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जानिए, क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय गणित दिवस?

भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों में मानवता के विकास में गणित के महत्व को लकर जागरुकता बढ़ाना है. 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में घोषित किया था.

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Published : Dec 22, 2020, 4:55 AM IST

हैदराबाद : भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है. 22 दिसंबर को 1887 को रामानुजन का जन्म हुआ था.

2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में घोषित किया था. राष्ट्रीय गणित दिवस मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य लोगों में मानवता के विकास में गणित के महत्व को लकर जागरुकता बढ़ाना है.

हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि देश की युवा पीढ़ी के बीच गणित सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रेरित करने, उत्साहित करने और विकसित करने के लिए कई पहल की जाती हैं.

राष्ट्रीय गणित दिवस पर गणित शिक्षकों और छात्रों को शिविरों के माध्यम से प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है और संबंधित क्षेत्रों में गणित और अनुसंधान के लिए शिक्षण-सामग्री (टीएलएम) के विकास, उत्पादन और प्रसार पर प्रकाश डाला जाता है.

राष्ट्रीय गणित दिवस कैसे मनाया जाता है?
भारत के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है.

इतना ही नहीं इंटरनेशनल सोसाइटी यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) और भारत ने गणित सीखने और समझने के लिए एक साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की है.

इसके अलावा छात्रों को गणित में शिक्षित करने और दुनियाभर में छात्रों और शिक्षार्थियों के लिए ज्ञान फैलाने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं.

भारत के सभी राज्य अलग-अलग तरीकों से राष्ट्रीय गणित दिवस मनाते हैं. आज के दिन स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न प्रतियोगिताएं और गणितीय क्विज आयोजित किए जाते हैं. इस दौरान पूरे भारत के छात्र इन कार्यक्रमों और कार्यशालाओं में भाग लेते हैं.

श्रीनिवास रामानुजन कौन थे और गणित में उनका काम महत्वपूर्ण क्यों है?

  1. 12 साल की उम्र में एक औपचारिक शिक्षा का अभाव होने के बावजूद श्रीनिवास रामानुजन त्रिकोणमिति (Trigonometry) के कई थ्योरम्स विकसित किए.
  2. 1904 में माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद रामानुजन कुंभकोणम (तमिलनाडु) के गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज में अध्ययन करने के लिए उन्हें छात्रवृत्ति मिल गई, लेकिन अन्य विषयों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के कारण वह इसे बचा नहीं कर सके.
  3. 14 साल की उम्र में रामानुजन घर से भाग गए और मद्रास के पचैयप्पा कॉलेज में दाखिला लिया. हालांकि वह स्नातक नहीं कर पाए.
  4. उसके बाद गरीबी में रहते हुए रामानुजन ने गणित में स्वतंत्र अनुसंधान किया. हालांकि जल्द ही रामानुजन को चेन्नई के गणित सर्किल में नोटिस किया जाने लगा.
  5. 1912 में इंडियन मैथेमेटिकल सोसाइटी के संस्थापक रामास्वामी अय्यर ने मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में एक क्लर्क पद पाने में रामानुजन की मदद की. इसके बाद रामानुजन ने ब्रिटिश गणितज्ञों को अपना काम भेजना शुरू किया.
  6. 1913 में उनके हाथ उस समय बढ़ी सफलता लगी, जब कैंब्रिज के गणितज्ञ जीएच हार्डी ने रामानुजन के थ्योरम्स और अनंत श्रृंखला से संबंधित कार्यों से प्रभावित होकर, उन्हें लंदन बुलाया.
  7. 1914 में रामानुजन ब्रिटेन पहुंचे, जहां हार्डी ने उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में प्रवेश दिलाया.
  8. 1917 में रामानुजन को लंदन मैथमेटिकल सोसाइटी का सदस्य चुना गया.
  9. 1918 में वह रॉयल सोसाइटी के फेलो भी बन गए, और यह उपलब्धि हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे. वह 1919 में भारत लौट आए.
  10. भारत लौटने के बाद रामानुजन का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता गया और 1920 में 32 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.

रॉयल सोसाइटी की वेबसाइट पर गणितज्ञ लिखते हैं कि इतनी कम उम्र में रामानुजन का निधन होना निश्चित रूप से वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक झटका था. वह गणित में अपने योगदान से क्या-क्या हासिल कर सकते थे.

रामानुजन की प्रतिभा को गणितज्ञों ने क्रमश : 18वीं और 19वीं शताब्दी के यूलर और जैकोबी के बराबर माना है.

