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बजट में जो वादे किए गए उन्हें पूरा करने की जरूरत : रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य - पूर्व वरिष्ठ अधिकारी की रेल बजट पर राय

केंद्रीय बजट में भारतीय रेलवे के विकास के लिए 1,10,055 रुपये की रिकॉर्ड राशि आवंटित की गई. इसे लेकर ईटीवी भारत ने रेलवे के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और रेलवे बोर्ड के सदस्य रहे राजेश अग्रवाल से बात की. जानें उन्होंने बजट पर क्या कहा.

रेलवे रॉलिग स्टॉक के पूर्व सदस्य राजेश अग्रवाल
रेलवे रॉलिग स्टॉक के पूर्व सदस्य राजेश अग्रवाल
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Published : Feb 1, 2021, 7:43 PM IST

Updated : Feb 1, 2021, 9:54 PM IST

नई दिल्ली : रेलवे रॉलिग स्टॉक के पूर्व सदस्य राजेश अग्रवाल ने कहा कि 'जब से आम बजट और रेल बजट का विलय हो गया है रेलवे घाटे वाला संस्थान बनकर रह गया है, हमें उम्मीद है कि इस बार ऐसा साबित नहीं होगा.'
उन्होंने कहा, रेलवे के लिए परिव्यय और सकल बजटीय समर्थन उम्मीदों से कम है. शायद यह पिछले साल की तुलना में कम है. एक ओर जहां प्रधानमंत्री और रेल मंत्री दोनों की प्रतिबद्धता रेलवे को लेकर काफी ज्यादा है. मालवाहक गाड़ियों को चलाने, औसत गति बढ़ाने के लिए जो वादा किया गया था उसको लेकर एक-दो साल में देखना है क्या होता है.

वित्त मंत्री ने बजट भाषण में उल्लेख किया है कि राष्ट्रीय रेल योजना तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि यह योजना 2030 तक 'भविष्य के लिए रेलवे तैयार' प्रणाली पर आधारित है. इसमें मेक इन इंडिया के तहत रेलवे को मजबूती प्रदान करना है.

रेलवे के पूर्व अधिकारी ने कहा कि रेलवे द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कुछ तरीकों का पालन और योजना बनाने की जरूरत है, जिनका आने वाले वर्षों में पालन किया जाना चाहिए.

रेलवे रॉलिग स्टॉक के पूर्व सदस्य राजेश अग्रवाल से बातचीत

उन्होंने बताया कि जब मैं रोलिंग स्टॉक का नेतृत्व कर रहा था, हमने 2019 में ऐसे कई सुधार किए. सेमी हाई स्पीड ट्रेन, एलएचबी रेक की गति में सुधार, यात्री सेवाओं में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि हमें ये देखने की जरूरत है कि 2016-17 में जो लक्ष्य तय किए थे, वे कहां तक पूरे हुए हैं.

केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट में रेलवे के लिए ऐसी कोई नई घोषणा नहीं की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीएफसी के लिए एक समयसीमा निर्धारित की है जिसमें कहा गया है कि उम्मीद की जा रही है कि जून 2022 तक पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) और पूर्वी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर की शुरुआत हो जाएगी.

केंद्रीय बजट में सोमनगर-गोमो खंड को लेकर अतिरिक्त पहल की गई है जो कि 263.7 किलोमीटर का है. इसे पूर्वी डीएफसी के तहत वर्ष 2021-22 में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल में लिया जाएगा. उसके बाद 274.3 किमी के गोमो-दनकुनी खंड को भी इसके तहत शामिल किया जाएगा.

पहले से चल रही योजनाओं पर भी ध्यान देना होगा

राजेश अग्रवाल ने कहा कि फ्रेट कॉरिडोर के कार्यान्वयन के लिए जो समय सीमा दी गई है उसको लेकर हमें देखना होगा कि क्या उतने समय में यह पूरा होता है या नहीं. यहां हमें यह जांचने के लिए एक रणनीतिक समिति की आवश्यकता है कि क्या हम वास्तव में वह लागू करने में सक्षम हैं जिसकी हम अपेक्षा करते हैं.

पढ़ें- बजट के दिल में गांव-किसान, आय बढ़ाने पर जोर : पीएम मोदी

उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि 2019 में जिन योजनाओं पर काम हो रहा था और वह कोरोना महामारी के कारण प्रभावित हुईं हैं उन पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

अनुसंधान के क्षेत्र में बेहतर कर सकता है रेलवे

उन्होंने कहा कि बजट में सार्वजनिक क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए बड़ी राशि आवंटित की गई है. रेलवे के पास बहुत बड़ा अनुसंधान एवं विकास संगठन है. हम इस आवंटन की मदद से रोलिंग स्टॉक क्षेत्र में और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे आगे हो सकते हैं.

नई दिल्ली : रेलवे रॉलिग स्टॉक के पूर्व सदस्य राजेश अग्रवाल ने कहा कि 'जब से आम बजट और रेल बजट का विलय हो गया है रेलवे घाटे वाला संस्थान बनकर रह गया है, हमें उम्मीद है कि इस बार ऐसा साबित नहीं होगा.'
उन्होंने कहा, रेलवे के लिए परिव्यय और सकल बजटीय समर्थन उम्मीदों से कम है. शायद यह पिछले साल की तुलना में कम है. एक ओर जहां प्रधानमंत्री और रेल मंत्री दोनों की प्रतिबद्धता रेलवे को लेकर काफी ज्यादा है. मालवाहक गाड़ियों को चलाने, औसत गति बढ़ाने के लिए जो वादा किया गया था उसको लेकर एक-दो साल में देखना है क्या होता है.

वित्त मंत्री ने बजट भाषण में उल्लेख किया है कि राष्ट्रीय रेल योजना तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि यह योजना 2030 तक 'भविष्य के लिए रेलवे तैयार' प्रणाली पर आधारित है. इसमें मेक इन इंडिया के तहत रेलवे को मजबूती प्रदान करना है.

रेलवे के पूर्व अधिकारी ने कहा कि रेलवे द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कुछ तरीकों का पालन और योजना बनाने की जरूरत है, जिनका आने वाले वर्षों में पालन किया जाना चाहिए.

रेलवे रॉलिग स्टॉक के पूर्व सदस्य राजेश अग्रवाल से बातचीत

उन्होंने बताया कि जब मैं रोलिंग स्टॉक का नेतृत्व कर रहा था, हमने 2019 में ऐसे कई सुधार किए. सेमी हाई स्पीड ट्रेन, एलएचबी रेक की गति में सुधार, यात्री सेवाओं में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि हमें ये देखने की जरूरत है कि 2016-17 में जो लक्ष्य तय किए थे, वे कहां तक पूरे हुए हैं.

केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट में रेलवे के लिए ऐसी कोई नई घोषणा नहीं की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीएफसी के लिए एक समयसीमा निर्धारित की है जिसमें कहा गया है कि उम्मीद की जा रही है कि जून 2022 तक पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) और पूर्वी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर की शुरुआत हो जाएगी.

केंद्रीय बजट में सोमनगर-गोमो खंड को लेकर अतिरिक्त पहल की गई है जो कि 263.7 किलोमीटर का है. इसे पूर्वी डीएफसी के तहत वर्ष 2021-22 में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल में लिया जाएगा. उसके बाद 274.3 किमी के गोमो-दनकुनी खंड को भी इसके तहत शामिल किया जाएगा.

पहले से चल रही योजनाओं पर भी ध्यान देना होगा

राजेश अग्रवाल ने कहा कि फ्रेट कॉरिडोर के कार्यान्वयन के लिए जो समय सीमा दी गई है उसको लेकर हमें देखना होगा कि क्या उतने समय में यह पूरा होता है या नहीं. यहां हमें यह जांचने के लिए एक रणनीतिक समिति की आवश्यकता है कि क्या हम वास्तव में वह लागू करने में सक्षम हैं जिसकी हम अपेक्षा करते हैं.

पढ़ें- बजट के दिल में गांव-किसान, आय बढ़ाने पर जोर : पीएम मोदी

उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि 2019 में जिन योजनाओं पर काम हो रहा था और वह कोरोना महामारी के कारण प्रभावित हुईं हैं उन पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

अनुसंधान के क्षेत्र में बेहतर कर सकता है रेलवे

उन्होंने कहा कि बजट में सार्वजनिक क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए बड़ी राशि आवंटित की गई है. रेलवे के पास बहुत बड़ा अनुसंधान एवं विकास संगठन है. हम इस आवंटन की मदद से रोलिंग स्टॉक क्षेत्र में और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे आगे हो सकते हैं.

Last Updated : Feb 1, 2021, 9:54 PM IST
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