नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के युवाओं का गुमराह होना, चरमपंथ और हिंसा का रास्ता अपना लेना एक गंभीर चुनौती है. हिंसा और आतंक के खात्मे के लिए भारतीय सेना लगातार काम कर रही है. इस संबंध में सेना के लेफ्टिनेंट जनरल निर्भय शर्मा (सेवानिवृत्त) का कहना है कि वहां के युवाओं को सही इतिहास बताया जाना जरूरी है.
बता दें कि निर्भय शर्मा भारतीय सेना के सम्मानित अधिकारी रहने के अलावा मिजोरम और अरुणाचल के राज्यपाल भी रह चुके हैं. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि कश्मीर के युवाओं के बीच गलत कहानी और धारणा का प्रसार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अनेक कारणों में से एक है, जिसके कारण वे भारत सरकार से घृणा और नफरत करते हैं.
निर्भय शर्मा ने 2004 का वाकया याद करते हुए कहा 'मैं बारामूला में पदस्थापित था. एक बार मुझे एक कॉलेज में रुककर वहां के युवाओं से संवाद करना था. मैंने उनसे 1947 में हुई मार-काट का जिक्र किया. उनसे पूछा- क्या उन्हें पता है कि 1947 में क्या हुआ था?'
बकौल शर्मा 'युवाओं में से एक ने जवाब दिया. हां, हमें पता है कि भारतीय सेना आई, लूटपाट की, डाका डाला और हमारी महिलाओं के साथ दुष्कर्म किए. वो पाकिस्तानी थे, जिन्होंने आकर हमें बचाया.'
इस वाकये के बारे में निर्भय शर्मा ने आगे कहा 'उन्हें सही कहानी बताने के लिए मुझे एक डॉक्यूमेंट्री बनानी पड़ी. वहां के स्थानीय केबल ऑपरेटर इसे प्रसारित करने के लिए तैयार नहीं थे. उन्हें डर था कि डॉक्यूमेंट्री प्रसारित करने पर आतंकी उनकी हत्या कर देंगे.'
शर्मा ने बताया कि उन्होंने केबल ऑपरेटर्स को कहा कि या तो वे आतंकियों का सामना करें या उनका सामना करें. उन्होंने कहा कि कश्मीरी युवाओं का खुद को भारत से अलग महसूस करने का एक अहम कारण भौगोलिक स्थिति है.
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निर्भय शर्मा ने कहा 'आपको समझना होगा कि इस जगह की भौगोलिक स्थिति ऐसी है, जिससे यहां के लोग खुद को भारत से अलग मानते हैं. ऐसे में यहां के लोग आंतरिक रुप से देखते हैं, खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं.'
शर्मा ने बताया कि भौगोलिक रुप से अलग होने के कारण, कश्मीर छोड़कर भारत के किसी दूसरे हिस्से में जाने के बाद यहां के काफी लोग ऐसा कहते हैं कि 'वे भारत जा रहे हैं.' उनके लिए घाटी भारत से अलग जगह है.