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देश के सबसे पिछड़े जिले में ऑनलाइन क्लास की हकीकत

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Published : Aug 16, 2020, 7:58 AM IST

कोरोना महामारी के दौर में शिक्षा के लिए ऑनलाइन विकल्पों का चयन किया जा रहा है. हालांकि, भारत के कई सुदूर इलाकों में आज भी संरचना का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है. इस कारण अध्ययन-अध्यापन को लेकर कई समस्याएं सामने आ रही हैं. ऐसा ही एक क्षेत्र है ओडिशा का कालाहांडी जिला. संसाधनों और सुविधाओं का अभाव होने पर यहां पर छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लास करना सपने की तरह है. देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

डिजाइन फोटो
डिजाइन फोटो

भुवनेश्वर : पश्चिमी ओडिशा में हरियाली और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर कालाहांडी जिला है. आदिवासी बहुल इस जिले की पहचान देश में सबसे पिछड़े जिले के रूप में होती है. यहां दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद और भुखमरी आम बात है. यहां के आदिवासी जीने के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं. पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो महज 59.22 फीसद लोग साक्षर हैं. अब ऑनलाइन क्लास शुरू होने पर लैपटॉप या मोबाइल पर पढ़ना यहां के छात्रों के लिए सपने जैसा है.

राज्य सरकार ने जिले के थुआमुल रामपुर ब्लॉक में डिजिटल उपकरणों के माध्यम से शिक्षा प्रणाली शुरू की है, लेकिन सवाल ये है कि जिनकी जिंदगी ही मुफलिसी में गुजर रही हो, वे आखिर हाईटेक पढ़ाई कैसे करें?

ईटीवी भारत रिपोर्ट

यहां रहने वाले छात्र नित्यानंद सुनानी ने बताया, 'मुझे पढ़ाई में समस्या हो रही है, विषयों को समझ नहीं सकते, दूसरों की मदद लेने की जरूरत पड़ती है. हमारे पास एक साधारण मोबाइल है, जिसे मेरे पिता अपने साथ लेकर काम पर चले जाते है.'

एक अन्य छात्रा रंजीता साहू ने बताया, 'मैं कक्षा 9 में पढ़ रही हूं. पिछले कुछ महीनों से स्कूल बंद हैं और हमें समस्या हो रही है. हम दूसरों से किताबें लेकर पढ़ते हैं. मेरा भाई मुझे पढ़ने के लिए मोबाइल नहीं देता है. नेटवर्क में भी समस्या है इसलिए हम पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.'

शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 2411 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 2275 स्कूल डिजिटल पढ़ाई से जुड़ गए हैं. ऑनलाइन क्लास के लिए 24,139 वॉट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं. लेकिन जिले में केवल 22.7 फीसद छात्रों के पास ही स्मार्टफोन हैं और केवल 27.83 फीसद छात्र इससे जुड़ पा रहे हैं. जाहिर है कि सरकार ने ऑनलाइन क्लासेस तो शुरू कर दी है लेकिन इसके सफल होने को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

अभिभावक सुलोचना नायक ने बताया, 'शिक्षक ऑनलाइन क्लास के जरिए पढ़ने के लिए कह रहे हैं, लेकिन हमारे पास एक छोटा सा मोबाइल है. मेरे पति इसे साथ ले जाते हैं. हम गरीब महंगा मोबाइल नहीं खरीद सकते. यहां नेटवर्क की भी दिक्कत है, बात करने के लिए किसी दूसरी जगह जाना पड़ता है.'

शिक्षक शिवशंकर रे ने बताया कि हमारा एरिया पहाड़ी है, यहां कोई भी मोबाईल टॉवर नहीं है. इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई में बहुत दिक्कत होती है.

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप दास ने बताया, यहां बिजली की भी समस्या है. यहां के लोग स्मार्टफोन, टैब-लैपटॉप खरीदने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में ऑनलाइन क्लास के बारे में सोचना भी बहुत बड़ी भूल होगी.

ऑनलाइन क्लास... सुनने में जरूर आधुनिकता का अहसास कराता है लेकिन कालाहांडी जैसे जिलों की तस्वीरें कुछ और ही बयां करती है. ऐसे में सुविधा संपन्न शहरी स्टूडेंट्स और दूरदराज के ग्रामीण विद्यार्थियों के बीच तकनीकी खाई बढ़ती जा रही है.

भुवनेश्वर : पश्चिमी ओडिशा में हरियाली और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर कालाहांडी जिला है. आदिवासी बहुल इस जिले की पहचान देश में सबसे पिछड़े जिले के रूप में होती है. यहां दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद और भुखमरी आम बात है. यहां के आदिवासी जीने के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं. पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो महज 59.22 फीसद लोग साक्षर हैं. अब ऑनलाइन क्लास शुरू होने पर लैपटॉप या मोबाइल पर पढ़ना यहां के छात्रों के लिए सपने जैसा है.

राज्य सरकार ने जिले के थुआमुल रामपुर ब्लॉक में डिजिटल उपकरणों के माध्यम से शिक्षा प्रणाली शुरू की है, लेकिन सवाल ये है कि जिनकी जिंदगी ही मुफलिसी में गुजर रही हो, वे आखिर हाईटेक पढ़ाई कैसे करें?

ईटीवी भारत रिपोर्ट

यहां रहने वाले छात्र नित्यानंद सुनानी ने बताया, 'मुझे पढ़ाई में समस्या हो रही है, विषयों को समझ नहीं सकते, दूसरों की मदद लेने की जरूरत पड़ती है. हमारे पास एक साधारण मोबाइल है, जिसे मेरे पिता अपने साथ लेकर काम पर चले जाते है.'

एक अन्य छात्रा रंजीता साहू ने बताया, 'मैं कक्षा 9 में पढ़ रही हूं. पिछले कुछ महीनों से स्कूल बंद हैं और हमें समस्या हो रही है. हम दूसरों से किताबें लेकर पढ़ते हैं. मेरा भाई मुझे पढ़ने के लिए मोबाइल नहीं देता है. नेटवर्क में भी समस्या है इसलिए हम पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.'

शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 2411 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 2275 स्कूल डिजिटल पढ़ाई से जुड़ गए हैं. ऑनलाइन क्लास के लिए 24,139 वॉट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं. लेकिन जिले में केवल 22.7 फीसद छात्रों के पास ही स्मार्टफोन हैं और केवल 27.83 फीसद छात्र इससे जुड़ पा रहे हैं. जाहिर है कि सरकार ने ऑनलाइन क्लासेस तो शुरू कर दी है लेकिन इसके सफल होने को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

अभिभावक सुलोचना नायक ने बताया, 'शिक्षक ऑनलाइन क्लास के जरिए पढ़ने के लिए कह रहे हैं, लेकिन हमारे पास एक छोटा सा मोबाइल है. मेरे पति इसे साथ ले जाते हैं. हम गरीब महंगा मोबाइल नहीं खरीद सकते. यहां नेटवर्क की भी दिक्कत है, बात करने के लिए किसी दूसरी जगह जाना पड़ता है.'

शिक्षक शिवशंकर रे ने बताया कि हमारा एरिया पहाड़ी है, यहां कोई भी मोबाईल टॉवर नहीं है. इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई में बहुत दिक्कत होती है.

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप दास ने बताया, यहां बिजली की भी समस्या है. यहां के लोग स्मार्टफोन, टैब-लैपटॉप खरीदने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में ऑनलाइन क्लास के बारे में सोचना भी बहुत बड़ी भूल होगी.

ऑनलाइन क्लास... सुनने में जरूर आधुनिकता का अहसास कराता है लेकिन कालाहांडी जैसे जिलों की तस्वीरें कुछ और ही बयां करती है. ऐसे में सुविधा संपन्न शहरी स्टूडेंट्स और दूरदराज के ग्रामीण विद्यार्थियों के बीच तकनीकी खाई बढ़ती जा रही है.

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