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नेपाल ने भारतीय क्षेत्र से हटाया अस्थायी कैंप, 100 मीटर पीछे हटी नेपाली सशस्त्र सेना - बलुआ गुआबारी तटबंध के निर्माण

भारतीय अधिकारी नेपाल से लगातार बातचीत करके अन्य कई मामले सुलझाने में लगे हैं लेकिन अभी भी पूर्वी चंपारण जिले के लालबकेया नदी के बलुआ गुआबारी तटबंध के निर्माण पर नेपाल ने रोक लगा रखी है, जिससे इस इलाके के लोगों को बरसात में बाढ़ का खतरा सता रहा है.

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भारतीय क्षेत्र से नेपाल ने हटाया अस्थायी कैंप
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Published : Jun 27, 2020, 1:39 PM IST

मोतिहारी (बिहार) : भारत-नेपाल तनाव के बीच एक बार फिर अच्छी खबर आई है. एसएसबी और नेपाल अधिकारियों के साथ हुई बातचीत के बाद कामयाबी मिली है. नेपाल ने रक्सौल के पनटोका इलाके में भारतीय जमीन पर बनाए अपने अस्थायी कैंप को हटा लिया है. यहां कैंप कर रही नेपाली सशस्त्र सेना 100 मीटर पीछे हट गई है.

लॉकडाउन के दौरान बनाया था कैंप
हाल के दिनों में भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ी नाराजगी के बाद से नेपाल के सीमा प्रहरी और नेपाल के लोगों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है. लॉकडाउन के बाद नेपाली सशस्त्र सेना ने सरिसवा नदी के दूसरी तरफ भारतीय जमीन पर टेंट लगाकर अपना पोस्ट बना लिया था, जिसे अब हटा लिया गया है. रक्सौल के भारतीय भूभाग में कब्जा जमाए नेपाल के पुलिसकर्मी पीछे लौट गए हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नेपाल के सुरक्षाकर्मी 100 मीटर पीछे चले गए हैं.

भारतीय क्षेत्र से कैंप को हटाते नेपाल के सुरक्षाकर्मी

पनटोका में है नेपाल के लोगों का कब्जा
बता दें कि सरिसवा नदी नेपाल से निकल कर रक्सौल के पनटोका के पास पिलर संख्या 393 के पास भारतीय सीमा में प्रवेश करती है, जो एक पहाड़ी नदी है. यह नदी हर साल भारतीय भू-भाग में कटाव की दिशा बदलती रहती है. नदी की धारा को नेपाल प्रशासन दोनों देशों की सीमा बताते हुए भारतीय जमीन पर कब्जा जमाए बैठा है. नदी की धारा बदलने के साथ नेपाल जबरन अपनी सीमा बदल रहा है. नेपाल के लोगों ने भारतीय परिक्षेत्र के लगभग पचास लोगों की जमीन पर अपना कब्जा कर लिया है.

ये भी पढ़ें : नेपाल का अब बिहार में मोतिहारी की जमीन पर दावा, बांध का काम रोका

हर साल होता है भारतीय जमीन पर कब्जा
नेपाल की हिमाकत से स्थानीय लोगों में आक्रोश है. नेपाली सशस्त्र पुलिस और नेपाल की जनता का भारतीय भूमि पर कब्जे का यह खेल कई सालों से चल रहा है. भारतीय परिक्षेत्र के लोग जब नदी पार करके अपनी जमीन पर जाते हैं, तो उनके साथ नेपाल सीमा प्रहरी और नेपाल के लोग मारपीट करते हैं. स्थानीय पनटोका के ग्रामीण और नेपाल के सिरिसिया गांव के लोगों के बीच अक्सर जमीन को लेकर झगड़ा होता रहता है. लेकिन भारतीय अधिकारी इसकी सुध नहीं लेते हैं. पंचायती के बाद मामले का निदान निकलता है.

ये भी पढ़ें : अब तक नहीं हटा लालबकेया तटबंध की मरम्मती पर रोक, बाढ़ का खतरा मंडराया

स्थानीय लोग नेपाल के रवैये से हैं परेशान
बहरहाल नेपाल-भारत के बीच चल रहा यह तनाव अभी कम होता नहीं दिख रहा. नेपाल की सीमा से सटे इलाके के लोग काफी डरे हुए हैं. उनका कहना है कि नेपाल का ऐसा रवैया उन्होंने कभी नहीं देखा है. आए दिन नेपाल सरकार और प्रशासन किसी न किसी मामले को लेकर भारत में अड़चन पैदा कर रहा है. हालांकि भारतीय अधिकारी नेपाल से लगातार बातचीत करके मामले को सुलझाने में लगे हैं. लेकिन अभी भी पूर्वी चंपारण जिले के लालबकेया नदी के बलुआ गुआबारी तटबंध के निर्माण पर नेपाल ने रोक लगा रखी है, जिससे इस इलाके के लोगों को बरसात में बाढ़ का खतरा सता रहा है.

