध्य एशिया के लिए एक रणनीतिक प्रवेश द्वार के रूप में और अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के लिए पारगमन मार्ग के रूप में पेश किया है. क्योंकि पाकिस्तान द्वारा भारत के व्यापार के लिएमध्य एशिया जाने वाले रास्तों को ब्लॉक कर दिया गया है.

भारत को पहले चरण में चाबहार में शाहिद बेहेश्टी बंदरगाह विकसित करने का काम सौंपा गया है.

मूल रूप से चाबहार एक नए बंदरगाह के रूप में कार्य करेगा. यह अभी भी अपने विकास के चरण में है और हमें उम्मीद है कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, यहां यातायात बढ़ेगा. अजरबाइजान होते हुए अफगानिस्तान, मध्य एशिया तक यातायात जाएगा.

तेहरान टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकारों को अपनी टिप्पणी में भारतीय राजदूत को आश्वासन दिया. ईरान के लिए मुख्य बंदरगाह अभी बंदर अब्बास है. ईरान में अभी पोर्ट हैंडलिंग का 90 प्रतिशत अब्बास हंदरगाह के माध्यम से होता है. हमें एक साल में चाबहार में 3 प्रतिशत मिला। हमें चाबहार को सुधारना होगा. इसमें समय लगेगा.

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