संख्या सिद्धांत में उनके काम को विशेष रूप से माना जाता है, उन्होंने ही पार्टिशन फंक्शन को एडवांस बनाया.

रामानुजन को उनकी फरेक्शन पर महारत के लिए पहचाना जाता था और उन्होंने रीमैन सीरीज (Riemann series), एलीपटिक इंटीग्रल, हाइपरजोमेट्रिक सीरीज और जीटा फंक्शन के कार्यात्मक समीकरणों पर भी काम किया था.

पढ़ें - बजट 2021-22 : घटता निर्यात बड़ी चिंता, निर्यातकों ने लगाई मोदी सरकार से गुहार

रामानुजन मरने के बाद अपने पीछे तीन नोटबुक और कुछ पृष्ठों को छोड़ कर गए थे. इसमें अप्रकाशित परिणाम थे, जिस पर गणितज्ञ कई वर्षों तक काम करते रहे.

देव पटेल-स्टारर 'द मैन हू नोव इन्फिनिटी (2015)' गणितज्ञ पर बनी एक बायोपिक थी, जिसे मैथ्यू ब्राउन ने निर्देशित किया था.

रामानुजन के बारे में रोचक तथ्य

  • जब रामानुजन 13 वर्ष के थे, तो वह बिना किसी मदद के लोनी के ट्रिगोनोमेट्री अभ्यास करते थे.
  • स्कूल में उनका कभी कोई दोस्त नहीं था, क्योंकि उनके साथी शायद ही कभी उन्हें स्कूल में समझते थे और हमेशा उनके गणितीय कौशल के कारण खौफ में रहते थे!
  • एक युवा के रूप में वह डिग्री प्राप्त करने में विफल रहे, हालांकि उन्होंने हमेशा ही गणित में असाधारण प्रदर्शन किया.
  • क्योंकि कागज महंगा था, इसलिए गरीब रामानुजन अक्सर अपने नतीजों को बताने के लिए स्लेट का इस्तेमाल करते थे.
  • वह पहले भारतीय थे, जिन्हें कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज का फेलो चुना गया.
  • 1909 में जब रामानुजन का विवाह हुआ, तब वह 12 वर्ष के थे और उनकी पत्नी जानकी सिर्फ 10 वर्ष की थीं.
  • श्रीनिवास रामानुजन रॉयल सोसाइटी की फेलोशिप पाने वाले केवल दूसरे भारतीय थे.

हैदराबाद : भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है. 22 दिसंबर को 1887 को रामानुजन का जन्म हुआ था.

2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में घोषित किया था. राष्ट्रीय गणित दिवस मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य लोगों में मानवता के विकास में गणित के महत्व को लकर जागरुकता बढ़ाना है.

हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि देश की युवा पीढ़ी के बीच गणित सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रेरित करने, उत्साहित करने और विकसित करने के लिए कई पहल की जाती हैं.

राष्ट्रीय गणित दिवस पर गणित शिक्षकों और छात्रों को शिविरों के माध्यम से प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है और संबंधित क्षेत्रों में गणित और अनुसंधान के लिए शिक्षण-सामग्री (टीएलएम) के विकास, उत्पादन और प्रसार पर प्रकाश डाला जाता है.

राष्ट्रीय गणित दिवस कैसे मनाया जाता है?
भारत के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है.

इतना ही नहीं इंटरनेशनल सोसाइटी यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) और भारत ने गणित सीखने और समझने के लिए एक साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की है.

इसके अलावा छात्रों को गणित में शिक्षित करने और दुनियाभर में छात्रों और शिक्षार्थियों के लिए ज्ञान फैलाने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं.

भारत के सभी राज्य अलग-अलग तरीकों से राष्ट्रीय गणित दिवस मनाते हैं. आज के दिन स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न प्रतियोगिताएं और गणितीय क्विज आयोजित किए जाते हैं. इस दौरान पूरे भारत के छात्र इन कार्यक्रमों और कार्यशालाओं में भाग लेते हैं.

श्रीनिवास रामानुजन कौन थे और गणित में उनका काम महत्वपूर्ण क्यों है?

