नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुये कृषि वैज्ञानिकों से क्षेत्र मे उत्पादकता बढ़ाने व कठिनाइयां कम करने पर ध्यान केन्द्रित करने का आह्वान किया.
शनिवार को आयोजित दो विभिन्न वेबिनार में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश के वैज्ञानिकों के समक्ष आने वाले समय में बढ़ती आबादी को पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराने की चुनौती रहेगी.
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उक्त दोनों ही आयोजनों में मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया. सरकारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है.
विज्ञप्ति के मुताबिक तोमर ने मेरठ की ई-संगोष्ठी में कहा कि खाद्यान्न के मामले में भारत न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि अधिशेष उत्पादन की स्थिति में है.
किसानों ने साबित किया है कि वे किसी भी कठिन चुनौती का सामना करने में सक्षम है. हमारे सामने आबादी बढ़ने की चुनौती है, वर्ष 2050 में देश की जनसंख्या 160 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि इस तथ्य के मद्देनजर भारतीय प्लांट ब्रीडर्स के समक्ष गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाने की विशेष चुनौती नजर आती है, वहीं बढ़ती आबादी को समुचित पोषणयुक्त भरपेट भोजन उपलब्ध कराना वैज्ञानिकों के सामने बड़ी चुनौती है.
तोमर ने कहा कि खेती क्षेत्र में बड़ा निवेश लाने के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि आधाररभूत संरचना के लिए एक लाख करोड़ रूपए का प्रावधान किया है.
इसके साथ ही मत्स्य पालन, पशुपालन, हर्बल खेती, मधुमक्खी पालन, फूड प्रोसेसिंग आदि सब क्षेत्रों में भारत एक बड़ी छलांग लगाए, इस बात का प्रबंध करोड़ों रूपये के पैकेज के माध्यम से करने की कोशिश की है.
नए सुधारों व नया निवेश आएगा तो कृषि के क्षेत्र में सभी चुनौतियों से पार पाने में सफल होंगे. नए सुधारों का फायदा भी ग्रामीण क्षेत्र को मिलेगा. कृषक सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है, जिससे निजी क्षेत्र का निवेश आने पर खेती का क्षेत्र बुलंदियों पर होगा.
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तोमर ने मृदा स्वास्थ्य परीक्षण का महत्व प्रतिपादित करते हुए मृदा परीक्षण कराने पर जोर दिया व इस बारे में जागरूकता लाने की अपील की.
संगोष्ठी चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एन.के.तनेजा, अध्यक्ष प्रो.प्रदीप कुमार शर्मा, संयोजक एवं विभागाध्यक्ष प्रो.एस.एस. गौरव, वैज्ञानिक तथा अन्य प्रतिभागी उपस्थित थे.
जूनागढ़ वि.वि. के वेबिनार में कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि खेती के क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए किसानों के साथ ही वैज्ञानिकों ने बहुत अच्छा प्रयत्न किया है.
आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाकर, बदलती जलवायु के अनुरूप खेती के श्रेष्ठ तरीके अपनाए जाएं। कम पानी में अधिक, गुणवत्तापूर्ण उपज की पैदावार पर ध्यान देने की जरूरत है. सभी प्रतिनिधि यह देखे कि छोटी-छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स कैसी खड़ी हो सकती है, इनमें कृषि छात्रों की भी भूमिका हो सकती है.
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी संकट में, जब दुनिया का पहिया थम गया है, तब ऐसी स्थिति में भी भारत के किसानों ने गांवों में उपलब्ध साधनों से ही बंपर पैदावार की, लाकडाउन में फसल कटाई का काम ठीक से हुआ और पिछली बार से उपार्जन भी अधिक हो गया, ग्रीष्मकालीन फसलें भी पिछली बार से 45 प्रतिशत अधिक बोई गई है.
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कोरोना वायरस के सामुदायिक विस्तार को भी होने नहीं दिया. ये सब किसानों व हमारे गांवों की ताकत को प्रदर्शित करता है.आजादी के बाद से यह पहली महामारी है, जिसमें हमारी गांवों की व्यवस्था पूरी तरह सफल हुई है. इस व्यवस्था को और ताकतवर कैसे बनाना, इस पर विचार करना चाहिए.
तोमर ने इस वेबिनार में भी निजी निवेश पर विस्तृत चर्चा कर सहयोग का आव्हान किया. उन्होंने नए बनने वाले 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में ज्यादा से ज्यादा छोटे किसानों को जोड़ने पर भी जोर दिया.
वेबिनार में गुजरात के कृषि, ग्रामीण विकास एवं परिवहन मंत्री आर.सी. फलदू, कुलपति डा. वी.पी. चोवटिया, कुलसचिव डा. पुष्पेंद्र सिंह चौहान, गुजरात व देश के अन्य कृषि वि.वि. के कुलपतिगण, संकायों के अधिष्ठाता, उच्च शिक्षा संस्थाओं के शिक्षाविद्, देश की अग्रिम कृषि व्यापारी संस्थाओं के प्रतिनिधि, कृषि वैज्ञानिक, प्राध्यापक, किसान तथा कृषि व्यवसायी, छात्र एवं अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे.