नई दिल्ली : निर्भया केस में दोषियों के वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर भानुमति की पीठ में सुनवाई शुरू हो गई है. जस्टिस भूषण ने सुनवाई के दौरान कहा कि एक ही दलील बार-बार दोहराई जा रही है. दोषियों के वकील ने पवन की उम्र का मामला उठाया. तमाम दलीलों को खारिज करते हुए पवन की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दया याचिका पर राष्ट्रपति के फैसले की समीक्षा की गुंजाइश काफी कम होती है.
कोर्ट ने कहा कि अपराध के समय किशोर होने की दलील को कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि पहले भी कई मौकों पर इसे खारिज किया जा चुका है.
निर्भया केस में दोषियों की याचिका खारिज होने के बाद निर्भया की मां ने कहा कि वह राष्ट्रपति, न्यायपालिका और देश की जनता का आभार जताती हैं. उन्होंने खुशी जताई कि उनकी बेटी को इंसाफ मिला. निर्भया की मां ने कहा कि आज का सूरज देश की बेटियों के नाम है.
दोषियों की ओर से वकील श्मस ख्वाजा ने कहा कि राष्ट्रपति ने खुले दिमाग से फैसला नहीं लिया है. यह फैसला दबाव में लिया गया है.
कोरोना वायरस के कारण एहतियात बरतते हुए निर्भया के मां-बाप को कोर्ट के अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली.
निर्भया की वकील ने बताया कि कोर्ट ने कोई नया ग्राउंड ने होने के कारण फटकार लगाई है.
दोषियों के वकील ने कहा कि मुझे पता है कि उन्हें फांसी दी जाएगी लेकिन क्या फांसी दो-तीन दिनों तक (पवन के) बयान को दर्ज करने के लिए रोक दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कड़कड़डूमा कोर्ट में एक मामले में पवन की गवाही होनी है.
पवन के वकील एपी सिंह ने अदालत के समक्ष स्कूल के प्रमाण पत्र, स्कूल रजिस्टर, और पवन के उपस्थिति रजिस्टर को पेश किया है. पवन के वकील एपी सिंह ने दावा किया कि अपराध के समय वह किशोर था. इस पर न्यायमूर्ति भूषण ने कहा है कि यह दस्तावेज उनके द्वारा पहले ही अदालतों में दायर किए गए थे.
न्यायमूर्ति भूषण ने पूछा कि एपी सिंह (दोषियों के वकील) दया याचिका की अस्वीकृति को किस आधार पर चुनौती दे रहे हैं?
सुप्रीम कोर्ट जाने का पूरा घटनाक्रम
करीब 2.40 बजे
कोर्ट ने राष्ट्रपति द्वारा दया की याचिका खारिज करने और फांसी की सजा के खिलाफ पवन गुप्ता की मौत की याचिका पर सुनवाई शुरू की.
करीब 2.10 बजे
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
करीब 1.45 बजे
एपी सिंह ने बताया कि आर्टिकल 32 के तहत हमने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. उन्होंने कहा कि वे अपने उपलब्ध कानूनी विकल्पों का प्रयोग कर रहे हैं.
करीब 1.35 बजे
मेंशनिंग रजिस्ट्रार जेएस रावत के घर पहुंचे दोषियों के वकील एपी सिंह.
गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 को 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के सनसनीखेज मामले में तमाम अदालतों में सुनवाई के बाद सभी चार दोषियों के कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं. दिल्ली में दिसंबर, 2012 में हुये इस जघन्य अपराध के लिये चार मुजरिमों को अदालत ने मौत की सजा सुनाई गई है.
एक नजर इस मामले के सिलसिलेवार घटनाक्रम पर :
16 दिसंबर, 2012
- पैरामेडिकल छात्रा के साथ निजी बस में छह लोगों ने बलात्कार कर चलती बस से सड़क पर फेंक दिया.
17 दिसंबर, 2012
- बस चालक राम सिंह, उसका भाई मुकेश, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और एक नाबालिग आरोपियों के रूप में पहचाने गए.
18 दिसंबर, 2012
- पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया.
21 दिसंबर, 2012
- दिल्ली के आनंद विहार बस टर्मिनल से पकड़ा गया नाबालिग.
22 दिसंबर, 2012
- छठा आरोपी अक्षय ठाकुर बिहार में गिरफ्तार.