  1. 12 साल की उम्र में एक औपचारिक शिक्षा का अभाव होने के बावजूद श्रीनिवास रामानुजन त्रिकोणमिति (Trigonometry) के कई थ्योरम्स विकसित किए.
  2. 1904 में माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद रामानुजन कुंभकोणम (तमिलनाडु) के गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज में अध्ययन करने के लिए उन्हें छात्रवृत्ति मिल गई, लेकिन अन्य विषयों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के कारण वह इसे बचा नहीं कर सके.
  3. 14 साल की उम्र में रामानुजन घर से भाग गए और मद्रास के पचैयप्पा कॉलेज में दाखिला लिया. हालांकि वह स्नातक नहीं कर पाए.
  4. उसके बाद गरीबी में रहते हुए रामानुजन ने गणित में स्वतंत्र अनुसंधान किया. हालांकि जल्द ही रामानुजन को चेन्नई के गणित सर्किल में नोटिस किया जाने लगा.
  5. 1912 में इंडियन मैथेमेटिकल सोसाइटी के संस्थापक रामास्वामी अय्यर ने मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में एक क्लर्क पद पाने में रामानुजन की मदद की. इसके बाद रामानुजन ने ब्रिटिश गणितज्ञों को अपना काम भेजना शुरू किया.
  6. 1913 में उनके हाथ उस समय बढ़ी सफलता लगी, जब कैंब्रिज के गणितज्ञ जीएच हार्डी ने रामानुजन के थ्योरम्स और अनंत श्रृंखला से संबंधित कार्यों से प्रभावित होकर, उन्हें लंदन बुलाया.
  7. 1914 में रामानुजन ब्रिटेन पहुंचे, जहां हार्डी ने उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में प्रवेश दिलाया.
  8. 1917 में रामानुजन को लंदन मैथमेटिकल सोसाइटी का सदस्य चुना गया.
  9. 1918 में वह रॉयल सोसाइटी के फेलो भी बन गए, और यह उपलब्धि हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे. वह 1919 में भारत लौट आए.
  10. भारत लौटने के बाद रामानुजन का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता गया और 1920 में 32 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.

रॉयल सोसाइटी की वेबसाइट पर गणितज्ञ लिखते हैं कि इतनी कम उम्र में रामानुजन का निधन होना निश्चित रूप से वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक झटका था. वह गणित में अपने योगदान से क्या-क्या हासिल कर सकते थे.

रामानुजन की प्रतिभा को गणितज्ञों ने क्रमश : 18वीं और 19वीं शताब्दी के यूलर और जैकोबी के बराबर माना है.

संख्या सिद्धांत में उनके काम को विशेष रूप से माना जाता है, उन्होंने ही पार्टिशन फंक्शन को एडवांस बनाया.

रामानुजन को उनकी फरेक्शन पर महारत के लिए पहचाना जाता था और उन्होंने रीमैन सीरीज (Riemann series), एलीपटिक इंटीग्रल, हाइपरजोमेट्रिक सीरीज और जीटा फंक्शन के कार्यात्मक समीकरणों पर भी काम किया था.

पढ़ें - बजट 2021-22 : घटता निर्यात बड़ी चिंता, निर्यातकों ने लगाई मोदी सरकार से गुहार

रामानुजन मरने के बाद अपने पीछे तीन नोटबुक और कुछ पृष्ठों को छोड़ कर गए थे. इसमें अप्रकाशित परिणाम थे, जिस पर गणितज्ञ कई वर्षों तक काम करते रहे.

देव पटेल-स्टारर 'द मैन हू नोव इन्फिनिटी (2015)' गणितज्ञ पर बनी एक बायोपिक थी, जिसे मैथ्यू ब्राउन ने निर्देशित किया था.

रामानुजन के बारे में रोचक तथ्य

  • जब रामानुजन 13 वर्ष के थे, तो वह बिना किसी मदद के लोनी के ट्रिगोनोमेट्री अभ्यास करते थे.
  • स्कूल में उनका कभी कोई दोस्त नहीं था, क्योंकि उनके साथी शायद ही कभी उन्हें स्कूल में समझते थे और हमेशा उनके गणितीय कौशल के कारण खौफ में रहते थे!
  • एक युवा के रूप में वह डिग्री प्राप्त करने में विफल रहे, हालांकि उन्होंने हमेशा ही गणित में असाधारण प्रदर्शन किया.
  • क्योंकि कागज महंगा था, इसलिए गरीब रामानुजन अक्सर अपने नतीजों को बताने के लिए स्लेट का इस्तेमाल करते थे.
  • वह पहले भारतीय थे, जिन्हें कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज का फेलो चुना गया.
  • 1909 में जब रामानुजन का विवाह हुआ, तब वह 12 वर्ष के थे और उनकी पत्नी जानकी सिर्फ 10 वर्ष की थीं.
  • श्रीनिवास रामानुजन रॉयल सोसाइटी की फेलोशिप पाने वाले केवल दूसरे भारतीय थे.
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