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निर्भया के दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट के बाद अब चुनाव आयोग में दाखिल की अर्जी

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Published : Feb 20, 2020, 1:47 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 10:57 PM IST

निर्भया के दोषी खुद को बचाने का हर हथकंडा अपना रहे हैं. गुनहगारों ने अब एक और चाल चली और सुप्रीम कोर्ट के बाद अब चुनाव आयोग में अर्जी दाखिल कर दी है. निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह ने केजरीवाल सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ चुनाव आयोग में याचिका दाखिल की है. पढ़ें पूरी खबर...

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नई दिल्ली : निर्भया के दोषी खुद को बचाने का हर हथकंडा अपना रहे हैं. गुनहगारों ने अब एक और चाल चली और सुप्रीम कोर्ट के बाद चुनाव आयोग में अर्जी दाखिल कर दी है.

उन्होंने कहा है कि आचार संहिता लागू होने के दौरान उन्होंने विनय की दया याचिका को केंद्रीय गृह मंत्रालय भेजा, जबकि वह उस समय मंत्री नहीं थे और यह असंवैधानिक है.

गौरतलब है कि इसके पहले दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के चार दोषियों के लिए नया मुत्यु वारंट जारी किया था और आदेश दिया कि चारों को तीन मार्च को फांसी पर लटका दिया जाए.

अदालत ने निर्देश दिया था कि चारों दोषियों -मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को तीन मार्च को सुबह छह बजे फांसी पर लटकाया जाए और तब तक लटकाये रखा जाए, जब तक उनकी मौत न हो जाए. यह तीसरी बार है कि इन चारों के लिए अदालत से मृत्यु वारंट जारी किये गये हैं.

बता दें, अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि दोषियों की अपील उच्चतम न्यायालय ने पांच मई, 2017 को खारिज कर दी थी और उसके बाद 33 महीने गुजरने पर दोषी पवन ने न तो सुधारात्मक याचिका दायर की और न ही उसकी ओर से कोई दया याचिका लगायी गयी.

गौरतलब है, पवन गुप्ता चारों अपराधियों में एकमात्र ऐसा अपराधी है जिसने अब तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है. यह किसी भी व्यक्ति के लिए आखिरी कानूनी विकल्प होता है जिस पर चैम्बर में निर्णय लिया जाता है. पवन गुप्ता के पास दया अर्जी देने का भी विकल्प है.

ये भी पढ़ें : मौत के खौफ में निर्भया के दोषी, विनय कुमार ने दीवार से पीटा सिर

जानकारी के लिए बता दें, निर्भया के दोषियों को सबसे पहले फांसी देने की तारीख 22 जनवरी तय की गई थी. लेकिन 17 जनवरी के अदालत के आदेश के बाद इसे टालकर एक फरवरी सुबह छह बजे किया गया था.

फिर 31 जनवरी को निचली अदालत ने अगले आदेश तक चारों दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी, क्योंकि उनके सारे कानूनी विकल्प खत्म नहीं हुए थे.

क्या है मामला

16 दिसंबर, 2012 को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की एक फिजियोथेरेपी प्रशिक्षु के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसपर नृशंस हमला किया गया था. बाद में पीड़ता ने सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था.

नई दिल्ली : निर्भया के दोषी खुद को बचाने का हर हथकंडा अपना रहे हैं. गुनहगारों ने अब एक और चाल चली और सुप्रीम कोर्ट के बाद चुनाव आयोग में अर्जी दाखिल कर दी है.

उन्होंने कहा है कि आचार संहिता लागू होने के दौरान उन्होंने विनय की दया याचिका को केंद्रीय गृह मंत्रालय भेजा, जबकि वह उस समय मंत्री नहीं थे और यह असंवैधानिक है.

गौरतलब है कि इसके पहले दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के चार दोषियों के लिए नया मुत्यु वारंट जारी किया था और आदेश दिया कि चारों को तीन मार्च को फांसी पर लटका दिया जाए.

अदालत ने निर्देश दिया था कि चारों दोषियों -मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को तीन मार्च को सुबह छह बजे फांसी पर लटकाया जाए और तब तक लटकाये रखा जाए, जब तक उनकी मौत न हो जाए. यह तीसरी बार है कि इन चारों के लिए अदालत से मृत्यु वारंट जारी किये गये हैं.

बता दें, अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि दोषियों की अपील उच्चतम न्यायालय ने पांच मई, 2017 को खारिज कर दी थी और उसके बाद 33 महीने गुजरने पर दोषी पवन ने न तो सुधारात्मक याचिका दायर की और न ही उसकी ओर से कोई दया याचिका लगायी गयी.

गौरतलब है, पवन गुप्ता चारों अपराधियों में एकमात्र ऐसा अपराधी है जिसने अब तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है. यह किसी भी व्यक्ति के लिए आखिरी कानूनी विकल्प होता है जिस पर चैम्बर में निर्णय लिया जाता है. पवन गुप्ता के पास दया अर्जी देने का भी विकल्प है.

ये भी पढ़ें : मौत के खौफ में निर्भया के दोषी, विनय कुमार ने दीवार से पीटा सिर

जानकारी के लिए बता दें, निर्भया के दोषियों को सबसे पहले फांसी देने की तारीख 22 जनवरी तय की गई थी. लेकिन 17 जनवरी के अदालत के आदेश के बाद इसे टालकर एक फरवरी सुबह छह बजे किया गया था.

फिर 31 जनवरी को निचली अदालत ने अगले आदेश तक चारों दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी, क्योंकि उनके सारे कानूनी विकल्प खत्म नहीं हुए थे.

क्या है मामला

16 दिसंबर, 2012 को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की एक फिजियोथेरेपी प्रशिक्षु के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसपर नृशंस हमला किया गया था. बाद में पीड़ता ने सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था.

Last Updated : Mar 1, 2020, 10:57 PM IST
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