29 दिसंबर, 2012
- पीड़ता ने सिंगापुर के अस्पताल में दम तोड़ा.
3 जनवरी, 2013
- पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की.
28 फरवरी, 2013
- किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ बलात्कार और हत्या के आरोप लगाए.
11 मार्च, 2013
- मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या की.
31 अगस्त, 2013
- जेजेबी ने नाबालिग आरोपी को बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए विशेष सुधार गृह भेजा.
13 सितंबर, 2013
- चार शेष आरोपियों को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने मौत की सजा सुनाई.
13 मार्च, 2014
- दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.
3 अप्रैल, 2016
- सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू की गई.
5 मई, 2016
- सुप्रीम कोर्ट ने अक्षय, विनय, पवन और मुकेश को मृत्युदंड दिया.
29 अगस्त, 2016
- अदालत में पुलिस ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया.
3 फरवरी, 2017
- सुप्रीम कोर्ट ने मामले की दोबारा सुनवाई शुरू की.
27 मार्च, 2017
- कोर्ट ने मामले की एक साल तक सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा.
5 मई, 2017
- अदालत ने मौत की सजा को चुनौती देने वाले चार दोषियों की याचिकाओं को खारिज किया.
13 नवंबर, 2017
- दोषियों ने सजा की समीक्षा के लिए शीर्ष अदालत से अपील की.
4 मई, 2018
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2017 के मौत की सजा के फैसले को बरकरार रखा.
9 जुलाई, 2018
- कोर्ट ने तीनों दोषियों की समीक्षा याचिकाओं को खारिज किया. अक्षय ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की.
10 दिसंबर, 2019
- दोषी अक्षय सिंह ने मृत्युदंड के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की.
7 जनवरी, 2020
- चारों दोषियों को फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी. 22 जनवरी को फांसी पर लटकाने का आदेश पारित.
11 जनवरी, 2020
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा पीठ दो दोषियों की क्यूरेटिव पिटीशन पर 14 जनवरी को सुनवाई करेगी.
12 जनवरी, 2020
- पुतलों को फंदे पर लटकाकर निर्भया के दोषियों को फांसी देने का अभ्यास किया गया.
14 जनवरी, 2020
- दो दोषियों की समीक्षा याचिका खारिज. डेथ वारंट के खिलाफ मुकेश दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका लगाई.
15 जनवरी, 2020
- तिहाड़ में दोषियों को निर्धारित फांसी की स्थिति के बारे में 17 जनवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश.
17 जनवरी, 2020
- राष्ट्रपति ने दोषी मुकेश की दया याचिका खारिज की. एक फरवरी को फांसी देने वाला नया डेथ वारंट जारी.
18 जनवरी, 2020
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पवन की याचिका पर 20 फरवरी को सुनवाई करेगी.
20 जनवरी, 2020
- सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन गुप्ता की याचिका खारिज कर दी. पवन ने कहा कि वह वारदात के समय नाबालिग था.
23 जनवरी, 2020
- तिहाड़ जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को नोटिस देकर आखिरी इच्छा पूछी.
24 जनवरी, 2020
- दोषी विनय, अक्षय और पवन के वकील ने जेल से कागजात नहीं मिलने के कारण क्यूरेटिव पिटीशन में हो रही देरी की बात कही.
25 जनवरी, 2020
- निर्भया के दोषियों की याचिका खारिज कर दी गई. सरकारी वकील ने सभी दस्तावेज मुहैया कराए जाने की बात कही.
27 जनवरी, 2020
- दोषी मुकेश मृत्युदंड टालने की आस में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
28 जनवरी, 2020
- दोषी मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई.
29 जनवरी, 2020
- सुप्रीम कोर्ट में दायर मुकेश की दया याचिका खारिज की गई. अक्षय कुमार ने सुधारात्मक याचिका दायर की.
31 जनवरी, 2020
- सुप्रीम कोर्ट में पवन ने समीक्षा याचिका दायर की. पटियाला हाउस कोर्ट पहुंचा तिहाड़ जेल प्रशासन.
17 फरवरी, 2020
- तीन मार्च को फांसी देने का आदेश पारित. डेथ वारंट जारी.
5 मार्च, 2020
- चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए निर्भया केस में चौथा डेथ वारंट जारी.