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गैस रिसाव : एनजीटी ने एलजी पॉलिमर्स इंडिया पर ₹50 करोड़ का जुर्माना लगाया

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गैस रिसाव की घटना ने सबका दिल दहला कर रख दिया. घटना के सिलसिले में एलजी पॉलिमर्स इंडिया पर 50 करोड़ रुपए का अंतरिम जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश सरकार ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं.

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एनजीटी ने एलजी पॉलिमर्स इंडिया पर 50 करोड़ रु का अंतरिम जुर्माना लगाया
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Published : May 8, 2020, 3:38 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गैस रिसाव की घटना के सिलसिले में एलजी पॉलिमर्स इंडिया पर 50 करोड़ रुपए का अंतरिम जुर्माना लगाया. इसके साथ ही मामले के संबंध में केंद्र और अन्य से जवाब मांगा.

अधिकरण ने कहा कि नियमों और अन्य वैधानिक प्रावधानों का पालन करने में विफलता दिखाई देती है.

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने गैस लीक मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय एक समिति गठित की और उसे 18 मई से पहले रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा.

इस घटना में 11 लोगों की मौत हुई है, जबकि 1,000 लोग इससे प्रभावित हुए हैं.

पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया सामने आई जानकारी के अनुसार इस घटना में लोगों की जान गई, जन स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान हुआ है. हम एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को 50 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि जमा कराने के निर्देश देते हैं. यह राशि कंपनी के वित्तीय मूल्य और उससे हुई क्षति की सीमा के संबंध में तय की जा रही है.

अधिकरण ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, एल जी पॉलिमर्स इंडिया, आंध्र प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, विशाखापट्टनम जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किए और उनसे मामले की अगली सुनवाई 18 मई से पहले जवाब मांगे.

पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने शराब की बिक्री पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज की

मामले की जांच के लिए गठित की गई समिति में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी एस रेड्डी, आंध्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वी रामा चंद्र मूर्ति, आंध्र विश्वविद्यालय, रसायन इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर पुलिपति किंग, सीपीसीबी के सदस्य सचिव, सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक और विशाखापट्टनम में एनईईआरआई के प्रमुख शामिल हैं.

अधिकरण ने कहा कि समिति जल्द से जल्द मौके का निरीक्षण कर सकती है और उसे ईमेल से 18 मई से पहले अपनी रिपोर्ट देनी है.

समिति को घटनाओं के अनुक्रम, विफलता के कारणों और इस घटना के जिम्मेदार लोगों के बारे में रिपोर्ट देनी है, जिनकी वजह से दूसरों के जीवन को नुकसान पहुंचा है.

अधिकरण ने कहा कि स्टाइरीन गैस एक खतरनाक रसायन है, जिसे अनुसूची एक की प्रविष्टि 583 के साथ नियम 2 (ई) के तहत परिभाषित किया जाता है, जो खतरनाक रासायनिक नियमों, 1989 के निर्माण, भंडारण और आयात से संबंधित है.

यह भी पढ़ें : विशाखापट्टनम गैस लीक : 11 लोगों की मौत, 800 से ज्यादा अस्पताल में भर्ती

गैस रिसाव के संबंध में मीडिया रिपोर्टों के आधार पर अधिकरण ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया. विशाखापट्टनम में एलजी पॉलीमर्स लिमिटेड की फैक्टरी से गुरुवार तड़के हुए इस गैस रिसाव से 11 लोगों की मौत हो गई और विशाखापत्तनम के निकट पांच किलोमीटर की परिधि में स्थित गांवों के कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत और अन्य समस्याएं हुई.

आंध्र प्रदेश सरकार ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गैस रिसाव की घटना के सिलसिले में एलजी पॉलिमर्स इंडिया पर 50 करोड़ रुपए का अंतरिम जुर्माना लगाया. इसके साथ ही मामले के संबंध में केंद्र और अन्य से जवाब मांगा.

अधिकरण ने कहा कि नियमों और अन्य वैधानिक प्रावधानों का पालन करने में विफलता दिखाई देती है.

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने गैस लीक मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय एक समिति गठित की और उसे 18 मई से पहले रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा.

इस घटना में 11 लोगों की मौत हुई है, जबकि 1,000 लोग इससे प्रभावित हुए हैं.

पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया सामने आई जानकारी के अनुसार इस घटना में लोगों की जान गई, जन स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान हुआ है. हम एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को 50 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि जमा कराने के निर्देश देते हैं. यह राशि कंपनी के वित्तीय मूल्य और उससे हुई क्षति की सीमा के संबंध में तय की जा रही है.

अधिकरण ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, एल जी पॉलिमर्स इंडिया, आंध्र प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, विशाखापट्टनम जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किए और उनसे मामले की अगली सुनवाई 18 मई से पहले जवाब मांगे.

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मामले की जांच के लिए गठित की गई समिति में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी एस रेड्डी, आंध्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वी रामा चंद्र मूर्ति, आंध्र विश्वविद्यालय, रसायन इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर पुलिपति किंग, सीपीसीबी के सदस्य सचिव, सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक और विशाखापट्टनम में एनईईआरआई के प्रमुख शामिल हैं.

अधिकरण ने कहा कि समिति जल्द से जल्द मौके का निरीक्षण कर सकती है और उसे ईमेल से 18 मई से पहले अपनी रिपोर्ट देनी है.

समिति को घटनाओं के अनुक्रम, विफलता के कारणों और इस घटना के जिम्मेदार लोगों के बारे में रिपोर्ट देनी है, जिनकी वजह से दूसरों के जीवन को नुकसान पहुंचा है.

अधिकरण ने कहा कि स्टाइरीन गैस एक खतरनाक रसायन है, जिसे अनुसूची एक की प्रविष्टि 583 के साथ नियम 2 (ई) के तहत परिभाषित किया जाता है, जो खतरनाक रासायनिक नियमों, 1989 के निर्माण, भंडारण और आयात से संबंधित है.

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गैस रिसाव के संबंध में मीडिया रिपोर्टों के आधार पर अधिकरण ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया. विशाखापट्टनम में एलजी पॉलीमर्स लिमिटेड की फैक्टरी से गुरुवार तड़के हुए इस गैस रिसाव से 11 लोगों की मौत हो गई और विशाखापत्तनम के निकट पांच किलोमीटर की परिधि में स्थित गांवों के कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत और अन्य समस्याएं हुई.

आंध्र प्रदेश सरकार ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं.

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