मोतिहारी (बिहार) : भारत-नेपाल तनाव के बीच एक बार फिर अच्छी खबर आई है. एसएसबी और नेपाल अधिकारियों के साथ हुई बातचीत के बाद कामयाबी मिली है. नेपाल ने रक्सौल के पनटोका इलाके में भारतीय जमीन पर बनाए अपने अस्थायी कैंप को हटा लिया है. यहां कैंप कर रही नेपाली सशस्त्र सेना 100 मीटर पीछे हट गई है.

लॉकडाउन के दौरान बनाया था कैंप
हाल के दिनों में भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ी नाराजगी के बाद से नेपाल के सीमा प्रहरी और नेपाल के लोगों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है. लॉकडाउन के बाद नेपाली सशस्त्र सेना ने सरिसवा नदी के दूसरी तरफ भारतीय जमीन पर टेंट लगाकर अपना पोस्ट बना लिया था, जिसे अब हटा लिया गया है. रक्सौल के भारतीय भूभाग में कब्जा जमाए नेपाल के पुलिसकर्मी पीछे लौट गए हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नेपाल के सुरक्षाकर्मी 100 मीटर पीछे चले गए हैं.

भारतीय क्षेत्र से कैंप को हटाते नेपाल के सुरक्षाकर्मी

पनटोका में है नेपाल के लोगों का कब्जा
बता दें कि सरिसवा नदी नेपाल से निकल कर रक्सौल के पनटोका के पास पिलर संख्या 393 के पास भारतीय सीमा में प्रवेश करती है, जो एक पहाड़ी नदी है. यह नदी हर साल भारतीय भू-भाग में कटाव की दिशा बदलती रहती है. नदी की धारा को नेपाल प्रशासन दोनों देशों की सीमा बताते हुए भारतीय जमीन पर कब्जा जमाए बैठा है. नदी की धारा बदलने के साथ नेपाल जबरन अपनी सीमा बदल रहा है. नेपाल के लोगों ने भारतीय परिक्षेत्र के लगभग पचास लोगों की जमीन पर अपना कब्जा कर लिया है.

ये भी पढ़ें : नेपाल का अब बिहार में मोतिहारी की जमीन पर दावा, बांध का काम रोका

हर साल होता है भारतीय जमीन पर कब्जा
नेपाल की हिमाकत से स्थानीय लोगों में आक्रोश है. नेपाली सशस्त्र पुलिस और नेपाल की जनता का भारतीय भूमि पर कब्जे का यह खेल कई सालों से चल रहा है. भारतीय परिक्षेत्र के लोग जब नदी पार करके अपनी जमीन पर जाते हैं, तो उनके साथ नेपाल सीमा प्रहरी और नेपाल के लोग मारपीट करते हैं. स्थानीय पनटोका के ग्रामीण और नेपाल के सिरिसिया गांव के लोगों के बीच अक्सर जमीन को लेकर झगड़ा होता रहता है. लेकिन भारतीय अधिकारी इसकी सुध नहीं लेते हैं. पंचायती के बाद मामले का निदान निकलता है.

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स्थानीय लोग नेपाल के रवैये से हैं परेशान
बहरहाल नेपाल-भारत के बीच चल रहा यह तनाव अभी कम होता नहीं दिख रहा. नेपाल की सीमा से सटे इलाके के लोग काफी डरे हुए हैं. उनका कहना है कि नेपाल का ऐसा रवैया उन्होंने कभी नहीं देखा है. आए दिन नेपाल सरकार और प्रशासन किसी न किसी मामले को लेकर भारत में अड़चन पैदा कर रहा है. हालांकि भारतीय अधिकारी नेपाल से लगातार बातचीत करके मामले को सुलझाने में लगे हैं. लेकिन अभी भी पूर्वी चंपारण जिले के लालबकेया नदी के बलुआ गुआबारी तटबंध के निर्माण पर नेपाल ने रोक लगा रखी है, जिससे इस इलाके के लोगों को बरसात में बाढ़ का खतरा सता रहा है.

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