जयपुर : पतंजलि की ओर से हाल ही में कोरोनिल नाम की दवा लॉन्च की गई है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि यह दवा कोरोना मरीजों पर कारगर साबित हुई है. निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर ने जानकारी देते हुए बताया है कि किस तरह उन्होंने मरीजों पर इस दवा का ट्रायल किया और उसके क्या नतीजे निकले.
निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉक्टर बीएस तोमर ने कहा कि हमने गिलोय, तुलसी, अश्वगंधा सहित अन्य आयुर्वेदिक दवाएं सिर्फ पतंजलि से ली थी और जिस का ट्रायल करीब 100 पेशेंट पर किया गया. जिसे लेकर उन्होंने दावा किया कि इन 100 पेशेंट में 35 पेशेंट की रिकवरी काफी तेज थी और बाकी 65 मरीज भी ठीक हो गए. उन्होंने यह भी कहा कि मरीजों का रिकवर्ड होने का समय करीब तीन से सात दिन के बीच रहा. इस दौरान अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, स्वासरी रस और अनू तैला नामक आयुर्वेदिक औषधियां उपयोग में ली.
सरकार ने बिक्री पर लगाई रोक
वहीं, राज्य सरकार ने पतंजलि की ओर से तैयार की गई इस दवा की बिक्री पर राज्य में रोक लगा दी है. प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने यहां तक कहा था कि अगर यह दवा राजस्थान में बिकती नजर आई तो स्वामी रामदेव जेल में नजर आएंगे. दरअसल इस दवा की लॉन्चिंग के साथ ही यह विवादों में घिर गई थी और केंद्र की ओर से भी इस पर रोक लगा दी गई है.
यह भी पढ़ें- कोरोनिल दवा मामला : निम्स के चेयरमैन का आरोप- आयुष मंत्रालय ने बोला झूठ
स्वास्थ्य विभाग ने भी मांगा है जवाब
क्लीनिकल ट्रायल से जुड़े इस मामले को लेकर स्वास्थ विभाग ने निम्स यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है. दरअसल, जयपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरोत्तम शर्मा ने क्लीनिकल ट्रायल को लेकर निम्स यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है और तीन दिन के अंदर जवाब पेश करने को कहा है.