पटना : नेपाल में भारत की ओर से कराए जा रहे एंटी इरोजन कार्य को लेकर नेपाल ने वहां काम करने वाले मजदूरों के लिए नई शर्तें रख दी हैं. जिसके तहत राइट एफ्लक्स बांध मरम्मती कार्यों में जुटे भारतीय मजदूर नेपाल के क्षेत्र में तटबंधों पर मजदूरी करने जा रहे हैं, तो वह काम कर शाम को वापस अपने वतन नहीं लौट सकते हैं.
कार्य समाप्ति के बाद ही लौट सकेंगे मजदूर
भारतीय मजदूरों को काम समाप्ति के बाद ही भारतीय सीमा में आने की अनुमति दी जा रही है, जिससे यहां के मजदूरों और कर्मियों के लिए एक नई मुश्किल खड़ी हो गई है. यही वजह है कि भारतीय मजदूर वहां काम करने जाने से हिचक रहे हैं.
गुरुवार को राशन-पानी के साथ गए दर्जनों मजदूर
इसी क्रम में गुरुवार को मजदूरों का एक जत्था शाम को वापस नहीं लौटने की स्थिति को देखते हुए राशन पानी और बेडिंग के साथ नेपाल गया. आपको बता दें कि लॉकडाउन के बाद दोनों देशों की सीमाएं सील हो जाने की वजह से बाढ़ पूर्व तटबंधों का कार्य नहीं कराया जा सका था और इसके लिए नेपाल सरकार अनुमति भी नहीं दे रही थी.
एमटी पैकेट और जी बैग पैकेट का हो रहा कार्य
बाढ़ और कटाव से पूर्व शुरुआती मानसून और वर्षा के बाद गंडक नदी के बढ़ते जलस्तर के बीच लाइजेनिंग के बाद नेपाल क्षेत्र के तटिया खोला मार्जिनल बांध सहित राइट एफ्लक्स बांध पर भी बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य शुरू हो गया है और एमटी पैकेट और जी बैग पैकेट से कटाव स्थलों का भराई और मरम्मती कार्य शुरू हो गया है.
मई के शुरु से चीन ने एलएसी पर सेना की बड़ी टुकड़ी तैनात की : विदेश मंत्रालय
कोविड 19 टेस्ट के प्रमाण के साथ गए मजदूर
भारतीय मजदूरों के मुताबिक नेपाल की ओर से पहले कोविड- 19 टेस्ट के कागजात के साथ ही नेपाल सीमा में प्रवेश की शर्त रखी गई थी. बाद में इन्हें नेपाल में रहकर ही मजदूरी करने को कहा गया. जिसको लेकर कई भारतीय मजदूर नेपाल काम करने नहीं जाना चाहते थे. जिस वजह से नेपाली मजदूरों को भी काम पर लगाया गया है और एक सप्ताह में कार्य पूरा कर लिए जाने की तैयारी चल रही है. अब उम्मीद जताई जा रही है कि भारत और नेपाल के मजदूरों का जत्था जल्द ही कटाव रोधी कार्य पूरा कर लेंगें, ताकि आने वाले बाढ़ और कटाव जैसी आपदा की घड़ी में कोई मुश्किल न हो.