नई दिल्ली : भारत निर्वाचन आयोग ने गैर आवासीय भारतीयों (एनआरआई) को पोस्टल वोटिंग अधिकार देने का प्रस्ताव दिया है. इसके बाद गैर-खाड़ी देशों को पायलट प्रोजेक्ट के शुरुआती चरण में शामिल किए जाने की संभावना है.
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग के अधिकारियों और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की पिछले हफ्ते एक बैठक हुई थी और विदेश मंत्रालय प्रस्ताव पर सहमत हुआ था. हालांकि, चुनाव आयोग को इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक लोगों की जिम्मेदारी लेनी होगी. पोस्टल वोटिंग की सुविधा भारतीय मिशनों के ओवरसीज में उपलब्ध होगी.
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड, जापान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस और दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले एनआरआई डाक मतदान प्रक्रिया में शामिल होंगे. प्रस्ताव के अनुसार, इस प्रक्रिया में एक नामित अधिकारी शामिल होगा, जो मतदाता की ओर से मतपत्र डाउनलोड करेगा.
एनआरआई मतदाता वरीयता के अनुसार मतपत्र पर निशान लगा सकता है और अधिकारी को सौंप सकता है. इसके अलावा भारतीय मिशन के अधिकारी द्वारा सत्यापित एक स्व घोषणा पत्र भारत में मतपत्र के साथ पोस्ट किया जाएगा.
ईटीपीबीएस (इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट सिस्टम) के तहत, (जो वर्तमान में केवल रक्षा सेवाओं के लोगों के लिए ही उपलब्ध है) पोस्टल बैलेट को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजा जाता है और साधारण मेल के माध्यम से लौटाया जाता है. विदेशी मतदाताओं को यह सुविधा देने के लिए, सरकार को चुनाव नियम 1961 में संशोधन करने की जरूरत है.
प्रस्तावित प्रक्रिया अगले साल केरल, पश्चिम बंगाल, असम और पुदुचेरी में विधानसभा चुनावों के लिए लागू होने की संभावना है. कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे खाड़ी देश शुरू में प्रस्तावित पायलट में शामिल नहीं हैं. ईएनसी के प्रवक्ता डॉ. शमा मोहम्मद ने प्रस्ताव में गल्फ एनआरआई को शामिल नहीं करने पर सवाल उठाए.
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2019 के आम चुनाव में मतदान करने के लिए चुनाव आयोग के अनुसार 1 लाख से अधिक प्रवासी भारतीयों ने भारत में मतदाता के रूप में पंजीकरण कराया और उनमें से लगभग 25,000 ने भारत के लिए उड़ान भरी.