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महाराष्ट्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- 15 सितंबर तक नहीं होगी कोई भर्ती

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Published : Jul 27, 2020, 2:44 PM IST

Updated : Jul 27, 2020, 3:40 PM IST

महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि वह कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल 15 सितंबर तक कोई नई भर्ती नहीं करेगी. नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठा आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वालीं याचिकाओं की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार का यह बयान आया. पढे़ं पूरी खबर...

15 सितंबर तक कोई भर्ती नहीं
15 सितंबर तक कोई भर्ती नहीं

नई दिल्ली : महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि वह कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल 15 सितंबर तक कोई नई भर्ती नहीं करेगी. नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठा आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वालीं याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सरकार का यह बयान आया.

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट की पीठ ने आज से उन याचिकाओं की सुनवाई शुरू कर दी है, जिनमें बॉम्बे उच्च न्यायालय के 2019 के मराठा आरक्षण की संवैधानिकता को बरकरार रखने के आदेश को चुनौती दी गई है.

पढ़ें : मराठा आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित, संविधान पीठ को भेजने पर विचार

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इंदिरा साहनी मामले में शीर्ष अदालत द्वारा आधारित 50 प्रतिशत रिजर्वेशन से 12 से 13 प्रतिशत और रिजर्वेशन बढ़ाना तय सीमा से अधिक होगा.

हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षा में आरक्षण 65% और नौकरियों में 62% है. इसके अलावा याचिकाकर्ता के वकीलों ने तर्क दिया कि कानून के मुताबिक राज्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के रूप में नया मराठा वर्ग नहीं बना सकते. यह अधिकार केंद्र सरकार के पास है.

नई दिल्ली : महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि वह कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल 15 सितंबर तक कोई नई भर्ती नहीं करेगी. नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठा आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वालीं याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सरकार का यह बयान आया.

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट की पीठ ने आज से उन याचिकाओं की सुनवाई शुरू कर दी है, जिनमें बॉम्बे उच्च न्यायालय के 2019 के मराठा आरक्षण की संवैधानिकता को बरकरार रखने के आदेश को चुनौती दी गई है.

पढ़ें : मराठा आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित, संविधान पीठ को भेजने पर विचार

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इंदिरा साहनी मामले में शीर्ष अदालत द्वारा आधारित 50 प्रतिशत रिजर्वेशन से 12 से 13 प्रतिशत और रिजर्वेशन बढ़ाना तय सीमा से अधिक होगा.

हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षा में आरक्षण 65% और नौकरियों में 62% है. इसके अलावा याचिकाकर्ता के वकीलों ने तर्क दिया कि कानून के मुताबिक राज्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के रूप में नया मराठा वर्ग नहीं बना सकते. यह अधिकार केंद्र सरकार के पास है.

Last Updated : Jul 27, 2020, 3:40 PM IST
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